Russia-Ukraine War: '24 घंटे में युद्ध खत्म कराने का किया था वादा, पर बीत गए 54 दिन'?... पढ़ें ट्रंप का जवाब

Russia-Ukraine War - '24 घंटे में युद्ध खत्म कराने का किया था वादा, पर बीत गए 54 दिन'?... पढ़ें ट्रंप का जवाब
| Updated on: 15-Mar-2025 03:40 PM IST

Russia-Ukraine War: अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने चुनाव प्रचार के दौरान कई बार यह दावा किया था कि यदि वह सत्ता में आते हैं, तो रूस-यूक्रेन युद्ध को महज 24 घंटे में समाप्त करवा देंगे। लेकिन सत्ता संभाले हुए 54 दिन बीत चुके हैं, और युद्ध अभी तक समाप्त नहीं हुआ है। हालांकि, युद्धविराम को लेकर वार्ताएँ जरूर चल रही हैं, लेकिन ट्रंप को अपने पुराने दावे पर सफाई देनी पड़ी।

हाल ही में एक टेलीविजन साक्षात्कार में ट्रंप ने स्पष्ट किया कि उनका यह बयान "थोड़ा व्यंग्यात्मक" था। उन्होंने कहा, "जब मैंने यह कहा था, तो मेरा तात्पर्य यह था कि मैं इस युद्ध को समाप्त करना चाहता हूँ और मुझे लगता है कि मैं इसमें सफल हो जाऊंगा।"

क्या ट्रंप के शब्दों और हकीकत में अंतर है?

ट्रंप अक्सर बड़े-बड़े दावे करने के लिए जाने जाते हैं, लेकिन इस बार उनका खुद अपने बयान पर सफाई देना यह दर्शाता है कि वास्तविकता उम्मीदों से अलग है। 2023 में सीएनएन टाउन हॉल में उन्होंने कहा था, "रूसी और यूक्रेनी लोग मर रहे हैं। मैं चाहता हूँ कि यह सब बंद हो और मैं इसे 24 घंटे में रोक दूँगा।"

यह बयान उनके समर्थकों के बीच उनकी मजबूत छवि बनाने में सहायक रहा, लेकिन जब हकीकत से सामना हुआ, तो यह दावा व्यंग्यात्मक साबित हुआ।

रूस-यूक्रेन युद्धविराम: ट्रंप की योजना

ट्रंप के विशेष दूत स्टीव विटकॉफ इस सप्ताह मॉस्को में युद्धविराम पर चर्चा कर रहे हैं, जिससे संकेत मिलता है कि अमेरिका कूटनीतिक समाधान की ओर बढ़ रहा है।

साक्षात्कार में जब ट्रंप से पूछा गया कि यदि रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन युद्धविराम को मानने से इनकार कर दें तो उनकी रणनीति क्या होगी, तो उन्होंने जवाब दिया, "यह दुनिया के लिए बुरी खबर होगी क्योंकि बहुत से लोग मारे जा रहे हैं। लेकिन मुझे लगता है कि वह मान जाएंगे। मैं उन्हें अच्छी तरह जानता हूँ और मेरा विश्वास है कि वह सहमत होंगे।"

निष्कर्ष

डोनाल्ड ट्रंप के लिए रूस-यूक्रेन युद्ध एक महत्वपूर्ण चुनौती बन चुका है। उनका चुनावी दावा और उनकी मौजूदा स्थिति के बीच का अंतर यह दर्शाता है कि अंतरराष्ट्रीय राजनीति में कोई भी निर्णय लेना आसान नहीं होता। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि उनकी कूटनीतिक नीतियाँ किस हद तक प्रभावी साबित होती हैं और क्या वह अपने पुराने वादे को किसी न किसी रूप में पूरा कर पाते हैं या नहीं।

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