US Military Attacks: अमेरिका को संयुक्त राष्ट्र का अल्टीमेटम: 'कानून के दायरे में रहो', ड्रग विरोधी हमलों पर कड़ी निंदा

US Military Attacks - अमेरिका को संयुक्त राष्ट्र का अल्टीमेटम: 'कानून के दायरे में रहो', ड्रग विरोधी हमलों पर कड़ी निंदा
| Updated on: 31-Oct-2025 09:17 PM IST
संयुक्त राष्ट्र ने अमेरिका को उसके हालिया सैन्य अभियानों को लेकर एक कड़ा अल्टीमेटम दिया है, जिसमें कथित तौर पर नशीले पदार्थों की तस्करी करने वाले जहाजों को निशाना बनाया गया था। इन हमलों में 60 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है, जिसके बाद संयुक्त राष्ट्र के मानवाधिकार प्रमुख वोल्कर टुर्क ने इन कार्रवाइयों को अंतरराष्ट्रीय कानून का गंभीर उल्लंघन बताया है। टुर्क ने स्पष्ट शब्दों में कहा है कि अमेरिका को तत्काल ऐसे घातक हमले बंद करने चाहिए, क्योंकि ये बिना किसी कानूनी प्रक्रिया के की गई हत्याएं हैं। संयुक्त राष्ट्र के मानवाधिकार प्रमुख वोल्कर टुर्क ने अमेरिका द्वारा पिछले दो महीनों में कैरिबियन और प्रशांत महासागर में दर्जनों कथित नशा तस्करी करने वाली नौकाओं पर किए गए घातक हमलों की कड़ी निंदा की है। टुर्क ने इन हमलों को 'गैर-न्यायिक हत्याएं' करार दिया है, जिसका अर्थ है कि ये हत्याएं किसी भी कानूनी प्रक्रिया या न्यायिक अनुमोदन के बिना की गई हैं। उन्होंने जोर देकर कहा कि ये कार्रवाई अंतरराष्ट्रीय कानून का सीधा उल्लंघन है, जो किसी भी देश को बिना उचित कानूनी प्रक्रिया के घातक बल का उपयोग करने की अनुमति नहीं देता है। टुर्क के अनुसार, नशीले पदार्थों की तस्करी से लड़ना आवश्यक है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि घातक बल का अंधाधुंध उपयोग किया जाए।

घातक बल के उपयोग पर अंतर्राष्ट्रीय मानदंड

वोल्कर टुर्क ने अंतर्राष्ट्रीय कानून के तहत घातक बल के उपयोग के सख्त मानदंडों को रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि कानून के मुताबिक, घातक बल का इस्तेमाल केवल तभी किया जा सकता है जब किसी की जिंदगी को तत्काल और गंभीर खतरा हो। टुर्क ने इस बात पर चिंता व्यक्त की कि अमेरिका ने अपने हमलों के बारे में बहुत कम जानकारी दी है, और उपलब्ध जानकारी से ऐसा प्रतीत नहीं होता कि नौकाओं पर मौजूद लोग किसी की जान के लिए तत्काल खतरा थे। उन्होंने वाशिंगटन से मांग की है कि वह घातक हमलों के बजाय कानूनन कार्रवाई करे, जिसमें जहाजों को रोकना, संदिग्धों को हिरासत में लेना और उन पर मुकदमा चलाना शामिल है। यह दृष्टिकोण अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार कानूनों और न्याय के सिद्धांतों के अनुरूप होगा।

