Sheikh Hasina News: शेख हसीना की वतन वापसी की शर्त: भागीदारी लोकतंत्र और अवामी लीग पर से प्रतिबंध हटे

Sheikh Hasina News - शेख हसीना की वतन वापसी की शर्त: भागीदारी लोकतंत्र और अवामी लीग पर से प्रतिबंध हटे
| Updated on: 12-Nov-2025 06:31 PM IST
बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना ने अपनी वतन वापसी को लेकर स्पष्ट शर्तें रखी हैं और उन्होंने कहा है कि वह तभी देश लौटेंगी जब बांग्लादेश में भागीदारी लोकतंत्र बहाल किया जाएगा, उनकी पार्टी अवामी लीग पर से प्रतिबंध हटाया जाएगा और देश में स्वतंत्र, निष्पक्ष और समावेशी चुनाव सुनिश्चित किए जाएंगे। हसीना, जो अगस्त 2024 में विरोध प्रदर्शनों के बीच देश छोड़कर भारत आई थीं,। ने मौजूदा अंतरिम सरकार और उसके प्रमुख मोहम्मद यूनुस पर गंभीर आरोप लगाए हैं।

भागीदारी लोकतंत्र की बहाली और अवामी लीग का भविष्य

शेख हसीना ने अपनी वतन वापसी के लिए सबसे महत्वपूर्ण शर्त के रूप में भागीदारी लोकतंत्र की बहाली को रेखांकित किया है। उनके अनुसार, यह जनता की लोकतांत्रिक आकांक्षाओं का सीधा प्रतिबिंब है। भागीदारी लोकतंत्र का अर्थ है कि नागरिक न केवल मतदान के माध्यम। से बल्कि नीति-निर्माण और शासन प्रक्रियाओं में भी सक्रिय रूप से शामिल हों। इसके साथ ही, उन्होंने अपनी पार्टी, अवामी लीग पर लगे प्रतिबंध को हटाने की मांग की है। हसीना का मानना है कि अवामी लीग जैसी प्रमुख राजनीतिक शक्ति को चुनाव प्रक्रिया से बाहर रखना किसी भी चुनाव की वैधता को कमजोर करेगा और देश में वास्तविक लोकतांत्रिक प्रतिनिधित्व को बाधित करेगा। उनकी यह मांग बांग्लादेश के राजनीतिक परिदृश्य में उनकी पार्टी की केंद्रीय भूमिका को दर्शाती है।

यूनुस सरकार पर भारत-बांग्लादेश संबंधों को नुकसान पहुंचाने का आरोप

पीटीआई को दिए एक विशेष ईमेल इंटरव्यू में, 78 वर्षीय हसीना ने अंतरिम सरकार के प्रमुख मोहम्मद यूनुस पर तीखा हमला बोला और उन्होंने आरोप लगाया कि यूनुस सरकार भारत के साथ बांग्लादेश के गहरे और व्यापक संबंधों को जानबूझकर नुकसान पहुंचा रही है। हसीना ने कहा कि यूनुस का रवैया भारत के प्रति शत्रुतापूर्ण और आत्मघाती है, जो दोनों देशों के बीच दशकों से चले आ रहे मजबूत द्विपक्षीय संबंधों के लिए खतरा है और उन्होंने भारत सरकार और जनता के प्रति आभार व्यक्त किया, जिन्होंने उन्हें देश छोड़कर आने के बाद शरण दी। हसीना ने इस बात पर जोर दिया कि भारत और बांग्लादेश के बीच संबंध यूनुस सरकार की 'मूर्खतापूर्ण अंतराल। नीतियों' के बावजूद मजबूत बने रहेंगे, लेकिन इन नीतियों से उत्पन्न होने वाले संभावित खतरों को भी स्वीकार किया।

कट्टरपंथी ताकतों को बढ़ावा देने का आरोप

पूर्व प्रधानमंत्री ने मोहम्मद यूनुस पर देश में कट्टरपंथी ताकतों को बढ़ावा देने का भी आरोप लगाया और हसीना के अनुसार, यूनुस एक 'कमजोर और अराजक शासक' हैं, जो अपनी सत्ता बनाए रखने के लिए चरमपंथियों के समर्थन पर निर्भर हैं। उन्होंने चेतावनी दी कि यह नीति बांग्लादेश की आंतरिक स्थिरता और सामाजिक सद्भाव के लिए गंभीर परिणाम ला सकती है। कट्टरपंथी ताकतों को बढ़ावा देने से देश में हिंसा और अस्थिरता का। माहौल बन सकता है, जिससे लोकतांत्रिक प्रक्रियाएं और भी कमजोर हो सकती हैं। हसीना ने उम्मीद जताई कि यूनुस सरकार और अधिक गलतियां नहीं। करेगी, जो देश के भविष्य के लिए हानिकारक साबित हो सकती हैं।

