Coronavirus Vaccine: जॉनसन एंड जॉनसन की कोरोना वैक्सीन से दुर्लभ नर्व डिसऑर्डर, EU ने भी माना साइड इफेक्ट

Coronavirus Vaccine - जॉनसन एंड जॉनसन की कोरोना वैक्सीन से दुर्लभ नर्व डिसऑर्डर, EU ने भी माना साइड इफेक्ट
| Updated on: 23-Jul-2021 04:10 PM IST
Delhi: कोरोना टीकाकरण के बीच जॉनसन एंड जॉनसन से जुड़ी बड़ी खबर आई है। यूरोपियन यूनियन ने जॉनसन एंड जॉनसन वैक्सीन (johnson and johnson corona vaccine) के एक नए साइड इफेक्ट को लिस्ट किया है। ईयू ने दुर्लभ एवं संभावित खतरनाक तंत्रिका संबंधी रोग (रेयर नर्व डिसऑर्डर) को जॉनसन एंड जॉनसन की कोरोना वैक्सीन का साइड इफेक्ट मानते हुए लिस्ट कर दिया है।

इससे पहले, पिछले हफ्ते अमेरिका की नियामक संस्था खाद्य एवं औषधि प्रशासन (एफडीए) ने जॉनसन एंड जॉनसन के कोरोना टीके (Janssen vaccine) को दुर्लभ एवं संभावित खतरनाक तंत्रिका संबंधी रोग के जोखिम से जुड़े होने की एक नई चेतावनी जारी की थी। हालांकि एफडीए ने कहा था कि वह पूरी तरह से स्पष्ट नहीं है कि जे एंड जे का टीका इस तरह की समस्या पैदा करता है या नहीं।

न्यूज एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक, अब यूरोप के मेडिकल रेगुलेटर ने दुर्लभ एवं संभावित खतरनाक तंत्रिका संबंधी रोग (रेयर नर्व डिसऑर्डर) को लिस्ट किया है। Guillain-Barré syndrome नाम से पहचाने जाने वाले इस साइड इफेक्ट को संभावित तौर पर जॉनसन एंड जॉनसन वैक्सीन से जुड़ा माना जा रहा है। ईयू के मेडिकल रेगुलेटर ने ऐसा दुनियाभर के 108 केसों की स्टडी के बाद लिया है।

यूरोपियन मेडिसिन एजेंसी ने कहा, 'मिले डेटा के बाद, PRAC ने माना है कि कोरोना टीके Janssen और GBS में कुछ संबंध है।'  फार्माकोविजिलेंस जोखिम मूल्यांकन समिति (PRAC), यूरोपियन मेडिसिन एजेंसी की सेफ्टी कमेटी है।


क्या है गिलेन-बर्रे सिंड्रोम 

गिलेन-बर्रे सिंड्रोम मांसपेशियों में कमजोरी और कभी-कभी फालिज का भी कारण बन सकती है। जब एफडीए और रोग नियंत्रण एवं रोकथाम केंद्र (सीडीसी) ने जे एंड जे टीके की पहली खुराक ले चुके करीब 100 लोगों में बीमारी पनपने की खबरों की समीक्षा की। इनमें से तकरीबन सभी को अस्पताल में भर्ती कराने की जरूरत पड़ी और एक व्यक्ति की मौत हो गई।

सीडीसी के अनुसार गिलेन-बर्रे सिंड्रोम तब होता है तब शरीर की प्रतिरोधक प्रणाली गलती से अपनी ही तंत्रिका कोशिकाओं पर हमला करने लगती है जिससे मांसपेशियों में कमजोरी और कभी कभी फालिज की स्थिति पैदा हो जाती है जो आम तौर पर अस्थायी होता है। हर साल करीब 3,000 से 6,000 लोगों में यह बीमारी होती है।

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