India-Arab Relations: अरब देश विश्व के उन चुनिंदा क्षेत्रों में शामिल हैं जहां अपार प्राकृतिक संसाधन मौजूद हैं, लेकिन इन संसाधनों का उपयोग और उनका सामाजिक-सांस्कृतिक प्रभाव, राजनीतिक व्यवस्था के साथ गहराई से जुड़ा रहा है। ऐतिहासिक रूप से राजशाही व्यवस्था पर आधारित इन देशों की राजनीति अब धीरे-धीरे परिवर्तन के दौर से गुजर रही है। जहां एक समय तेल आधारित अर्थव्यवस्थाएं और पारंपरिक शासन प्रणाली प्रमुख थीं, वहीं अब आधुनिकता, नवाचार और वैश्विक भागीदारी के नए दौर की शुरुआत हो चुकी है।
आज के अरब की तस्वीर बदल रही है। सऊदी अरब के प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान (MBS), दुबई के क्राउन प्रिंस शेख हमदान बिन मोहम्मद अल मकतूम और अबू धाबी के प्रिंस शेख खालिद बिन मोहम्मद बिन जायद अल नाहयान जैसे युवा नेता इस बदलाव की अगुआई कर रहे हैं। ये सिर्फ अपने-अपने देशों के शासक नहीं हैं, बल्कि विचारों और कार्यों से एक नई अरब संस्कृति को जन्म दे रहे हैं—जहां परंपरा और प्रगति एक-दूसरे के विरोधी नहीं, पूरक बनते जा रहे हैं।
शेख हमदान, शेख खालिद और प्रिंस सलमान ने यह साबित किया है कि परिवर्तन सिर्फ तकनीकी या आर्थिक नहीं होता, बल्कि यह मानसिकता और दृष्टिकोण का भी होता है। ये नेता न केवल वैश्विक मंचों पर अरब की उपस्थिति दर्ज करा रहे हैं, बल्कि अपने समाज में सामाजिक सुधार, महिला सशक्तिकरण, शिक्षा और हरित ऊर्जा जैसी पहलों को भी गति दे रहे हैं।
दुबई के क्राउन प्रिंस शेख हमदान की हालिया भारत यात्रा इस बात का प्रमाण है कि भारत और अरब देशों के रिश्तों में एक नया युग शुरू हो चुका है। यह उनकी भारत की पहली आधिकारिक यात्रा थी, जिसे दोनों देशों के बीच रणनीतिक साझेदारी को सशक्त करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है। उनकी 'दुबई ग्लोबल' पहल भारत के आर्थिक और व्यापारिक दृष्टिकोण से मेल खाती है और दोनों देशों के बीच सहयोग की नई संभावनाएं खोलती है।
शेख हमदान की बेटी का नाम 'हिंद' रखना, सिर्फ एक व्यक्तिगत निर्णय नहीं है, बल्कि यह भारत के प्रति उनके सम्मान और स्नेह का प्रतीक है। उनके सोशल मीडिया प्रभाव और आधुनिक जीवनशैली के चलते वे अरब युवाओं के बीच एक रोल मॉडल बन चुके हैं।
शेख खालिद बिन मोहम्मद बिन जायद अल नाहयान की पहचान एक दूरदर्शी नेता के रूप में है जिन्होंने भारत और UAE के संबंधों को एक नई ऊंचाई दी है। उनकी भूमिका केवल कूटनीतिक नहीं, बल्कि सांस्कृतिक और मानवीय भी है। उन्होंने दोनों देशों के बीच निवेश, व्यापार, शिक्षा और ऊर्जा के क्षेत्रों में सहयोग को प्रोत्साहित किया है।
उनकी अगुवाई में दोनों देशों के बीच CEPA (Comprehensive Economic Partnership Agreement) जैसे ऐतिहासिक समझौते हुए हैं, जिसने द्विपक्षीय व्यापार को नई दिशा दी है। वहीं, UAE में बसे लाखों भारतीय प्रवासियों की सामाजिक सुरक्षा और सांस्कृतिक जुड़ाव को लेकर उनका दृष्टिकोण काफी सकारात्मक रहा है।
मोहम्मद बिन सलमान का "विजन 2030" एक क्रांतिकारी पहल है, जिसका उद्देश्य सऊदी अरब की अर्थव्यवस्था को तेल पर निर्भरता से हटाकर विविध क्षेत्रों में विकसित करना है। इस महत्वाकांक्षी योजना में भारत एक अहम साझेदार बनकर उभरा है। रक्षा, निवेश, तकनीक और रणनीतिक सहयोग के क्षेत्रों में दोनों देशों के संबंध पहले से कहीं अधिक मजबूत हुए हैं।
MBS के नेतृत्व में सऊदी अरब ने सामाजिक सुधारों की दिशा में कई साहसिक कदम उठाए हैं। महिला अधिकारों, मनोरंजन उद्योग और पर्यटन को लेकर उठाए गए कदमों ने न केवल देश की छवि को बदला है बल्कि विश्व मंच पर अरब की भूमिका को फिर से परिभाषित किया है।
आज अरब देश भारत को केवल एक व्यापारिक साझेदार नहीं बल्कि एक रणनीतिक, सांस्कृतिक और तकनीकी सहयोगी के रूप में देख रहे हैं। अरब में बसे भारतीय प्रवासी वहां की अर्थव्यवस्था का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं, जबकि भारत के लिए अरब देश ऊर्जा, निवेश और भू-राजनीतिक दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण हैं।
शेख हमदान, शेख खालिद और प्रिंस सलमान जैसे युवा नेताओं के नेतृत्व में भारत और अरब देशों के संबंध नई ऊंचाइयों की ओर अग्रसर हैं। यह नेतृत्व केवल शासन की शैली नहीं बदल रहा, बल्कि भविष्य की सोच, नीति और दिशा को भी नया आकार दे रहा है।
अरब देशों की राजनीति और विकास की कहानी अब महज़ तेल और राजशाही तक सीमित नहीं रही। यह अब नवाचार, समावेशन, वैश्विक सहयोग और सांस्कृतिक पुनरुत्थान की ओर अग्रसर हो रही है। भारत के साथ अरब देशों की बढ़ती निकटता न केवल दोनों देशों के लिए लाभकारी है, बल्कि एक स्थिर और समृद्ध वैश्विक दक्षिण की दिशा में भी एक आशाजनक संकेत है।