अमेरिकी अभियानों का दायरा और हताहत

अमेरिकी सेना ने पिछले दो महीनों में कैरिबियन और प्रशांत महासागर के विशाल जलक्षेत्र में दर्जनों कथित नशा तस्करी करने वाली नौकाओं पर घातक हमले किए हैं। इन अभियानों का उद्देश्य नशीली दवाओं के अवैध प्रवाह को रोकना बताया गया है, लेकिन इन हमलों के परिणामस्वरूप 60 से अधिक लोगों की जान चली गई है और इन अभियानों में अमेरिकी नौसेना के जहाजों, लड़ाकू विमानों और यहां तक कि दुनिया के सबसे बड़े युद्धपोत, यूएसएस जेराल्ड आर. फोर्ड को भी तैनात किया गया है, जो इन कार्रवाइयों की गंभीरता और पैमाने को दर्शाता है। इन सैन्य तैनाती से यह स्पष्ट होता है कि अमेरिका ने इन क्षेत्रों में अपनी उपस्थिति और आक्रामक रुख को काफी बढ़ा दिया है।

ट्रंप का अडिग बचाव: 'नशे की जड़ पर वार'

एक ओर जहां संयुक्त राष्ट्र इन हमलों की निंदा कर रहा है, वहीं दूसरी ओर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इन कार्रवाइयों का पुरजोर बचाव किया है और ट्रंप ने दावा किया है कि ये कदम नशीली दवाओं की अवैध तस्करी को रोकने के लिए नितांत आवश्यक हैं और उन्हें अंतरराष्ट्रीय जलक्षेत्र में नौकाओं पर बमबारी करने का कानूनी अधिकार है। उन्होंने इन अभियानों को 'नशे की जड़ पर वार' बताया है, जिसका उद्देश्य अमेरिका में नशीली दवाओं के प्रवेश को रोकना है। ट्रंप प्रशासन का मानना है कि इन आक्रामक सैन्य कार्रवाइयों के बिना, नशीली दवाओं की तस्करी पर। प्रभावी ढंग से अंकुश लगाना संभव नहीं होगा, और यह राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है।

अंतर्राष्ट्रीय आक्रोश और बिगड़े संबंध

अमेरिका के इन सैन्य हमलों ने लैटिन अमेरिकी देशों में भारी नाराजगी पैदा कर दी है और मैक्सिको, कोलंबिया और वेनेज़ुएला जैसे देशों ने अमेरिका की कार्रवाई की कड़ी निंदा की है और इसे अपनी संप्रभुता का उल्लंघन बताया है। इन हमलों ने अमेरिका और इन देशों के बीच राजनयिक संबंधों को भी तनावपूर्ण बना दिया है। अमेरिका ने कोलंबिया के राष्ट्रपति गुस्तावो पेत्रो पर ड्रग तस्करी रोकने में नाकाम रहने का आरोप लगाते हुए प्रतिबंध लगाए हैं, जिससे दोनों देशों के बीच तनाव और बढ़ गया है और इसी तरह, ट्रंप ने वेनेज़ुएला के राष्ट्रपति निकोलस मादुरो पर ड्रग माफिया से मिलीभगत का आरोप लगाया है, जिसे मादुरो ने सिरे से खारिज कर दिया है। ये आरोप-प्रत्यारोप और प्रतिबंध क्षेत्रीय स्थिरता के लिए नई चुनौतियां खड़ी कर रहे हैं।

अंतर्राष्ट्रीय कानून के पालन की अपील

संयुक्त राष्ट्र के मानवाधिकार प्रमुख वोल्कर टुर्क ने वाशिंगटन से अपील की है कि वह घातक हमलों के बजाय अंतर्राष्ट्रीय कानून के तहत वैध तरीकों का पालन करे। इसमें संदिग्ध जहाजों को रोकना, उन पर सवार लोगों को हिरासत में लेना और फिर उन्हें उचित कानूनी प्रक्रिया के तहत मुकदमा चलाने के लिए पेश करना शामिल है। टुर्क का मानना है कि नशीली दवाओं की तस्करी एक गंभीर समस्या है, लेकिन इससे निपटने के लिए मानवाधिकारों और अंतर्राष्ट्रीय कानून का उल्लंघन करना स्वीकार्य नहीं है। यह विवाद अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के सामने एक महत्वपूर्ण प्रश्न खड़ा करता है कि क्या राष्ट्रीय सुरक्षा के नाम। पर अंतर्राष्ट्रीय कानूनी मानदंडों का उल्लंघन किया जा सकता है, और इस पर वैश्विक सहमति बनाना आवश्यक है।संयुक्त राष्ट्र ने अमेरिका को उसके हालिया सैन्य अभियानों को लेकर एक कड़ा अल्टीमेटम दिया है, जिसमें कथित तौर पर नशीले पदार्थों की तस्करी करने वाले जहाजों को निशाना बनाया गया था। इन हमलों में 60 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है, जिसके बाद संयुक्त राष्ट्र के मानवाधिकार प्रमुख वोल्कर टुर्क ने इन कार्रवाइयों को अंतरराष्ट्रीय कानून का गंभीर उल्लंघन बताया है।

