Pushkar Mela 2025: पुष्कर मेले में दिखा 'राजस्थानी रंग', डिप्टी सीएम दिया कुमारी ने विदेशी सैलानियों के साथ किया पारंपरिक डांस

Pushkar Mela 2025 - पुष्कर मेले में दिखा 'राजस्थानी रंग', डिप्टी सीएम दिया कुमारी ने विदेशी सैलानियों के साथ किया पारंपरिक डांस
| Updated on: 30-Oct-2025 07:29 PM IST

Pushkar Mela 2025: राजस्थान की मिट्टी में बसी आस्था, संस्कृति और व्यापार की त्रिवेणी पुष्कर मेला आज से अपने रंगारंग स्वरूप में अवतरित हो गया। विश्व प्रसिद्ध इस अंतरराष्ट्रीय पुष्कर मेले (Pushkar Mela 2025) का शुभारंभ हल्की बूंदाबांदी के बीच हुआ, लेकिन बारिश भी उत्साह की लहर को थाम न सकी। मेला मैदान उस समय गूंज उठा, जब राजस्थान की उपमुख्यमंत्री दिया कुमारी (Diya Kumari) ने विदेशी महिला पर्यटकों और स्कूली छात्राओं के साथ हाथ थामकर पारंपरिक राजस्थानी धुनों पर डांस किया। उनकी यह सहज भागीदारी न केवल राजस्थान की लोक संस्कृति को जीवंत कर गई, बल्कि 'अतिथि देवो भव:' की भावना को भी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चमका दिया।

हल्की बारिश में झंडारोहण, देशभक्ति का संचार

मेले का विधिवत उद्घाटन डिप्टी सीएम दिया कुमारी ने झंडारोहण के साथ किया। इस दौरान जल संसाधन मंत्री सुरेश रावत, अजमेर कलेक्टर, एसपी और कई जनप्रतिनिधि उपस्थित रहे। हल्की बारिश के बावजूद राष्ट्रीय गान की धुन पर पूरा मैदान देशभक्ति और उत्सव के रंग में डूब गया। इसके तुरंत बाद सांस्कृतिक कार्यक्रमों की शुरुआत हुई, जहां राजस्थान के लोक कलाकारों ने घूमर, कालबेलिया, चकरी और मटकी नृत्य की मनमोहक प्रस्तुतियां दीं। ढोल-नगाड़ों और मुरली की थाप पर विदेशी सैलानी भी झूम उठे। ऊंटों और घोड़ों की सजीव परेड ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। पशुपालकों द्वारा सजाए गए ये 'रेगिस्तान के जहाज' और घोड़े फोटो सेशन का केंद्र बने। आगामी दिनों में मेला व्यापार, धार्मिक अनुष्ठान और विभिन्न प्रतियोगिताओं का गवाह बनेगा।

पशुधन व्यापार के दो चेहरे: करोड़ों के सितारे और ऊंटों की अनिश्चितता

पुष्कर पशु मेला इस बार पशुधन व्यापार के विरोधाभासी पहलुओं को उजागर कर रहा है। एक तरफ मुर्रा नस्ल के भैंसे और शानदार घोड़े करोड़ों की बोली लगा रहे हैं, तो दूसरी तरफ राजस्थान की शान ऊंट मात्र 10,000 रुपये से शुरू होने वाली कीमतों पर संघर्ष कर रहे हैं। मेले में करीब 5,000 ऊंट व्यापार के लिए लाए गए हैं, लेकिन परिवहन नियमों की जटिलताएं पशुपालकों की उम्मीदों पर पानी फेर रही हैं।

