Rajasthan Political Crisis: नोटिस का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा, तुरंत सुनवाई की मांग पर CJI बोले पहले रजिस्ट्रार के सामने मेंशन करो, पायलट ने दाखिल की कैविएट

Rajasthan Political Crisis - नोटिस का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा, तुरंत सुनवाई की मांग पर CJI बोले पहले रजिस्ट्रार के सामने मेंशन करो, पायलट ने दाखिल की कैविएट
| Updated on: 22-Jul-2020 05:56 PM IST
Rajasthan Political Crisis | राजस्थान में सियासी घमासान का आज 13वां दिन है। विधानसभा स्पीकर सीपी जोशी (Rajasthan Assembly Speaker CP Joshi) ने हाईकोर्ट के आदेश को सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में चुनौती दी है। उनके वकील कपिल सिब्बल (Kapil Sibbal) ने चीफ जस्टिस (Chief Justice of India) एसए बोबड़े (Sharad Arvind Bobde) से इस पर आज ही सुनवाई करने को कहा। लेकिन सीजेआई ने याचिका को रजिस्ट्रार के सामने मेंशन करने को कहा। राजस्थान में चल रहे सियासी जंग में एक के बाद एक वार किए जा रहे हैं. बुधवार को राजस्थान विधानसभा के स्पीकर सीपी जोशी राजस्थान हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंचे हैं, जिसके बाद पायलट खेमे की ओर से कोर्ट में कैविएट  दायर की गई है. उनकी तरफ से आग्रह किया गया है कि कोर्ट उनका पक्ष सुने बिना आदेश जारी ना करे। मंगलवार को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने विधायकों से कहा कि कुछ दिन बाड़ेबंदी में और रुकना पड़ सकता है। इसलिए सभी को मजबूती से डटे रहना है। जीत हमारी ही होगी। उन्होंने कहा की सत्य ही ईश्वर है और ईश्वर ही सत्य है और सत्य हमारे साथ है। सरकार के जरूरी काम होटल से ही किए जा रहे हैं। मंत्री फाइलें होटल में ही मंगवा ली हैं। वहीं, इसके साथ बुधवार को एक बार फिर होटल में दिन की शुरुआत योग और व्यायाम के साथ हुई।

इससे पहले सीपी जोशी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि स्पीकर को बागी विधायकों को कारण बताओ नोटिस भेजने का हक है। उन्होंने कहा, ‘संविधान और सुप्रीम कोर्ट ने जिम्मेदारियां तय की हैं। स्पीकर होने के नाते मैंने कारण बताओ नोटिस दिया। अगर अथॉरिटी कारण बताओ नोटिस जारी नहीं करेगी तो उसका काम क्या होगा।’ मंगलवार को 19 विधायकों को जारी अयोग्यता नोटिस मामले में हाईकोर्ट ने लगातार दूसरे दिन सुनवाई की थी। बहस पूरी होने के बाद 24 जुलाई तक फैसला सुरक्षित रख लिया। तब तक स्पीकर इन विधायकों के खिलाफ कार्यवाही नहीं कर सकते हैं।

जोशी ने 14 जुलाई को नोटिस दिया था

दरअसल, कांग्रेस के चीफ व्हिप महेश जोशी की शिकायत पर स्पीकर ने 14 जुलाई को इन विधायकों को दल बदल विरोधी कानून के तहत सदस्यता खारिज करने का नोटिस दिया था। स्पीकर से शिकायत में कहा गया था कि विधायक दल की बैठक के लिए पार्टी ने व्हिप जारी किया था, लेकिन पायलट खेमे ने इसका पालन नहीं किया। उधर, पायलट खेमे का कहना है कि व्हिप विधानसभा सत्र के दौरान लागू होता है ना कि पार्टी बैठक के लिए।

अब तक क्या हुआ?