टुर्क ने स्पष्ट शब्दों में कहा है कि अमेरिका को तत्काल ऐसे घातक हमले बंद करने चाहिए, क्योंकि ये बिना किसी कानूनी प्रक्रिया के की गई हत्याएं हैं। संयुक्त राष्ट्र के मानवाधिकार प्रमुख वोल्कर टुर्क ने अमेरिका द्वारा पिछले दो महीनों में कैरिबियन और प्रशांत महासागर में दर्जनों कथित नशा तस्करी करने वाली नौकाओं पर किए गए घातक हमलों की कड़ी निंदा की है। टुर्क ने इन हमलों को 'गैर-न्यायिक हत्याएं' करार दिया है, जिसका अर्थ है कि ये हत्याएं किसी भी कानूनी प्रक्रिया या न्यायिक अनुमोदन के बिना की गई हैं। उन्होंने जोर देकर कहा कि ये कार्रवाई अंतरराष्ट्रीय कानून का सीधा उल्लंघन है, जो किसी भी देश को बिना उचित कानूनी प्रक्रिया के घातक बल का उपयोग करने की अनुमति नहीं देता है। टुर्क के अनुसार, नशीले पदार्थों की तस्करी से लड़ना आवश्यक है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि घातक बल का अंधाधुंध उपयोग किया जाए।

संयुक्त राष्ट्र की कड़ी निंदा और कानूनी तर्क

घातक बल के उपयोग पर अंतर्राष्ट्रीय मानदंड

वोल्कर टुर्क ने अंतर्राष्ट्रीय कानून के तहत घातक बल के उपयोग के सख्त मानदंडों को रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि कानून के मुताबिक, घातक बल का इस्तेमाल केवल तभी किया जा सकता है जब किसी की जिंदगी को तत्काल और गंभीर खतरा हो। टुर्क ने इस बात पर चिंता व्यक्त की कि अमेरिका ने अपने हमलों के बारे में बहुत कम जानकारी दी है, और उपलब्ध जानकारी से ऐसा प्रतीत नहीं होता कि नौकाओं पर मौजूद लोग किसी की जान के लिए तत्काल खतरा थे। उन्होंने वाशिंगटन से मांग की है कि वह घातक हमलों के बजाय कानूनन कार्रवाई करे, जिसमें जहाजों को रोकना, संदिग्धों को हिरासत में लेना और उन पर मुकदमा चलाना शामिल है। यह दृष्टिकोण अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार कानूनों और न्याय के सिद्धांतों के अनुरूप होगा।

अमेरिकी अभियानों का दायरा और हताहत

अमेरिकी सेना ने पिछले दो महीनों में कैरिबियन और प्रशांत महासागर के विशाल जलक्षेत्र में दर्जनों कथित नशा तस्करी करने वाली नौकाओं पर घातक हमले किए हैं। इन अभियानों का उद्देश्य नशीली दवाओं के अवैध प्रवाह को रोकना बताया गया है, लेकिन इन हमलों के परिणामस्वरूप 60 से अधिक लोगों की जान चली गई है और इन अभियानों में अमेरिकी नौसेना के जहाजों, लड़ाकू विमानों और यहां तक कि दुनिया के सबसे बड़े युद्धपोत, यूएसएस जेराल्ड आर. फोर्ड को भी तैनात किया गया है, जो इन कार्रवाइयों की गंभीरता और पैमाने को दर्शाता है। इन सैन्य तैनाती से यह स्पष्ट होता है कि अमेरिका ने इन क्षेत्रों में अपनी उपस्थिति और आक्रामक रुख को काफी बढ़ा दिया है।

