दुनिया: ...तो क्या अब कच्चे तेल से कमाई करने वाले दुनिया के अमीर देश कुवैत के पास नहीं बचे पैसे

दुनिया - ...तो क्या अब कच्चे तेल से कमाई करने वाले दुनिया के अमीर देश कुवैत के पास नहीं बचे पैसे
| Updated on: 24-Sep-2020 08:13 AM IST
नई दिल्‍ली। अंतरराष्‍ट्रीय रेटिंग एजेंसी मूडीज (Moody's) ने कुवैत की रेटिंग घटा दी है। एजेंसी ने कुवैत की कमजोर शासन व्‍यवस्‍था (Weak Governance) और नकदी की कमी (Cash Crunch) को रेटिंग घटाने का आधार बनाया है। बता दें कि खाड़ी देश कुवैत (Kuwait) कच्‍चे तेल की लगतार घटती कीमतों (Crude Prices) के कारण संकट में आ गया है। संकट इतना गहरा हो गया है कि अक्‍टूबर के बाद सरकारी कर्मचारियों को सैलरी देना मुश्किल हो जाएगा। खर्च में कटौती नहीं करने और तेल से होने वाली कमाई में लगातार हो रही गिरावट के कारण दुनिया के अमीर पेट्रो देशों में शुमार कुवैत के सामने नकदी का संकट खड़ा हो गया है।


मूडीज इंवेस्‍टर सर्विस ने इसलिए घटाई कुवैत की रेटिंग

कुवैत में हालात इतने खराब हैं कि अंतरराष्‍ट्रीय कर्ज (International Debt) जारी करने के लिए एक कर्ज कानून (Debt Law) पारित कराने में भी मुश्किलें पेश आ रही हैं। रेटिंग एजेंसी ने कहा है कि फ्यूचर जेनेरेशन फंड (FGF) में रखी गई सॉवरेन वेल्‍थ फंड एसेट्स (SWFA) पर कर्ज जारी करने या लेने के लिए कानूनी मंजूरी नहीं होने के कारण मौजूदा नकदी संसाधन खत्‍म होने के करीब हैं। इससे कुवैत के सामने असाधारण राजकोषीय क्षमता के बाद भी नकदी जोखिम खड़ा हो गया है। ऐसे में मूडीज इंवेस्‍टर सर्विस ने कुवैत की रेटिंग Aa2 से घटाकर A1 कर दी है।


कुवैत की इकोनॉमी को हुआ 46 अरब डॉलर का घाटा

कुवैत ने आखिरी बार 2017 में अंतरराष्ट्रीय बाजारों में कर्ज जारी किया था, तब इसके बांड ने अबू धाबी (Abu Dhabi) की ओर से जारी किए गए पेपर के करीब कारोबार किया था। बता दें कि कुवैत के बांड को खाड़ी क्षेत्र में सबसे सुरक्षित कर्ज माना जाता था, क्योंकि विशाल तेल-संचालित वित्तीय संपत्ति (Financial Asset) ने निवेशकों को इसके सुरक्षित होने का भरोसा दिला दिया था। अब कोरोना संकट, कच्‍चे तेल की कीमतों में कमी और नए डेट कानून को लेकर सरकार व संसद के बीच टकराव के कारण 140 अरब डॉलर की कुवैत की अर्थव्‍यवस्‍था को 46 अरब डॉलर का घाटा हुआ है।

सरकार ने बजट में की 3 अरब डॉलर की कटौती

मूडीज ने कहा है कि कुवैत की संसद और सरकार में लंबे समय से मतभेद नजर आ रहे हैं। इससे उसकी इंस्‍टीट्यूशनल स्‍ट्रैंथ कम हो रही है। ऐसे में फंडिंग स्‍ट्रैटजी को लेकर रुकावट के कारण कुवैत की नीतियां पहले के मुकाबले कम प्रभावी नजर आ रही हैं।

सितंबर की शुरुआत में कुवैत को 2020-21 के बजट में 3 अरब डॉलर की कटौती करनी पड़ी ताकि पैसे की बचत की जा सके। एजेंसी ने कहा कि डेट कानून पारित होने पर कुवैत की कर्ज लेने की क्षमता में इजाफा होगा और सरकार अंतरराष्‍ट्रीय निवेशकों से देश में पैसा लगाने के लिए बात कर सकती है। बता दें कि पिछले वित्‍त वर्ष के दौरान कुवैत की कमाई में 89 फीसदी हिस्‍सेदारी कच्‍चे तेल से ही आई थी।

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