  • 14 जुलाई: स्पीकर ने सचिन पायलट सहित 19 विधायकों को अयोग्यता का नोटिस दिया और 17 जुलाई को दोपहर 1:30 बजे तक जवाब मांगा।
  • 16 जुलाई: नोटिस के खिलाफ पायलट सहित 19 विधायक हाईकोर्ट चले गए। पीछे-पीछे व्हिप चीफ महेश जाेशी ने सरकार की तरफ से कैविएट लगा दी कि कोई भी फैसला किए जाने से पहले उनका पक्ष भी सुना जाए।
  • 17 जुलाई: हाईकोर्ट की सिंगल बेंच ने सुनवाई की और मामला दो जजों की बेंच में भेजा। इस बेंच ने 18 जुलाई को सुनवाई तय की।
  • 18 जुलाई: अगली सुनवाई 20 जुलाई तय की और स्पीकर से कहा कि वे 21 जुलाई तक नोटिस पर कार्यवाही नहीं करें। स्पीकर ने भी इसकी पालना करते हुए कार्यवाही टाली।
  • 20 जुलाई: हाईकोर्ट ने बहस पूरी न हो पाने के कारण कहा- 21 जुलाई को भी सुनवाई होगी।
  • 21 जुलाई: हाईकोर्ट ने फिर मामले को सुना और फैसला 24 जुलाई के लिए सुरक्षित रख लिया। स्पीकर को भी तब तक के लिए कोई निर्णय नहीं करने के लिए कहा।
हाईकोर्ट का फैसला पायलट खेमे के पक्ष में आया तो

पायलट सहित 19 विधायकों की सदस्यता बची रहेगी। अगर गहलोत सरकार ने व्हिप जारी कर फ्लोर टेस्ट किया, तब इन्हें सरकार के पक्ष में वोट करना होगा। अगर नहीं किया तो सदस्यता जाने का खतरा रहेगा। फ्लोर टेस्ट से बाहर रहे तो फिर भी सदस्यता जा सकती है।

और स्पीकर के पक्ष में आया तो

सभी 19 विधायकों की सदस्यता जा सकती है। हालांकि, हाईकोर्ट में चली बहस में स्पीकर के वकीलों ने दलील दी कि नोटिस के मामले में सभी विधायकों पर एक साथ कार्रवाई नहीं होगी। बल्कि केस टू केस मामला देखा जाएगा। ऐसे में जो विधायक पायलट खेमा छोड़ने को तैयार होगा उसे राहत मिल सकती है। राजस्थान में सियासी घमासान की धुरी रहे फोन टैपिंग मामले में राज्य सरकार ने केंद्रीय गृह मंत्रालय को रिपोर्ट भेज दी है। सूत्रों के मुताबिक, राज्य सरकार ने रिपोर्ट में कहा है कि फोन टैपिंग में नियमों का पालन किया गया है। राज्य के गृह सचिव की अनुमति के बाद ही टेलीफोन टैपिंग की गई। साथ ही, किसी भी राजनीतिक व्यक्ति का फोन टैप नहीं किया गया है। शनिवार को केंद्रीय गृह मंत्रालय ने राज्य के मुख्य सचिव से टेलीफोन टैपिंग को लेकर विस्तृत रिपोर्ट मांगी थी। 

कॉल रिकॉर्डिंग के आधार पर अशोक सिंह और भरत मलानी को किया गिरफ्तार

स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप (एसओजी) ने सबसे पहले भाजपा नेता अशोक सिंह और भरत मलानी को कॉल रिकॉर्डिंग के आधार पर गिरफ्तार किया था। एसओजी ने बताया था कि तस्करी के मामले में कॉल रिकॉर्डिंग के दौरान ही विधायकों की खरीद-फरोख्त के इनपुट मिले थे। इसके बाद इन दोनों को गिरफ्तार किया गया था। इसके अलावा, मामले में एसओजी में तीनों विधायकों के खिलाफ भी शिकायत दर्ज की गई थी। इनमें दौसा की महवा सीट से विधायक ओमप्रकाश हुड़ला, अजमेर की किशनगढ़ सीट से विधायक सुरेश टांक और पाली जिले में मारवाड़ जंक्शन से विधायक खुशवीर सिंह के नाम हैं। आरोप है कि इन तीनों विधायकों ने राज्यसभा चुनाव से पहले बांसवाड़ा में विधायकों से संपर्क किया था। उन्हें खरीद फरोख्त के लिए करोड़ों रुपए की रकम देने का ऑफर दिया था। तीनों विधायकों के संपर्क अशोक सिंह और भरत मालानी से बताए जा रहे थे।

