Sheikh Hasina News: शेख हसीना बांग्लादेश में 'दोषी' करार, कोर्ट ने सुनाई 6 महीने की सजा

Sheikh Hasina News - शेख हसीना बांग्लादेश में 'दोषी' करार, कोर्ट ने सुनाई 6 महीने की सजा
| Updated on: 02-Jul-2025 03:25 PM IST

Sheikh Hasina News: बांग्लादेश की अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना को हाल ही में एक महत्वपूर्ण कानूनी मामले में सजा सुनाई गई है। स्थानीय मीडिया के अनुसार, उन्हें अदालत की अवमानना के एक मामले में छह महीने की जेल की सजा दी गई है। यह फैसला बुधवार को न्यायमूर्ति मोहम्मद गुलाम मुर्तुजा मजूमदार की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय बेंच ने सुनाया। इस बेंच में न्यायमूर्ति मोहम्मद शफीउल आलम महमूद और न्यायाधीश मोहम्मद मोहितुल हक इनाम चौधरी भी शामिल थे।

मामले का विवरण

इस मामले में शेख हसीना के अलावा एक अन्य आरोपी, गोबिंदगंज, गैबांधा के शकील अकंद बुलबुल उर्फ मोहम्मद शकील आलम को भी दो महीने की सजा सुनाई गई है। यह सजा बांग्लादेश में तख्तापलट के बाद शेख हसीना के खिलाफ चल रहे कई मुकदमों में से एक है। उनके ऊपर भ्रष्टाचार से लेकर हत्या जैसे गंभीर आरोप हैं, जिनके चलते उनके विरोधी उन्हें भारत से प्रत्यर्पण करवाकर फांसी की सजा देने की मांग कर रहे हैं।

अन्य मामलों में भी जांच

शेख हसीना के खिलाफ बांग्लादेश में कई अन्य मामलों में भी कानूनी कार्रवाई चल रही है। मंगलवार को अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण ने जुलाई के विद्रोह के दौरान मानवता के खिलाफ अपराधों से संबंधित एक मामले में शेख हसीना और तीन अन्य लोगों के खिलाफ आरोप तय करने के लिए सुनवाई शुरू की। इन मामलों में उनके खिलाफ जांच और कानूनी प्रक्रिया तेजी से आगे बढ़ रही है, जिससे उनके भविष्य पर अनिश्चितता के बादल मंडरा रहे हैं।

भारत में शेख हसीना और बांग्लादेश का अनुरोध

शेख हसीना वर्तमान में भारत में हैं, और बांग्लादेश की यूनुस सरकार ने कई बार भारत से उन्हें प्रत्यर्पण करने का अनुरोध किया है। हालांकि, भारत ने इन अनुरोधों का अभी तक कोई जवाब नहीं दिया है। गौरतलब है कि शेख हसीना के कार्यकाल के दौरान भारत और बांग्लादेश के बीच संबंध काफी मजबूत थे। उनके देश छोड़ने के बाद दोनों देशों के बीच संबंधों में कुछ तनाव देखा गया है।

बांग्लादेश की राजनीतिक स्थिति

शेख हसीना के देश छोड़ने के बाद बांग्लादेश की राजनीति में कई बदलाव आए हैं। उनके खिलाफ चल रहे मुकदमों और कानूनी कार्रवाइयों ने देश में राजनीतिक चर्चाओं को और गर्म कर दिया है। विरोधी दलों और जनता का एक बड़ा वर्ग उनकी वापसी और सजा की मांग कर रहा है, जबकि उनके समर्थक इसे राजनीतिक प्रतिशोध का हिस्सा मानते हैं।

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