Nirmala Sitharaman: भारतीय अर्थव्यवस्था में इन दिनों दो प्रमुख मुद्दे सुर्खियों में हैं: अमेरिकी डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपए में लगातार हो रही गिरावट और जीएसटी सुधारों पर चल रही चर्चा। इस बीच, देश की वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने रुपए की गिरावट पर एक बड़ा बयान दिया है, जिसमें उन्होंने इस मुद्दे पर सरकार की सतर्कता और निर्यातकों पर पड़ रहे प्रभाव को कम करने के लिए किए जा रहे प्रयासों का जिक्र किया। आइए, इस विषय पर विस्तार से जानते हैं।
चालू वर्ष में भारतीय रुपए का प्रदर्शन डॉलर के मुकाबले काफी कमजोर रहा है। इंटरबैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में शुक्रवार को रुपया तीन पैसे की मामूली तेजी के साथ 88.09 प्रति डॉलर पर बंद हुआ। हालांकि, इससे एक दिन पहले यह 88.12 पर था और दो सितंबर को अपने अब तक के सबसे निचले स्तर 88.15 पर पहुंच गया था। पिछले साल के अंतिम कारोबारी दिन रुपया 84.60 के स्तर पर था, जो अब 88.09 पर आ चुका है। इसका मतलब है कि रुपए में 3.50 रुपये यानी 4.12% की गिरावट दर्ज की जा चुकी है। कुछ विशेषज्ञों के अनुसार, भारतीय रुपया पूरे एशिया में सबसे खराब प्रदर्शन करने वाली मुद्राओं में शुमार हो चुका है।
रुपए की गिरावट पर वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा, "हम इस स्थिति पर पैनी नजर रखे हुए हैं। यह गिरावट केवल भारतीय रुपए तक सीमित नहीं है, बल्कि अन्य देशों की मुद्राएं भी इससे प्रभावित हैं।" उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि यह गिरावट केवल डॉलर के संदर्भ में है। निर्यातकों पर पड़ रहे प्रभाव, खासकर अमेरिकी शुल्कों के कारण, पर उन्होंने कहा कि सरकार और संबंधित मंत्रालय इस दिशा में सक्रिय रूप से काम कर रहे हैं।
सीतारमण ने बताया कि 27 अगस्त से लागू हुए 50% शुल्क का असर झींगा, रत्न व आभूषण, और कपड़ा जैसे क्षेत्रों पर पड़ सकता है। उन्होंने कहा, "उद्योगों से अभी तक यह स्पष्ट नहीं हुआ है कि इस शुल्क का कितना प्रभाव होगा। संबंधित मंत्रालय और विभाग निर्यातकों से इस बारे में जानकारी जुटा रहे हैं, और इसके आधार पर सरकार आगे की रणनीति बनाएगी।" उल्लेखनीय है कि अमेरिका ने रूस से कच्चा तेल खरीदने के कारण भारत पर 25% अतिरिक्त शुल्क लगाया है, जिससे कुल शुल्क 50% हो गया है।
वित्त मंत्री ने चीन के साथ व्यापारिक संबंधों पर भी बात की। उन्होंने कहा कि भारत चीनी बाजार में अपनी पहुंच बढ़ाने के लिए लगातार प्रयास कर रहा है और इस दिशा में बातचीत जारी है। उन्होंने स्पष्ट किया कि यह पूरी तरह से व्यापारिक वार्ता है और इसका प्रेस नोट तीन से कोई संबंध नहीं है। बता दें कि प्रेस नोट तीन के तहत अप्रैल 2020 में भारत ने अपनी एफडीआई नीति में बदलाव किया था, जिसके तहत चीन सहित सीमावर्ती देशों से निवेश के लिए सरकारी मंजूरी अनिवार्य कर दी गई थी।
रुपए की गिरावट के साथ-साथ देश में जीएसटी सुधारों पर भी जोर-शोर से चर्चा हो रही है। सरकार जीएसटी ढांचे को और सरल बनाने और कर चोरी पर लगाम लगाने के लिए कई कदम उठा रही है। हालांकि, इस लेख के दायरे में जीएसटी सुधारों पर विस्तृत चर्चा नहीं की गई है, लेकिन यह स्पष्ट है कि सरकार आर्थिक स्थिरता और निर्यात को बढ़ावा देने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है।