Delhi Old Vehicle Ban: सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला: दिल्ली में पुरानी गाड़ियों पर अब क्या होगा?

Delhi Old Vehicle Ban - सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला: दिल्ली में पुरानी गाड़ियों पर अब क्या होगा?
| Updated on: 18-Dec-2025 02:06 PM IST
सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली में प्रदूषण नियंत्रण के प्रयासों के तहत 10 साल पुरानी डीजल और 15 साल पुरानी पेट्रोल गाड़ियों को लेकर अपने पहले के फैसले में महत्वपूर्ण बदलाव किया है। यह बदलाव दिल्ली-एनसीआर में वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (CAQM) की एक याचिका पर आया है, जिसमें पुराने इंजनों से होने वाले अत्यधिक प्रदूषण का हवाला दिया गया था। इस संशोधित आदेश का उद्देश्य राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में वायु प्रदूषण के बढ़ते स्तर। को नियंत्रित करना है, जो लंबे समय से एक गंभीर चिंता का विषय रहा है।

पुराना फैसला और नया बदलाव

इससे पहले, 12 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने एक आदेश जारी किया था जिसमें अधिकारियों को 10 साल से ज़्यादा पुरानी डीज़ल गाड़ियों और 15 साल से ज़्यादा पुरानी पेट्रोल गाड़ियों के खिलाफ कोई ज़बरदस्ती कार्रवाई न करने का निर्देश दिया गया था और इस फैसले से दिल्ली के लाखों वाहन मालिकों को अस्थायी राहत मिली थी, जिनके पास पुरानी गाड़ियां थीं और वे उन पर होने वाली संभावित कार्रवाई को लेकर चिंतित थे। हालांकि, बुधवार को चीफ जस्टिस सूर्यकांत, जस्टिस जॉयमाल्य बागची और विपुल एम पंचोली की बेंच ने अपने फैसले में बदलाव करते। हुए स्पष्ट किया कि यह राहत केवल उन्हीं गाड़ियों पर लागू होगी जो BS4 या BS6 एमिशन नॉर्म्स का पालन करती हैं। इसका सीधा अर्थ है कि BS3 और उससे पुरानी एमिशन नॉर्म्स वाली गाड़ियों के खिलाफ। अब कार्रवाई की जा सकेगी, जिससे प्रदूषणकारी वाहनों को सड़क से हटाने का मार्ग प्रशस्त होगा।

प्रभावित वाहन और प्रदूषण का स्तर

सुप्रीम कोर्ट के इस नए आदेश से भारत में लाखों वाहन प्रभावित होंगे,। जिनमें मुख्य रूप से BS1, BS2 और BS3 कम्प्लायंट इंजन वाली गाड़ियां शामिल हैं। प्रस्तुत किए गए डेटा के अनुसार, 14. 7 लाख से ज़्यादा BS1 वाली कारें, थ्री-व्हीलर, टू-व्हीलर, बसें और माल ढोने वाली गाड़ियां, 38 और 7 लाख से ज़्यादा BS2 वाली गाड़ियां और 53. 7 लाख BS3 वाली गाड़ियां इस दायरे में आती हैं। भारत में आमतौर पर 15 साल पुरानी पेट्रोल और 10 साल। पुरानी डीज़ल गाड़ी में BS-III (भारत स्टेज 3) कम्प्लायंट इंजन होता है। CAQM ने सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि दिल्ली-एनसीआर में कुल 2 और 88 करोड़ वाहनों में से लगभग 93 प्रतिशत हल्के मोटर वाहन हैं, जिनमें कारें और दोपहिया वाहन शामिल हैं। इनमें से लगभग 37% वाहन BS3 या उससे भी पुराने इंजन पर चलते हैं। इन पुरानी गाड़ियों से नए वाहनों की तुलना में 2. 5 से 31 गुना ज़्यादा पार्टिकुलेट मैटर, 6. 25 से 12 गुना ज़्यादा नाइट्रोजन ऑक्साइड और 1 और 28 से 5. 4 गुना ज़्यादा कार्बन मोनोऑक्साइड निकलता है, जो वायु प्रदूषण का एक। प्रमुख कारण है और दिल्ली की हवा को लगातार खराब कर रहा है।

CAQM की भूमिका और तर्क

वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (CAQM) ने दिल्ली-एनसीआर में फैले भारी प्रदूषण का हवाला देते हुए सुप्रीम कोर्ट में एक एप्लीकेशन दायर की थी। आयोग ने तर्क दिया था कि पुराने इंजन वाली गाड़ियां, विशेष रूप से BSIII और उससे पहले के। मॉडल, प्रदूषण में बहुत ज़्यादा योगदान देती हैं और उन्हें किसी भी प्रकार की छूट नहीं मिलनी चाहिए। CAQM ने अपने डेटा के माध्यम से यह साबित करने का प्रयास किया कि इन वाहनों को सड़क पर चलने की अनुमति देने से दिल्ली-एनसीआर की हवा की गुणवत्ता पर गंभीर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है और आयोग ने पाया है कि सड़क पर चल रहे वाहनों का एक बड़ा हिस्सा पुराने और कम कुशल इंजनों पर निर्भर करता है, जिससे वायुमंडल में हानिकारक प्रदूषकों का उत्सर्जन लगातार बढ़ रहा है। कोर्ट में पेंडिंग एयर पॉल्यूशन मामले में एमिकस क्यूरी सीनियर एडवोकेट अपराजिता सिंह ने भी इस बात पर जोर दिया कि BS-IV 2010 में आया था और BS-III मॉडल उससे पहले के हैं, जो अधिक प्रदूषणकारी होते हैं।