फिर 16 जुलाई को वायरल हुए थे खरीद-फरोख्त से जुड़े ऑडियो

इसके बाद, 16 जुलाई को विधायकों की खरीद-फरोख्त से जुड़े हुए तीन ऑडियो वायरल हुए थे। इसमें संजय जैन और गजेंद्र सिंह और भंवरलाल शर्मा का नाम सामने आया था। इसके बाद कांग्रेस के मुख्य सचेतक महेश जोशी ने भंवरलाल शर्मा, गजेंद्र सिंह और संजय जैन के खिलाफ एसओजी में एफआईआर दर्ज करवाई थी। इस बीच 18 जुलाई को जांच के लिए एसआईटी का गठन कर दिया गया। सीआईडी क्राइम ब्रांच और एटीएस-एसओजी एक साथ मिलकर काम कर रही हैं। वहीं, एसीबी द्वारा भी एफआईआर दर्ज कर ऑडियो सैंपल जांच के लिए एफएसएल के पास भेजे गए हैं।

पहली बार हुआ कानून का ऐसा दुरुपयोग : उपनेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ 

हाईकोर्ट की ओर से निर्णय सुरक्षित रखे जाने के बाद भाजपा ने अब 24 तारीख तक इंतज़ार करने की रणनीति बनाई है। भाजपा का प्लान है कि फिलहाल सरकार के बाड़ेबंदी में रहते हुए ही लगातार वार किए जाएं। माना जा रहा है कि 24 जुलाई के बाद भाजपा अपने विधायकों व प्रमुख नेताओं की बडी बैठक बुला सकती है। भाजपा मान रही इस पूरे घटनाक्रम में फिलहाल वह दोनों तरह से ही जीत में है। उप नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठाैड़ ने कहा कि पायलट गुट के विधायकाें के घराें पर जाे नाेटिस चिपकाए गए है, वह गैर कानूनी है, एसा दुरुपयाेग कानून का राजस्थान में कभी नहीं हुआ। 

भाजपा प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनिया ने कहा है कि यह न्यायिक व्यवस्था का हिस्सा है। भाजपा को  फिलहाल उम्मीद है कि कोई अच्छा निर्णय आएगा। उन्होंने कहा कि आखिर सरकार कब तक बाड़ेबंदी में रहेगी। पूनिया ने प्रदेश में सीबीआई कार्यवाही को लेकर कहा है कि विष्णुदत्त प्रकरण की जांच सीबीआई के पास पहले से है। मामले को सियासी घटनाक्रम से जोड़ना ठीक नहीं होगा। जब एसओजी और एसीबी तत्पर हो सकती है तो सीबीआई भी तत्पर हो सकती है। उप नेता प्रतिपक्ष राजेन्द्र राठौड़ का कहना है कि न्यायिक निर्णय लेकर सभी को इंतज़ार है, लेकिन दूसरी तरफ बाड़े में बंद विधायक भी परेशान हो रहे हैं। सरकार कब तक विधायकों को बंद रखेगी। राठौड़ ने कहा कि राज्य में मानसून की बेरुखी है। 33 में से 31 जिले सूखे की चपेट में आ चुके हैं। कोरोना संक्रमित भी 30 हजार के पार हो चुके हैं। सरकार 5 सितारा होटल में अलमस्त है। प्रदेश की चिंता ही नही है। उन्होंने कहा कि विष्णुदत्त विश्नोई मामले की सीबीआई की जांच राज्य सरकार की अनुशंसा से हो रही है। उन्होंने कहा कि इसे वर्तमान से नहीं जोड़ा जाए। राठौड़ ने कहा कि 24 जुलाई को सरकार को बाड़ेबंदी के 12 दिन हो जाएंगे। 

