China-Taiwan News: ताइवान की चीन को दी नसीहत, कहा- 'धमकी मत दो,...अपने पड़ोसी मुल्कों के लिए बाहें खोलो'

China-Taiwan News - ताइवान की चीन को दी नसीहत, कहा- 'धमकी मत दो,...अपने पड़ोसी मुल्कों के लिए बाहें खोलो'
| Updated on: 06-Dec-2024 09:00 PM IST
China-Taiwan News: ताइवान के राष्ट्रपति लाइ चिंग ते ने अपने पहले विदेशी दौरे के समापन पर चीन को बड़ी नसीहत दी है। उन्होंने चीन को चेताया कि धमकी और दबाव की नीति को छोड़कर शांति और सहयोग की राह अपनाएं। राष्ट्रपति चिंग ते ने कहा कि चीन को अपने पड़ोसी मुल्कों के साथ दोस्ताना संबंध स्थापित करने के लिए बाहें फैलानी चाहिए, न कि सैन्य अभ्यास और धमकियों से उन्हें डराने की कोशिश करनी चाहिए।

चिंग ते ने यह बयान प्रशांत महासागर के द्वीप राष्ट्र पलाऊ में शुक्रवार को संवाददाता सम्मेलन में दिया। उनका यह बयान उस समय आया जब उनके दौरे के जवाब में चीन द्वारा ताइवान के आसपास सैन्य अभ्यास करने की अटकलें लगाई जा रही हैं। उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा, “किसी भी देश को मजबूर करने के लिए युद्धपोतों, विमानों और सैन्य अभ्यास का सहारा लेना, सम्मान प्राप्त करने का तरीका नहीं हो सकता।"

चीन-ताइवान संबंधों में तनाव

चीन और ताइवान के बीच संबंध लंबे समय से तनावपूर्ण रहे हैं। चीन ताइवान को अपना हिस्सा मानता है और बार-बार धमकी देता रहा है कि यदि ताइवान स्वतंत्रता की ओर कदम बढ़ाता है, तो बल प्रयोग किया जा सकता है। हाल ही में अमेरिका द्वारा ताइवान को हथियारों की बिक्री के बाद चीन ने 13 अमेरिकी कंपनियों और छह अधिकारियों पर प्रतिबंध लगा दिया।

चिंग ते ने इस संदर्भ में कहा, "जब सत्तावादी देश आपस में मिलते हैं, तो यह लोकतांत्रिक देशों के लिए एक साथ खड़े होने का समय होता है। हमें वैश्विक और क्षेत्रीय स्थिरता व विकास सुनिश्चित करने के लिए मिलकर काम करना चाहिए।"

शांति और सहयोग की अपील

लाइ चिंग ते ने चीन को यह संदेश दिया कि क्षेत्र में शांति बनाए रखने के लिए विवाद और धमकियों के बजाय संवाद और सहयोग का मार्ग अपनाना आवश्यक है। उन्होंने कहा कि पड़ोसी देशों के लिए बाहें फैलाना और उन्हें सम्मान देना दीर्घकालिक स्थिरता और विकास का आधार है।

पहला विदेशी दौरा और चीन की प्रतिक्रिया

यह दौरा चिंग ते के लिए इसलिए भी महत्वपूर्ण था क्योंकि यह उनके मई में राष्ट्रपति बनने के बाद पहला अंतरराष्ट्रीय दौरा था। हालांकि, चीन ने इसे ताइवान के अंतरराष्ट्रीय संबंध मजबूत करने की कोशिश के रूप में देखा और नाराजगी जाहिर की।

ताइवान के राष्ट्रपति के इस बयान से क्षेत्र में चीन के रवैये पर सवाल उठे हैं और यह स्पष्ट संदेश गया है कि ताइवान शांति और लोकतांत्रिक मूल्यों को प्राथमिकता देता है। यह घटना इस बात का प्रमाण है कि छोटे देश भी बड़े देशों को चुनौती देने का साहस रखते हैं, बशर्ते उनके पास संवाद और सहयोग की मजबूत नीति हो।

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