गणतंत्र दिवस: शाहीन बाग में गणतंत्र दिवस का जश्न, जनसैलाब के बीच महिलाओं ने फहराया तिरंगा
गणतंत्र दिवस - शाहीन बाग में गणतंत्र दिवस का जश्न, जनसैलाब के बीच महिलाओं ने फहराया तिरंगा
नई दिल्ली | गणतंत्र दिवस की धूम दिल्ली के शाहीन बाग में भी है। यहां तिरंगा फहराया गया है। यह तिरंगा शाहीन बाग में उस जगह फहराया गया है, जहां पिछले करीब डेढ़ महीने से नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया जा रहा है। इस दौरान शाहीन बाग में जनसैलाब देखने को मिला।शाहीन बाग में सुबह 9.30 बजे करीब बड़ी संख्या में लोगों ने एक साथ जन गण मन गाया। प्रदर्शन के दौरान करीब 10 लाख लोगों द्वारा एक साथ राष्ट्रगीत जन-गण-मन गाकर विश्व के किसी भी राष्ट्रगान को एक साथ गाए जाने वाले रिकॉर्ड को तोड़ने की बात कही गई थी।प्रदर्शनकारियों ने इसके लिए विशेष तैयारी की। करीब 80 फुट ऊंचाई पर 45 फुट लंबा तिरंगा फहराने के लिए दबंग दादी सामने आईं। यह भी बताया जा रहा है कि शाहीन बाग में प्रदर्शन के चलते बंद रास्ते को खुलवाने के लिए स्थानीय लोग दो फरवरी को सड़कों पर पैदल मार्च करेंगे। शाहीन बाग में JNU के लापता छात्र नजीब अहमद की मां और रोहित वेमुला की मां ने भी तिरंगा फहराया। शाहीन बाग में लगभग एक महीने से ज्यादा दिनों से महिलाएं प्रदर्शन कर रही हैं। इन महिलाओं ने CAA और NRC को लेकर सरकार के खिलाफ आवाज बुलंद की है। प्रदर्शन कर रही महिलाओं ने सरकार से CAA को वापस लेने की मांग की है।नजीब की मां और रोहित वेमुला की मां ने मंच से लोगों को संबोधित भी किया। इस दौरान प्रदर्शनकारियों द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रम भी आयोजित किए गए।इस दौरान कुछ लोग लाइब्रेरी में किताब पढ़ते भी नजर आए। दरअसल, शाहीन बाग में ही प्रदर्शन स्थल के पास फातिमा शेख और ज्योतिबा फुले के नाम से लाइब्रेरी बनाई गई है।आंदोलनकारियों का कहना है कि किसी एक व्यक्ति को प्रदर्शन का आयोजक नहीं कहा जा सकता है। हम ऐसे किसी भी बयान से खुद को अलग करते हैं। हम फिर से कहते हैं कि शाहीन बाग में कोई आयोजन समिति नहीं है।शाहीन बाग के लोगों का कहना है कि इस प्रदर्शन का कोई मास्टरमाइंड नहीं है। इस आंदोलन को महिलाएं चला रही हैं। प्रदर्शनकारी महिलाओं का कहना है कि जब तक CAA वापस नहीं लिया जाएगा तब तक यह आंदोलन जारी रहेगा। बताया जा रहा है कि 26 जनवरी को विरोध प्रदर्शन 43 दिन लंबा हो जाएगा। इन 43 दिनों में शाहीन बाग में रोज लोगों ने बड़ी संख्या में पहुंचकर आंदोलन किया।