भाजपा कोर्ट में जाएगी बसपा मामले में

आगामी दिनों में भारतीय जनता पार्टी बसपा के 6 विधायकों के कांग्रेस में विलय के मुद्दे को कानूनी मुद्दा बनाकर लड़ाई में तेज़ी लाएगी। भाजपा के वरिष्ठ विधायक मदन दिलावर ने विधानसभा अध्यक्ष के सामने 13 मार्च को अपील की थी। भाजपा आगामी दिनों में हम इस मुद्दे को लेकर कोर्ट भी जाने की तैयारी कर रही है। आगामी दिनों में भारतीय जनता पार्टी बसपा के 6 विधायकों के कांग्रेस में विलय के मुद्दे को कानूनी मुद्दा बनाकर लड़ाई में तेज़ी लाएगी। भाजपा के वरिष्ठ विधायक मदन दिलावर ने विधानसभा अध्यक्ष के सामने 13 मार्च को अपील की थी। भाजपा आगामी दिनों में हम इस मुद्दे को लेकर कोर्ट भी जाने की तैयारी कर रही है।

दानिश अबरार, प्रशांत बैरवा काे पायलट ने जिताया, लेकिन वे साथ छाेड़ गए: जौनापुरिया

भाजपा सांसद सुखबीर सिंह जौनापुरिया ने सचिन पायलट और उनके सहयोगियों के साथ हो रहे बर्ताव को दुर्भाग्यपूर्ण बताया है। एक वीडियो जारी कर जौनापुरिया ने पायलट से कहा कि आप जिस दिन विधानसभा का चुनाव जीतकर आए थे। उसी दिन यह कदम उठाते तो राजस्थान के मुख्यमंत्री होते। राजस्थान में आपको समाज का इतना समर्थन मिला कि भाजपा का एक भी गुर्जर प्रत्याशी विधायक नहीं बन सका। गुर्जर समाज अब भी आपके साथ है। जाैनापुरिया ने कहा कि दानिश अबरार, प्रशांत बैरवा आज सचिन पायलट के कारण विधायक बने हैं। दाेनाें काे जिताने में पायलट की भूमिका रही है, लेकिन दाेनाें ने उनका साथ छाेड़ दिया। राजस्थान के सियासी घमासान के बीच होटल में विधायकों की बाड़ेबंदी जारी है। मुख्यमंत्री गहलोत खेमे के विधायकों को होटल फेयरमोंट में रहते हुए बुधवार को 10 दिन पूरे हो गए। 13 जुलाई को विधायक दल की मीटिंग के बाद सभी विधायकों को होटल में लाया गया था। इस दौरान मुख्यमंत्री गहलोत लगातार विधायकों से मिलने के लिए होटल आते रहे हैं।  

गहलोत बोले पायलट ग्रुप वाले भी हमारे साथ

सीएम अशोक गहलोत अपने कैंप के विधायकों को मोटिवेशन देने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं। गहलोत ने होटल में बैठक के दौरान विधायकों से कहा कि सरकार स्थिर हैं और पायलट खेमे के विधायक हमारे सम्पर्क में हैं। गहलोत ने दावा किया कि जो विधायक अभी हमारे साथ नहीं दिखाई दे रहे हैं, वो भी हमें वोट करेंगे। फ्लोर टेस्ट होने की स्थिति में छह विधायक और आने की बात गहलोत खेमे की ओर से कही जा रही है। हालांकि, इनके नामों का खुलासा बैठक में नहीं किया गया। मुख्यमंत्री गहलोत का कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष व पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट पर जुबानी हमला जारी है। विधायकों की बैठक में उन्होंने कहा कि जो लोग लुका छिपी का खेल खेल रहे हैं। वे सत्य की राह पर नहीं हो सकते, क्योंकि सत्य कभी छिपता नहीं है। उन्होंने कहा कि एक ओर राज्य सरकार कोविड-19 के खिलाफ लड़ाई लड़ रही थी। वहीं, दूसरी ओर कांग्रेस के ही प्रदेश अध्यक्ष और कुछ विधायक भाजपा के साथ मिलकर सरकार गिराने का षड्यंत्र रच रहे थे। पार्टी से गद्दारी करने वाले लोग जनता के बीच जाकर मुंह नहीं दिखा पाएंगे। मुख्यमंत्री के अलावा होटल में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सभी विधायकों को नैतिकता का पाठ भी पढ़ा रहे हैं। विधायक भी बैठकों में हाथ उठाकर हर पल सरकार के साथ रहने का वादा कर रहे हैं। बात दें कि, मंगलवार को हुई विधायक दल की बैठक में 103 विधायकों के उपस्थित होने का दावा किया गया।


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