J&K Election 2024: बांग्लादेश में हिंदुओं के कत्लेआम पर चुप्पी, BJP क्यों बरसी महबूबा पर? जानिए

J&K Election 2024 - बांग्लादेश में हिंदुओं के कत्लेआम पर चुप्पी, BJP क्यों बरसी महबूबा पर? जानिए
| Updated on: 29-Sep-2024 02:20 PM IST
J&K Election 2024: हिजबुल्लाह के नेता हसन नसरल्लाह की हालिया मौत के बाद, केवल मुस्लिम विश्व में ही नहीं, बल्कि भारत के कश्मीर में भी व्यापक स्तर पर शोक मनाया गया है। नसरल्लाह की मौत की खबर फैलते ही हजारों कश्मीरी लोग श्रीनगर और बडगाम की सड़कों पर उतर आए, जहां उन्होंने इजराइल के खिलाफ नारेबाजी की। यह घटना कश्मीर में चल रहे विधानसभा चुनावों के संदर्भ में एक महत्वपूर्ण राजनीतिक मुद्दा बन सकती है।

कश्मीरी नेताओं की प्रतिक्रिया

कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (PDP) की अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने नसरल्लाह की मौत पर शोक व्यक्त करते हुए अपना चुनाव प्रचार रद्द कर दिया। उनकी इस कार्रवाई ने राजनीतिक हलकों में हलचल पैदा कर दी है।

इस पर प्रतिक्रिया देते हुए, जम्मू-कश्मीर के पूर्व उपमुख्यमंत्री और बीजेपी नेता कविंदर गुप्ता ने महबूबा मुफ्ती पर तीखा हमला किया। उन्होंने कहा, "हसन नसरुल्लाह की मौत पर महबूबा मुफ्ती को इतना दर्द क्यों हो रहा है? जब बांग्लादेश में हिंदुओं पर हमला किया जाता है और उन्हें मार दिया जाता है तो वे चुप क्यों रहती हैं?"

"मगरमच्छ के आंसू"

कविंदर गुप्ता ने महबूबा मुफ्ती के शोक को "मगरमच्छ के आंसू" करार दिया। उन्होंने कहा, "हिजबुल्लाह एक आतंकवादी संगठन है और नसरल्लाह का मरना एक सकारात्मक बात है। लोगों को इस शोक के पीछे की मंशा समझ में आ रही है। इस तरह के षड्यंत्र करने से कुछ नहीं होगा। अच्छाई उसी में है कि इंसानियत की बात की जाए।"

नेशनल कॉन्फ्रेंस का विरोध

महबूबा मुफ्ती के अलावा, नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता आगा सैयद रूहुल्लाह मेहंदी ने भी अपनी सभा रद्द कर दी। उन्होंने कहा, "मैं राफियाबाद में होने वाली अपनी सभा को कैंसिल कर रहा हूं, क्योंकि यह एक बड़ी घटना है।" इस बयान से यह स्पष्ट होता है कि नसरल्लाह की मौत ने कश्मीरी राजनीतिक नेताओं को भी गहरे प्रभावित किया है।

राजनीतिक माहौल में उथल-पुथल

इस घटनाक्रम के चलते कश्मीर में राजनीतिक माहौल गर्म हो गया है। चुनावी मौसम में इस प्रकार की घटनाएं राजनीतिक रणनीतियों और कार्यकर्ताओं की गतिविधियों को प्रभावित कर सकती हैं। कश्मीर के नेताओं द्वारा नसरल्लाह की मौत पर की गई प्रतिक्रियाएं इस बात का संकेत देती हैं कि कश्मीर में अभी भी आतंकवाद और सुरक्षा की समस्याएं राजनीतिक विमर्श का हिस्सा बनी हुई हैं।

निष्कर्ष

हिजबुल्लाह के नेता हसन नसरल्लाह की मौत ने कश्मीर में न केवल शोक का माहौल पैदा किया है, बल्कि इसने राजनीतिक हलकों में भी उथल-पुथल मचा दी है। महबूबा मुफ्ती और अन्य नेताओं के द्वारा नसरल्लाह की मौत पर जताया गया शोक चुनावी राजनीति में एक नया मोड़ ला सकता है। यह देखना दिलचस्प होगा कि आने वाले दिनों में यह घटनाक्रम कश्मीर के चुनावी परिदृश्य को कैसे प्रभावित करेगा।

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