दिल्ली सरकार की प्रतिक्रिया

सुप्रीम कोर्ट के इस नए आदेश पर दिल्ली के पर्यावरण मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने अपनी प्रतिक्रिया दी और उन्होंने कहा कि अभी फिलहाल बीएस 6 के नीचे की गाड़ियां दिल्ली में नहीं आ सकतीं। इसके अलावा, उन्होंने यह भी दोहराया कि बिना पॉल्यूशन सर्टिफिकेट दिखाए किसी भी वाहन को ईंधन नहीं मिलेगा, जो प्रदूषण नियंत्रण के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है और मंत्री ने स्पष्ट किया कि दिल्ली में रजिस्टर्ड बीएस 4 डीजल गाड़ी को रोका नहीं जाएगा, लेकिन सुप्रीम कोर्ट के नए आदेश का भी अध्ययन किया जाएगा और उसके अनुसार आगे की कार्रवाई की जाएगी। दिल्ली सरकार इस फैसले को लागू करने और वायु गुणवत्ता में सुधार के लिए आवश्यक कदम उठाने के लिए प्रतिबद्ध है।

BS एमिशन नॉर्म्स का महत्व

भारत स्टेज (BS) एमिशन नॉर्म्स वाहनों से होने वाले प्रदूषण। को नियंत्रित करने के लिए भारत सरकार द्वारा निर्धारित मानक हैं। इन मानकों का उद्देश्य वाहनों से निकलने वाले हानिकारक प्रदूषकों जैसे पार्टिकुलेट मैटर (PM), नाइट्रोजन ऑक्साइड (NOx) और कार्बन मोनोऑक्साइड (CO) को कम करना है। BS4 नॉर्म्स 2010 में लागू हुए थे, जिसका अर्थ है कि BS3 मॉडल उससे पहले के हैं और वे कम सख्त उत्सर्जन मानकों का पालन करते हैं। सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला इन पुराने, अधिक प्रदूषणकारी वाहनों को सड़क से हटाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, ताकि दिल्ली-एनसीआर की वायु गुणवत्ता में सुधार किया जा सके और नागरिकों को स्वच्छ हवा मिल सके और यह निर्णय पर्यावरण संरक्षण के प्रति न्यायिक सक्रियता को भी दर्शाता है।

आगे की राह

सुप्रीम कोर्ट के इस संशोधित आदेश के बाद, दिल्ली सरकार और संबंधित प्राधिकरणों को अब BS3 और उससे पुरानी एमिशन नॉर्म्स वाली 10 साल पुरानी डीजल और 15 साल पुरानी पेट्रोल गाड़ियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने की अनुमति मिल गई है और यह कदम दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण से निपटने के लिए एक व्यापक रणनीति का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य स्वच्छ हवा सुनिश्चित करना और सार्वजनिक स्वास्थ्य की रक्षा करना है। उम्मीद है कि इस फैसले से दिल्ली की हवा की गुणवत्ता में उल्लेखनीय सुधार देखने को मिलेगा।

Disclaimer

अपनी वेबसाइट पर हम डाटा संग्रह टूल्स, जैसे की कुकीज के माध्यम से आपकी जानकारी एकत्र करते हैं ताकि आपको बेहतर अनुभव प्रदान कर सकें, वेबसाइट के ट्रैफिक का विश्लेषण कर सकें, कॉन्टेंट व्यक्तिगत तरीके से पेश कर सकें और हमारे पार्टनर्स, जैसे की Google, और सोशल मीडिया साइट्स, जैसे की Facebook, के साथ लक्षित विज्ञापन पेश करने के लिए उपयोग कर सकें। साथ ही, अगर आप साइन-अप करते हैं, तो हम आपका ईमेल पता, फोन नंबर और अन्य विवरण पूरी तरह सुरक्षित तरीके से स्टोर करते हैं। आप कुकीज नीति पृष्ठ से अपनी कुकीज हटा सकते है और रजिस्टर्ड यूजर अपने प्रोफाइल पेज से अपना व्यक्तिगत डाटा हटा या एक्सपोर्ट कर सकते हैं। हमारी Cookies Policy, Privacy Policy और Terms & Conditions के बारे में पढ़ें और अपनी सहमति देने के लिए Agree पर क्लिक करें।