विरोध प्रदर्शनों और अपनी सरकार की भूमिका पर बयान

अगस्त 2024 में हुए विरोध प्रदर्शनों के संदर्भ में, जिनके कारण उन्हें देश छोड़ना पड़ा, हसीना ने स्वीकार किया कि उनकी सरकार ने 'स्थिति पर नियंत्रण खो दिया था, जो दुर्भाग्यपूर्ण था। ' हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि 'कुछ तथाकथित छात्र नेता' भी हिंसा भड़काने के लिए जिम्मेदार थे। यह बयान उनकी सरकार के दृष्टिकोण को दर्शाता है, जिसमें वे अपनी ओर से कुछ गलतियों को स्वीकार करती हैं, लेकिन साथ ही बाहरी तत्वों पर भी दोष मढ़ती हैं और यह स्थिति की जटिलता को उजागर करता है, जहां विभिन्न हितधारक विरोध प्रदर्शनों के दौरान हुई घटनाओं के लिए जिम्मेदार थे।

आगामी चुनावों की वैधता पर सवाल

फरवरी में होने वाले चुनावों के बहिष्कार की खबरों को हसीना ने सिरे से खारिज कर दिया। उन्होंने स्पष्ट किया कि यदि अवामी लीग को इन चुनावों से बाहर रखा जाता है, तो वे चुनाव वैध नहीं माने जाएंगे। यह बयान आगामी चुनावों की निष्पक्षता और समावेशिता पर एक महत्वपूर्ण सवाल उठाता है और अवामी लीग बांग्लादेश की सबसे बड़ी और सबसे प्रभावशाली राजनीतिक पार्टियों में से एक है, और उसकी अनुपस्थिति में होने वाले चुनाव को व्यापक रूप से स्वीकार्यता मिलना मुश्किल होगा। हसीना का यह रुख दर्शाता है कि वे लोकतांत्रिक प्रक्रिया में अपनी पार्टी की भागीदारी को अनिवार्य मानती हैं।

अंतर्राष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय (ICC) में मुकदमे की चुनौती

हसीना ने खुद पर लगे आरोपों को 'राजनीतिक बदले की कार्रवाई' बताया। उन्होंने कहा कि वह अंतर्राष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय (ICC) में मुकदमा झेलने के लिए तैयार हैं, यदि यूनुस को उन पर भरोसा है। हसीना ने चुनौती देते हुए कहा, 'अगर यूनुस को मुझ पर भरोसा है, तो मुझे आईसीसी में पेश करें। लेकिन उन्हें पता है कि निष्पक्ष अदालत मुझे बरी कर देगी। ' यह बयान उनके आत्मविश्वास और आरोपों को निराधार साबित करने की उनकी इच्छा को दर्शाता है और यह यूनुस सरकार पर भी दबाव डालता है कि यदि उनके आरोप ठोस हैं, तो उन्हें अंतरराष्ट्रीय मंच पर साबित करें। हसीना का यह रुख यह भी संकेत देता है कि वह अंतरराष्ट्रीय समुदाय के सामने अपनी बेगुनाही साबित करने के लिए तैयार हैं।

पश्चिमी देशों को गुमराह करने का आरोप

शेख हसीना ने यह भी आरोप लगाया कि मोहम्मद यूनुस ने पश्चिमी देशों के कुछ उदार वर्गों को गुमराह किया है। यह आरोप यूनुस सरकार की अंतरराष्ट्रीय छवि और कूटनीतिक प्रयासों पर सवाल उठाता है। हसीना का मानना है कि यूनुस ने अपनी नीतियों और कार्यों के बारे में पश्चिमी देशों को गलत जानकारी दी है, जिससे उन्हें अंतरराष्ट्रीय समर्थन हासिल करने में मदद मिली है और यह बांग्लादेश की राजनीतिक स्थिति को लेकर अंतरराष्ट्रीय समुदाय में भ्रम पैदा कर सकता है और देश के भविष्य के लिए महत्वपूर्ण हो सकता है।

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