करोड़पति पशु: बलबीर, बादल, नगीना और शहजादी

  • भैंसा 'बलबीर': डीडवाना के डूंगाराम का 35 महीने का मुर्रा नस्ल का यह भैंसा मेले का सबसे महंगा पशु है। 800 किलो वजनी और 5 फीट 8 इंच ऊंचा 'बलबीर' की कीमत 1 करोड़ रुपये आंकी गई है। घी, दूध, हरा चारा और प्रोटीन केक पर पलने वाला यह भैंसा प्रजनन के लिए मशहूर है। वर्तमान में यह महीने में 80,000 रुपये कमाता है, और मालिक को उम्मीद है कि 4 साल बाद आय तीन गुना हो जाएगी। रखरखाव पर मासिक 35,000 रुपये खर्च होते हैं।
  • घोड़ा 'बादल': अजमेर के केकड़ी से आया यह घोड़ा सोशल मीडिया स्टार बन चुका है। मालिक राहुल के अनुसार, बॉलीवुड फिल्म के लिए 15 लाख का ऑफर मिला, जिसमें 10 लाख एडवांस दिए जा चुके हैं।
  • घोड़ी 'शहजादी' और 'नगीना': सफेद घोड़ी 'शहजादी' अपने डांस स्टेप्स से दिल जीत रही है, कीमत 51 लाख रुपये। पंजाब की 'नगीना' 1 करोड़ से अधिक की है और एयर कंडीशन वाले स्पेशल वाहन में पुष्कर पहुंची।

'रेगिस्तान के जहाज' पर संकट: कीमतें 20,000 से 1 लाख तक

ऊंटों की कीमतें 20,000 से 1 लाख रुपये के बीच हैं। पिछले साल परिवहन प्रतिबंध के कारण कुछ ऊंट 1,500 रुपये में बिके थे। 2019 की जनगणना में ऊंटों की संख्या मात्र 2 लाख रह गई थी, जिसके बाद वसुंधरा राजे सरकार ने राज्य से बाहर परिवहन पर बैन लगाया। अब भले बैन हटा, लेकिन शर्तें कड़ी हैं। लोक पशुपालक समिति के सचिव हनुवंत सिंह कहते हैं, "एसडीएम की अनुमति, स्वास्थ्य प्रमाण पत्र और परिवहन उद्देश्य का बयान जरूरी है। यूपी-बिहार के खरीदार आते हैं, लेकिन नियम सख्त हैं।"

तस्करी का खतरा भी मंडरा रहा है। कुछ नर ऊंटों को वध के लिए ले जाया जा सकता है, इसलिए सतर्कता आवश्यक है। बुधवार को दिल्ली हाइवे पर बेहरौर में एक वाहन रोका गया, जिसमें पुष्कर से खरीदे 8 ऊंट फिरोजपुर ले जाए जा रहे थे। ड्राइवर जावेद को पशु क्रूरता के आरोप में गिरफ्तार किया गया, ऊंट जब्त हुए। पशुपालन विभाग ने स्पष्ट किया कि स्वास्थ्य प्रमाण पत्र और उद्देश्य बयान के बाद ही परमिट मिलेगा।

पाली के चांदावाल गांव से ऊंट पालक किशनजी ने अपना 4 साल का नर ऊंट 'मोती' 35,000 रुपये में बेचा। वे कहते हैं, "यह अच्छी कीमत है, लेकिन अनिश्चितता बनी हुई है। परिवहन आसान न हुआ तो कीमतें फिर गिरेंगी।"

संस्कृति और व्यापार का अनोखा मेल

पुष्कर मेला 2025 न केवल राजस्थानी रंग की छटा बिखेर रहा है, बल्कि पशुधन व्यापार की वास्तविकताओं को भी सामने ला रहा है। डिप्टी सीएम की सहज डांस से लेकर करोड़ों के पशु सितारों और ऊंटों की दुविधा तक – यह मेला आस्था, उत्सव और चुनौतियों का जीवंत चित्रण है। पर्यटक यहां की लोक कला, पवित्र सरोवर और व्यापारिक हलचल में डूबकर यादें संजो रहे हैं। मेला नवंबर तक चलेगा, जहां और भी रोमांचक आयोजन दर्शकों का इंतजार कर रहे हैं।

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