Russia-Ukraine War: यूक्रेन पर पहली बार रूस ने दागी ये खास मिसाइल, अब टेंशन में आया इंडिया

Russia-Ukraine War - यूक्रेन पर पहली बार रूस ने दागी ये खास मिसाइल, अब टेंशन में आया इंडिया
| Updated on: 22-Nov-2024 12:17 PM IST
Russia-Ukraine War: रूस और यूक्रेन के बीच तनाव लगातार बढ़ता जा रहा है और अब तक इस संघर्ष में कोई ठहराव देखने को नहीं मिला है। 21 नवंबर को रूस ने यूक्रेन के निप्रो शहर पर अपने इंटरकॉन्टिनेंटल मिसाइल RS-26 रूबेज से हमला किया, जिसने केवल दोनों देशों के बीच संघर्ष को और गहरा किया, बल्कि वैश्विक ऊर्जा बाजारों में भी हलचल मचाई। यूक्रेनी वायु सेना ने पुष्टि की है कि यह हमला रूस द्वारा पहले से योजना बना कर किया गया था, जो इस तनाव को और बढ़ा रहा है।

कच्चे तेल की कीमतों में तेजी:

रूस के हमले के बाद, अंतरराष्ट्रीय कच्चे तेल बाजार में तेजी देखने को मिली है। 22 नवंबर को ब्रेंट क्रूड वायदा 0.4% की बढ़त के साथ 73.09 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच गया, जबकि यूएस वेस्ट टेक्सास इंटरमीडिएट क्रूड वायदा भी 69.03 डॉलर प्रति बैरल पर ट्रेड कर रहा था। इस वृद्धि का मुख्य कारण भू-राजनीतिक तनाव और आपूर्ति में रुकावट की चिंताएं बताई जा रही हैं।

भारत पर असर:

भारत, जो अपनी ऊर्जा जरूरतों का अधिकांश हिस्सा आयात करता है, कच्चे तेल की कीमतों में इस तरह की वृद्धि के कारण गंभीर चिंता में है। भारत का तेल आयात बिल पहले ही भारी है और कच्चे तेल की बढ़ती कीमतें इसके आर्थिक बोझ को और बढ़ा सकती हैं। उच्च तेल कीमतें न केवल व्यापार घाटे में वृद्धि कर सकती हैं, बल्कि महंगाई दर को भी ऊंचा कर सकती हैं, जो आम जनता पर सीधा असर डालता है।

रूस, जो भारत का सबसे बड़ा तेल आपूर्तिकर्ता है, यदि आपूर्ति में कोई बाधा आती है तो यह भारत की ऊर्जा सुरक्षा को खतरे में डाल सकता है। ऐसे में भारत को अपनी ऊर्जा नीति को पुनः मूल्यांकन करने की जरूरत हो सकती है, ताकि आपूर्ति में किसी भी प्रकार की रुकावट से निपटा जा सके।

OPEC+ की बैठक और आपूर्ति में बाधाएं:

तेल बाजार पर एक और असर OPEC+ की आगामी बैठक से पड़ सकता है। पेट्रोलियम निर्यातक देशों के संगठन (OPEC) और रूस के नेतृत्व वाले उनके सहयोगी 1 दिसंबर को बैठक करेंगे, जिसमें उत्पादन बढ़ाने की योजना पर चर्चा हो सकती है। हालांकि, पहले OPEC+ ने 2024 और 2025 में उत्पादन में मामूली बढ़ोतरी की योजना बनाई थी, लेकिन वैश्विक तेल मांग में कमी और अन्य देशों द्वारा उत्पादन में बढ़ोतरी की कोशिशों ने इस योजना को चुनौतीपूर्ण बना दिया है।

अमेरिका के तेल भंडार का असर:

अमेरिका में कच्चे तेल के भंडार में 5,45,000 बैरल की वृद्धि हुई है, जिससे तेल की कीमतों पर और असर पड़ा है। इस वृद्धि ने बाजार को आश्चर्यचकित कर दिया क्योंकि विश्लेषकों ने अपेक्षाकृत कम वृद्धि का अनुमान लगाया था। इस अप्रत्याशित वृद्धि ने तेल बाजार की स्थिति को और जटिल बना दिया है, जिससे वैश्विक ऊर्जा आपूर्ति और कीमतों पर भी प्रभाव पड़ सकता है।

भारत की ऊर्जा चुनौती:

रूस-यूक्रेन युद्ध और वैश्विक तेल बाजार के उतार-चढ़ाव के बीच, भारत जैसी ऊर्जा आयात पर निर्भर अर्थव्यवस्थाओं के लिए यह स्थिति और भी चुनौतीपूर्ण बन गई है। बढ़ती तेल कीमतें न केवल ऊर्जा खर्चों को बढ़ाएंगी, बल्कि भारत की आर्थिक स्थिरता को भी प्रभावित कर सकती हैं। भारत को अपनी ऊर्जा सुरक्षा और आपूर्ति श्रृंखलाओं को मजबूत करने के लिए रणनीतिक कदम उठाने की आवश्यकता है।

आने वाले हफ्तों में OPEC+ की बैठक और वैश्विक भू-राजनीतिक घटनाओं पर नजर रखना बेहद महत्वपूर्ण होगा, क्योंकि ये घटनाएं तेल बाजार की दिशा को तय करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती हैं।

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