Supreme Court: मध्य प्रदेश और राजस्थान में 'कोल्ड्रिफ' कफ सिरप के सेवन से बच्चों की मौत का मामला अब सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है। इस गंभीर मामले को लेकर वकील विशाल तिवारी ने सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की है, जिसमें सीबीआई जांच और कफ सिरप के स्टॉक को जब्त करने की मांग की गई है।
आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, मध्य प्रदेश और राजस्थान में अब तक 'कोल्ड्रिफ' कफ सिरप के सेवन से 18 बच्चों की मौत हो चुकी है। इनमें से 16 मौतें मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा जिले में और 2 राजस्थान के भरतपुर और सीकर में दर्ज की गई हैं। जांच में पाया गया कि सिरप में 48.6% डाईएथिलीन ग्लाइकॉल (DEG) नामक जहरीला रसायन मौजूद था, जो किडनी फेलियर का कारण बन रहा है। यह रसायन बच्चों के लिए घातक साबित हुआ और मौतों का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा।
वकील विशाल तिवारी की जनहित याचिका में निम्नलिखित मांगें प्रमुख हैं:
सीबीआई जांच: सभी संबंधित FIR की जांच केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) को सौंपी जाए।
सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज की निगरानी: कफ सिरप के निर्माण, रेगुलेशन, टेस्टिंग और डिस्ट्रीब्यूशन की जांच सुप्रीम कोर्ट के एक सेवानिवृत्त न्यायाधीश की निगरानी में हो।
राष्ट्रीय जांच समिति: राष्ट्रीय न्यायिक आयोग या विशेषज्ञ समिति द्वारा इस मामले की गहन जांच की जाए।
सिरप स्टॉक की जब्ती: बैन किए गए 'कोल्ड्रिफ' कफ सिरप के सभी मौजूदा स्टॉक को तत्काल जब्त किया जाए।
इस मामले में केंद्र और राज्य सरकारों ने कुछ कदम उठाए हैं:
केंद्र सरकार का एक्शन: छह राज्यों में 19 दवा मैन्युफैक्चरिंग यूनिट्स पर जोखिम आधारित निरीक्षण शुरू किया गया है।
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC): मध्य प्रदेश, राजस्थान और उत्तर प्रदेश सरकारों को नोटिस जारी कर तत्काल जांच और नकली दवाओं पर प्रतिबंध लगाने का निर्देश दिया गया है।
राज्य सरकारों की जवाबदेही: मध्य प्रदेश और राजस्थान में स्थानीय प्रशासन ने सिरप के सैंपल की जांच शुरू की है, लेकिन अभी तक ठोस परिणाम सामने नहीं आए हैं।
'कोल्ड्रिफ' कफ सिरप में पाए गए डाईएथिलीन ग्लाइकॉल (DEG) की उच्च मात्रा बच्चों के लिए जानलेवा साबित हुई है। यह रसायन शरीर में पहुंचकर किडनी को गंभीर नुकसान पहुंचाता है, जिससे किडनी फेलियर और मृत्यु हो रही है। विशेषज्ञों का कहना है कि दवा निर्माण में लापरवाही और गुणवत्ता नियंत्रण की कमी इस त्रासदी का मुख्य कारण है।