Share Market Crash: ताश के पत्तों की तरह ढह गया बाजार, अडानी पर फिर भी हुई पैसों की बौछार

Share Market Crash - ताश के पत्तों की तरह ढह गया बाजार, अडानी पर फिर भी हुई पैसों की बौछार
| Updated on: 02-Jun-2025 10:19 AM IST

Share Market Crash: जैसे अचानक आई तेज़ हवा से ताश के पत्तों का महल बिखर जाता है, कुछ वैसा ही मंजर आज भारतीय शेयर बाजार में देखने को मिला। जून महीने के पहले दिन निवेशकों को उम्मीद थी कि बाजार स्थिर रहेगा, खासकर इस हफ्ते आरबीआई की मौद्रिक नीति को लेकर बड़े फैसले की संभावना के बीच। लेकिन बाजार ने सबको चौंकाते हुए जबरदस्त गिरावट के साथ शुरुआत की।

सेंसेक्स की लुढ़कन – कुछ ही मिनटों में धड़ाम

बीएसई सेंसेक्स ने सुबह बाजार खुलते ही घबराई चाल पकड़ी। मार्केट ओपन होने के मात्र 4 मिनट में सेंसेक्स 650 अंकों से ज्यादा गिरा और 6 मिनट में ये गिरावट 750 अंक से ऊपर पहुंच गई। शुक्रवार को जहां सेंसेक्स 81,451.01 अंक पर बंद हुआ था, वहीं आज 81,214.42 पर खुलने के बाद गिरकर 80,654.26 तक पहुंच गया।

निफ्टी भी रहा निराशाजनक

एनएसई निफ्टी 50 का हाल भी इससे अलग नहीं रहा। शुक्रवार को जहां निफ्टी 24,750.70 पर बंद हुआ था, वहीं आज ये लगभग 80 अंकों की गिरावट के साथ 24,669.70 पर खुला और कुछ ही मिनटों में 24,526.15 के निचले स्तर तक फिसल गया। कुल मिलाकर, निफ्टी ने निवेशकों को यह संकेत दिया कि आने वाला सप्ताह उतार-चढ़ाव से भरा हो सकता है।

अडानी पर पैसों की बौछार

बाजार की इस उथल-पुथल के बीच अगर किसी ने निवेशकों को राहत दी, तो वह था अडानी समूह। बीएसई सेंसेक्स में शामिल अडानी पोर्ट एंड सेज ने टॉप गेनर के रूप में अपनी जगह बनाई। शुरुआती ट्रेड में यह शेयर 1 प्रतिशत से अधिक चढ़कर 1,449.45 रुपये तक पहुंच गया। एनएसई पर भी यह शेयर 1.34 प्रतिशत की मजबूती के साथ 1,452 रुपये पर ट्रेड करता नजर आया।

बैंकिंग और ऑटो सेक्टर में दिखी सबसे ज्यादा कमजोरी

इस गिरते बाजार में सबसे ज्यादा मार बैंकिंग सेक्टर ने झेली। निवेशकों की बेचैनी बैंकिंग शेयर्स में साफ देखी गई। वहीं ऑटो सेक्टर, खासकर दोपहिया वाहन कंपनियों के स्टॉक्स टॉप लूजर्स की लिस्ट में शामिल रहे। ओवरऑल देखा जाए तो शेयर बाजार का मिज़ाज आज बेहद नाज़ुक और घबराहट भरा रहा।

आगे क्या?

आरबीआई की मौद्रिक नीति की घोषणा से पहले निवेशक सतर्क हैं, लेकिन आज की गिरावट ने यह जता दिया है कि बाजार की चाल सिर्फ उम्मीदों पर नहीं, भावनाओं और वैश्विक संकेतों पर भी निर्भर करती है। फिलहाल, निवेशकों को सलाह यही दी जा सकती है कि वे जल्दबाज़ी में कोई फैसला न लें और बाजार की दिशा को समझकर ही रणनीति बनाएं।

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