ट्रंप का अडिग बचाव: 'नशे की जड़ पर वार'

एक ओर जहां संयुक्त राष्ट्र इन हमलों की निंदा कर रहा है, वहीं दूसरी ओर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इन कार्रवाइयों का पुरजोर बचाव किया है और ट्रंप ने दावा किया है कि ये कदम नशीली दवाओं की अवैध तस्करी को रोकने के लिए नितांत आवश्यक हैं और उन्हें अंतरराष्ट्रीय जलक्षेत्र में नौकाओं पर बमबारी करने का कानूनी अधिकार है। उन्होंने इन अभियानों को 'नशे की जड़ पर वार' बताया है, जिसका उद्देश्य अमेरिका में नशीली दवाओं के प्रवेश को रोकना है। ट्रंप प्रशासन का मानना है कि इन आक्रामक सैन्य कार्रवाइयों के बिना, नशीली दवाओं की तस्करी पर। प्रभावी ढंग से अंकुश लगाना संभव नहीं होगा, और यह राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है।

अंतर्राष्ट्रीय आक्रोश और बिगड़े संबंध

अमेरिका के इन सैन्य हमलों ने लैटिन अमेरिकी देशों में भारी नाराजगी पैदा कर दी है और मैक्सिको, कोलंबिया और वेनेज़ुएला जैसे देशों ने अमेरिका की कार्रवाई की कड़ी निंदा की है और इसे अपनी संप्रभुता का उल्लंघन बताया है। इन हमलों ने अमेरिका और इन देशों के बीच राजनयिक संबंधों को भी तनावपूर्ण बना दिया है। अमेरिका ने कोलंबिया के राष्ट्रपति गुस्तावो पेत्रो पर ड्रग तस्करी रोकने में नाकाम रहने का आरोप लगाते हुए प्रतिबंध लगाए हैं, जिससे दोनों देशों के बीच तनाव और बढ़ गया है और इसी तरह, ट्रंप ने वेनेज़ुएला के राष्ट्रपति निकोलस मादुरो पर ड्रग माफिया से मिलीभगत का आरोप लगाया है, जिसे मादुरो ने सिरे से खारिज कर दिया है। ये आरोप-प्रत्यारोप और प्रतिबंध क्षेत्रीय स्थिरता के लिए नई चुनौतियां खड़ी कर रहे हैं।

अंतर्राष्ट्रीय कानून के पालन की अपील

संयुक्त राष्ट्र के मानवाधिकार प्रमुख वोल्कर टुर्क ने वाशिंगटन से अपील की है कि वह घातक हमलों के बजाय अंतर्राष्ट्रीय कानून के तहत वैध तरीकों का पालन करे। इसमें संदिग्ध जहाजों को रोकना, उन पर सवार लोगों को हिरासत में लेना और फिर उन्हें उचित कानूनी प्रक्रिया के तहत मुकदमा चलाने के लिए पेश करना शामिल है। टुर्क का मानना है कि नशीली दवाओं की तस्करी एक गंभीर समस्या है, लेकिन इससे निपटने के लिए मानवाधिकारों और अंतर्राष्ट्रीय कानून का उल्लंघन करना स्वीकार्य नहीं है। यह विवाद अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के सामने एक महत्वपूर्ण प्रश्न खड़ा करता है कि क्या राष्ट्रीय सुरक्षा के नाम। पर अंतर्राष्ट्रीय कानूनी मानदंडों का उल्लंघन किया जा सकता है, और इस पर वैश्विक सहमति बनाना आवश्यक है।

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