Telangana News: तेलंगाना में बड़ी सफलता: 37 माओवादियों ने डीजीपी के सामने किया सरेंडर, AK-47 सहित भारी मात्रा में हथियार सौंपे

Telangana News - तेलंगाना में बड़ी सफलता: 37 माओवादियों ने डीजीपी के सामने किया सरेंडर, AK-47 सहित भारी मात्रा में हथियार सौंपे
| Updated on: 23-Nov-2025 08:13 AM IST
तेलंगाना राज्य में सुरक्षा बलों को एक महत्वपूर्ण सफलता मिली है, जहाँ एक साथ। 37 माओवादियों ने पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) बी शिवधर रेड्डी के समक्ष आत्मसमर्पण कर दिया है। यह घटना राज्य में माओवादी विरोधी अभियानों की प्रभावशीलता और सरकार की मुख्यधारा में शामिल होने की अपील का प्रमाण है। आत्मसमर्पण करने वाले माओवादियों ने भारी मात्रा में हथियार और गोला-बारूद भी सौंपे, जो उनकी संगठनात्मक क्षमता को कमजोर करने की दिशा में एक बड़ा कदम है। डीजीपी बी शिवधर रेड्डी ने स्वयं इस महत्वपूर्ण घटना की पुष्टि की और मीडिया को विस्तृत जानकारी प्रदान की।

शीर्ष माओवादी नेताओं का आत्मसमर्पण

आत्मसमर्पण करने वाले 37 माओवादियों में कई प्रमुख सदस्य शामिल हैं, जो माओवादी संगठन के भीतर महत्वपूर्ण पदों पर थे। डीजीपी बी शिवधर रेड्डी ने बताया कि इनमें तीन राज्य समिति सदस्य, तीन संभागीय समिति सदस्य, नौ क्षेत्र समिति सदस्य और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) के 22 अन्य सदस्य शामिल हैं। यह संख्या माओवादी आंदोलन के लिए एक बड़ा झटका है, क्योंकि इसमें न केवल निचले स्तर के कैडर बल्कि निर्णय लेने वाले प्रमुख सदस्य भी शामिल हैं। इन शीर्ष नेताओं का मुख्यधारा में लौटना अन्य माओवादियों को भी आत्मसमर्पण करने के लिए प्रेरित कर सकता है।

प्रमुख आत्मसमर्पणकर्ता और उनके संगठन

डीजीपी बी शिवधर रेड्डी ने आत्मसमर्पण करने वाले तीन राज्य समिति सदस्यों की पहचान कोय्यदा सांबैया (49) उर्फ ​​​​आजाद, अप्पासी नारायण उर्फ ​​​​रमेश (70), और मुचाकी सोमादा के रूप में की। सांबैया और नारायण तेलंगाना समिति से संबंधित थे, जो राज्य में माओवादी गतिविधियों को अंजाम देने में सक्रिय थी। वहीं, मुचाकी सोमादा माओवादियों की दंडकारण्य विशेष क्षेत्रीय समिति का हिस्सा था, जो छत्तीसगढ़ और तेलंगाना के सीमावर्ती क्षेत्रों में सक्रिय एक महत्वपूर्ण इकाई है। इन अनुभवी नेताओं का आत्मसमर्पण माओवादी नेटवर्क के लिए एक गंभीर क्षति है,। क्योंकि वे संगठन के भीतर रणनीतिक योजना और कार्यान्वयन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते थे।

सौंपे गए हथियार और गोला-बारूद

आत्मसमर्पण के दौरान माओवादियों ने अपनी प्रतिबद्धता के प्रतीक के रूप में भारी मात्रा में हथियार और गोला-बारूद भी सौंपे। डीजीपी ने बताया कि सौंपे गए हथियारों में एक एके-47 राइफल, दो एसएलआर राइफल, चार . 303 राइफल, एक जी3 राइफल और 346 राउंड गोलियां शामिल हैं और यह हथियारों का जखीरा माओवादियों की सैन्य क्षमता को दर्शाता है और इन हथियारों का मुख्यधारा में आना सुरक्षा बलों के लिए एक बड़ी उपलब्धि है। इन हथियारों का उपयोग अतीत में कई हिंसक घटनाओं में किया गया होगा, और। अब इनका निष्क्रिय होना क्षेत्र में शांति और सुरक्षा के लिए एक सकारात्मक संकेत है।

आत्मसमर्पण के पीछे के कारण और प्रोत्साहन

डीजीपी शिवधर रेड्डी ने आत्मसमर्पण के पीछे के कारणों पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि माओवादियों ने मुख्यमंत्री ए रेवंत रेड्डी की मुख्यधारा में शामिल होने की अपील पर सकारात्मक प्रतिक्रिया दी है और मुख्यमंत्री की यह अपील एक मानवीय दृष्टिकोण को दर्शाती है, जो हिंसा का मार्ग छोड़कर शांतिपूर्ण जीवन अपनाने का अवसर प्रदान करती है। इसके अतिरिक्त, डीजीपी ने कहा कि निरंतर माओवादी विरोधी अभियान, संगठन के भीतर वैचारिक मतभेद और आंतरिक दरार ने भी उनके आत्मसमर्पण के निर्णय को प्रभावित किया। सुरक्षा बलों का लगातार दबाव और संगठन के भीतर बढ़ती असहमति ने उन्हें यह कदम उठाने पर मजबूर किया।

इनाम राशि और भविष्य की अपील

आत्मसमर्पण करने वाले इन माओवादियों पर कुल 1. 40 करोड़ रुपये का नकद इनाम घोषित था, जो उनकी आपराधिक गतिविधियों की गंभीरता को दर्शाता है। इसमें कोय्यदा सांबैया और अप्पासी नारायण पर 20-20 लाख रुपये का इनाम शामिल था और यह इनाम राशि उनकी गिरफ्तारी या आत्मसमर्पण के लिए एक बड़ा प्रोत्साहन थी। डीजीपी ने इस अवसर पर भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) के सभी कार्यकर्ताओं से आगे आने और मुख्यधारा में शामिल होने का आग्रह किया और उन्होंने आश्वासन दिया कि सरकार आत्मसमर्पण करने वाले माओवादियों को पुनर्वास और सम्मानजनक जीवन जीने के अवसर प्रदान करेगी।

हाल ही में मारे गए कुख्यात माओवादी हिडमा का प्रभाव

यह आत्मसमर्पण ऐसे समय में हुआ है जब कुछ दिन पहले ही आंध्र प्रदेश में एक कुख्यात माओवादी हिडमा को सुरक्षा बलों ने मार गिराया था। हिडमा पर 1 करोड़ रुपये का इनाम घोषित था और वह छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले के पुववर्ती गांव के आदिवासी जनजाति मुरिया से ताल्लुक रखता था। वह बाल संघ के माध्यम से माओवादी पार्टी में शामिल हुआ था और सुरक्षा बलों के साथ मुठभेड़ में हिडमा और उसकी पत्नी सहित कुल 6 माओवादी ढेर कर दिए गए थे। हिडमा जैसे शीर्ष नेता का मारा जाना माओवादी संगठन के मनोबल पर गहरा नकारात्मक प्रभाव डालता है और अन्य कैडरों को आत्मसमर्पण करने के लिए प्रेरित कर सकता है, जैसा कि तेलंगाना में देखा गया है। यह घटना दर्शाती है कि सुरक्षा बल माओवादी खतरे से निपटने के लिए लगातार सक्रिय और प्रभावी हैं।

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