India-America Relations: 'भारत के साथ संबंधों को रोकना रणनीतिक आपदा होगी', निक्की हेली ने राष्ट्रपति को चेताया

India-America Relations - 'भारत के साथ संबंधों को रोकना रणनीतिक आपदा होगी', निक्की हेली ने राष्ट्रपति को चेताया
| Updated on: 21-Aug-2025 11:36 AM IST

India-America Relations: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारत पर 50 प्रतिशत टैरिफ लगाने के फैसले ने दोनों देशों के बीच रणनीतिक साझेदारी में तनाव पैदा कर दिया है। यह टैरिफ, जो रूस से तेल खरीदने के जवाब में लगाया गया है, भारत और अमेरिका के बीच संबंधों में खटास ला रहा है। इस कदम की अमेरिका के भीतर ही आलोचना हो रही है, खासकर संयुक्त राष्ट्र में अमेरिका की पूर्व राजदूत निक्की हेली ने ट्रंप को कड़ी चेतावनी दी है। हेली ने इसे एक "रणनीतिक आपदा" करार देते हुए भारत को एक महत्वपूर्ण लोकतांत्रिक साझेदार के रूप में देखने की वकालत की है।

निक्की हेली की चेतावनी

निक्की हेली ने न्यूज़वीक में प्रकाशित एक लेख में ट्रंप प्रशासन को चेतावनी दी कि भारत के साथ दुश्मनों जैसा व्यवहार करना अमेरिका के हितों के लिए हानिकारक है। उन्होंने कहा, "भारत हमारा दुश्मन नहीं है।" हेली ने जोर देकर कहा कि भारत और अमेरिका के बीच पिछले 25 वर्षों में बने मजबूत संबंधों को तोड़ना एक खतरनाक कदम होगा। उन्होंने भारत को एक मूल्यवान लोकतांत्रिक साझेदार के रूप में देखने की आवश्यकता पर बल दिया, जो वैश्विक मंच पर चीन की बढ़ती महत्वाकांक्षाओं का मुकाबला करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।

चीन के खिलाफ भारत का रणनीतिक महत्व

हेली ने अपने लेख में भारत को एक ऐसी शक्ति के रूप में प्रस्तुत किया जो एशिया में चीनी प्रभुत्व को संतुलित करने में सक्षम है। उन्होंने कहा कि भारत का उदय, जो एक लोकतांत्रिक देश के रूप में हो रहा है, "कम्युनिस्ट-नियंत्रित चीन के विपरीत" स्वतंत्र विश्व के लिए खतरा नहीं है। हेली ने तर्क दिया कि भारत की बढ़ती आर्थिक और रणनीतिक ताकत वैश्विक व्यवस्था को नया रूप देने के चीन के लक्ष्यों के लिए सबसे बड़ी बाधा है। उन्होंने लिखा, "जैसे-जैसे भारत की शक्ति बढ़ेगी, वैसे-वैसे चीन की महत्वाकांक्षाएँ कम होती जाएंगी।"

हेली ने यह भी बताया कि भारत में वह क्षमता है जो अमेरिका को अपनी आपूर्ति श्रृंखलाओं को चीन से हटाने में मदद कर सकती है। भारत की तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था, जो जल्द ही जापान को पीछे छोड़ सकती है, इसे एक महत्वपूर्ण साझेदार बनाती है। उन्होंने चेतावनी दी कि भारत पर टैरिफ लगाकर और इसे दबाव में लाने की कोशिश करके अमेरिका न केवल अपने रणनीतिक हितों को नुकसान पहुँचा रहा है, बल्कि चीन को इस तनाव का फायदा उठाने का मौका भी दे रहा है।

टैरिफ का प्रभाव

ट्रंप प्रशासन ने भारत पर 25 प्रतिशत पारस्परिक शुल्क और 25 प्रतिशत अतिरिक्त शुल्क लगाया है, जिससे कुल टैरिफ 50 प्रतिशत हो गया है। यह कदम भारत द्वारा रूसी तेल की खरीद को रोकने के लिए दबाव बनाने के उद्देश्य से उठाया गया है। हालांकि, भारत ने इसे "अनुचित और अविवेकपूर्ण" बताते हुए कड़ा विरोध दर्ज किया है। ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव के अनुसार, इस टैरिफ से अमेरिका को होने वाले भारतीय निर्यात में 40 से 50 प्रतिशत तक की गिरावट आ सकती है, जिसका असर कपड़ा, ऑटो कंपोनेंट, रसायन और रत्न जैसे क्षेत्रों पर पड़ेगा।

इसके जवाब में भारत ने विश्व व्यापार संगठन (WTO) से परामर्श की मांग की है, यह तर्क देते हुए कि ये टैरिफ राष्ट्रीय सुरक्षा के नाम पर लगाए गए हैं, लेकिन वास्तव में ये WTO नियमों का उल्लंघन करते हैं। भारत ने जवाबी टैरिफ लगाने की संभावना पर भी विचार शुरू कर दिया है, जिससे दोनों देशों के बीच व्यापार युद्ध की आशंका बढ़ गई है।

अमेरिका के भीतर आलोचना

ट्रंप के इस कदम की उनके अपने देश में भी तीखी आलोचना हो रही है। अमेरिकी सीनेटरों और हाउस फॉरेन अफेयर्स कमेटी डेमोक्रेट्स ने इसे भारत-अमेरिका संबंधों के लिए खतरा बताया है। सीनेटर ग्रेगरी मीक्स ने कहा, "ट्रंप का हालिया टैरिफ टैन्ट्रम अमेरिका-भारत साझेदारी को मजबूत करने के वर्षों के प्रयासों को खतरे में डाल रहा है।" उन्होंने जोर देकर कहा कि दोनों देशों के बीच चिंताओं का समाधान पारस्परिक सम्मान के साथ किया जाना चाहिए।

निक्की हेली ने भी ट्रंप के दबाव अभियान का समर्थन करते हुए भारत को सलाह दी कि वह रूसी तेल पर ट्रंप के बयानों को गंभीरता से ले और व्हाइट हाउस के साथ मिलकर इसका समाधान निकाले। हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि भारत को चीन की तरह दुश्मन मानने की बजाय एक साझेदार के रूप में देखा जाना चाहिए।

भारत की रणनीतिक प्रतिक्रिया

भारत ने इस टैरिफ के जवाब में कड़ा रुख अपनाया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्पष्ट किया है कि भारत अपने राष्ट्रीय हितों और किसानों, मछुआरों और डेयरी क्षेत्र से जुड़े लोगों के हितों से समझौता नहीं करेगा। भारत ने अमेरिका के सामने झुकने से इनकार कर दिया है और विश्व व्यापार संगठन के नियमों के तहत जवाबी कार्रवाई के लिए कानूनी आधार तैयार कर लिया है।

इसके साथ ही, भारत ने भू-राजनीतिक स्थिति का लाभ उठाने की रणनीति अपनाई है। हाल ही में भारत ने चीन के साथ संबंध सुधारने की दिशा में कदम उठाए हैं, और प्रधानमंत्री मोदी की आगामी चीन यात्रा इस दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। इसके अलावा, भारत ने ब्रिक्स देशों और अन्य वैश्विक साझेदारों के साथ अपने संबंधों को मजबूत करने पर ध्यान केंद्रित किया है, ताकि अमेरिकी टैरिफ के प्रभाव को कम किया जा सके।

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