Rajasthan Politics: राजस्थान में OBC आरक्षण के बिना पंचायत चुनाव असंभव: मंत्री झाबर सिंह खर्रा

Rajasthan Politics - राजस्थान में OBC आरक्षण के बिना पंचायत चुनाव असंभव: मंत्री झाबर सिंह खर्रा
| Updated on: 25-Nov-2025 05:47 PM IST
राजस्थान के नगरीय विकास एवं आवासन मंत्री (UDH) झाबर सिंह खर्रा ने हाल ही में सीकर जिले. के लक्ष्मणगढ़ में एक महत्वपूर्ण बयान दिया है, जिसने प्रदेश की राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी है. उन्होंने दो-टूक शब्दों में कहा है कि अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) के लिए आरक्षण सुनिश्चित किए बिना राज्य में नगरीय निकाय और पंचायत चुनाव कराना किसी भी सूरत में संभव नहीं है. मंत्री खर्रा का यह बयान ऐसे समय में आया है जब प्रदेश में आगामी स्थानीय चुनावों की संभावित देरी. को लेकर राजनीतिक दलों के बीच गरमागरमी का माहौल है, और विपक्षी दल लगातार सरकार पर निशाना साध रहे हैं.

सरदार पटेल जयंती पर एकता पदयात्रा में दिया बयान

मंत्री झाबर सिंह खर्रा का यह बड़ा बयान लक्ष्मणगढ़ के रामलीला मैदान में आयोजित एक विशेष कार्यक्रम के दौरान आया और वह यहां भारत के लौह पुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल की 150वीं जयंती के अवसर पर आयोजित 'एकता पदयात्रा' में शामिल होने पहुंचे थे. इस अवसर पर उन्होंने पदयात्रा को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया, जो रामलीला मैदान से शुरू होकर शहर के मुख्य मार्गों से होते हुए श्री भगवानदास तोदी महाविद्यालय तक पहुंची. उपस्थित जनसमूह को संबोधित करते हुए, मंत्री खर्रा ने सरदार पटेल के राष्ट्र निर्माण में. दिए गए अमूल्य योगदान को याद किया और उनके आदर्शों पर चलने का आह्वान किया. हालांकि, उनके भाषण का मुख्य केंद्र कांग्रेस द्वारा ओबीसी आरक्षण को लेकर फैलाए जा रहे 'भ्रम' और राज्य में होने वाले स्थानीय चुनावों की तैयारियों पर रहा, जिससे यह स्पष्ट हो गया कि सरकार ओबीसी वर्ग के हितों को लेकर कितनी गंभीर है.

कांग्रेस पर भ्रम फैलाने का आरोप और सरकार का स्पष्टीकरण

अपने संबोधन में, मंत्री खर्रा ने विपक्षी दलों, विशेषकर कांग्रेस पर गंभीर आरोप लगाए कि वे जानबूझकर जनता के बीच भ्रम फैला रहे हैं. उन्होंने स्पष्ट किया कि राज्य सरकार चुनाव प्रक्रिया को लेकर पूरी तरह से गंभीर और पारदर्शी है, लेकिन संवैधानिक और कानूनी प्रक्रियाओं का पालन करना अनिवार्य है. खर्रा ने कहा कि कांग्रेस चाहती है कि ओबीसी आरक्षण के बिना ही चुनाव हो जाएं, जिससे इस वर्ग के हितों को नुकसान पहुंचे, लेकिन भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की सरकार ऐसा कदापि नहीं होने देगी. उन्होंने जोर देकर कहा कि सरकार ओबीसी आरक्षण की संवैधानिक प्रक्रिया पूरी होने से. पहले चुनाव कराने के पक्ष में नहीं है, भले ही इसमें कुछ समय लगे. यह बयान सरकार की ओबीसी वर्ग के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाता है और राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप के बीच एक स्पष्ट संदेश देता है.

चुनाव में देरी के वास्तविक कारण और सरकार की तैयारी

मंत्री खर्रा ने नगरीय निकाय और पंचायत चुनावों में हो रही देरी की वास्तविक वजहों को भी स्पष्ट रूप से सामने रखा. उन्होंने बताया कि राज्य सरकार ने सितंबर में ही चुनाव संबंधी नोटिफिकेशन जारी कर दिया था, जो यह दर्शाता है कि सरकार चुनाव कराने के लिए तत्पर है. हालांकि, चुनाव प्रक्रिया में दो मुख्य कार्य अभी लंबित हैं, जिनके पूरा हुए बिना चुनाव कराना संभव नहीं है. पहला, राज्य पिछड़ा आयोग को पिछड़ा वर्ग की आबादी के आंकड़े जुटाने का कार्य पूरा करना है. यह प्रक्रिया ओबीसी आरक्षण सुनिश्चित करने के लिए अत्यंत अनिवार्य है, क्योंकि इसके बिना आरक्षण की संवैधानिक वैधता पर प्रश्नचिह्न लग सकता है और दूसरा, राज्य निर्वाचन विभाग द्वारा मतदाता सूची का अंतिम रूप तैयार होना बाकी है. इन दोनों प्रक्रियाओं के पूरा होने के बाद ही, नगरीय निकाय व पंचायत चुनाव एक साथ करवाए जाएंगे, जिससे चुनावी प्रक्रिया में एकरूपता और पारदर्शिता बनी रहे.

ओबीसी आरक्षण के बिना चुनाव असंभव: सरकार की दृढ़ता

मंत्री खर्रा ने अपने बयान में इस बात पर विशेष जोर दिया कि ओबीसी आरक्षण के बिना चुनाव कराना न केवल संवैधानिक रूप से गलत होगा, बल्कि यह सामाजिक न्याय के सिद्धांतों के भी विपरीत होगा. उन्होंने कहा कि सरकार अन्य पिछड़ा वर्ग के अधिकारों की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध है और यह सुनिश्चित करेगी कि उन्हें उनका उचित प्रतिनिधित्व मिले. पिछड़ा वर्ग की आबादी के सटीक आंकड़े जुटाना और उसके आधार पर आरक्षण का निर्धारण करना एक जटिल और समय लेने वाली प्रक्रिया है, लेकिन सरकार इस प्रक्रिया को पूरी ईमानदारी और निष्ठा के साथ पूरा करने के लिए दृढ़ संकल्पित है और मतदाता सूचियों का अंतिम रूप से तैयार होना भी एक महत्वपूर्ण चरण है, जो यह सुनिश्चित करता है कि सभी पात्र मतदाता अपने मताधिकार का प्रयोग कर सकें. इन सभी प्रक्रियाओं के पूर्ण होने के बाद ही, राजस्थान में नगरीय निकाय और पंचायत चुनाव. एक साथ और निष्पक्ष तरीके से संपन्न हो पाएंगे, जिससे लोकतंत्र की जड़ों को और मजबूती मिलेगी.

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