भारत-चीन विवाद: चीन के एप्स पर प्रतिबंध लगाने की असल वजह आई सामने, सरकार ने इसलिए लिया फैसला

भारत-चीन विवाद - चीन के एप्स पर प्रतिबंध लगाने की असल वजह आई सामने, सरकार ने इसलिए लिया फैसला
| Updated on: 02-Jul-2020 11:08 AM IST
Delhi: भले ही भारत द्वारा चीन के 59 एप्स पर प्रतिबंध लगाना उसके लिए आर्थिक झटका माना जा रहा हो, लेकिन उच्चस्तरीय सूत्रों ने कुछ और ही वजह बताई है। अब तक ऐसा लग रहा था कि सरकार ने वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर चीनी सेना द्वारा की गई कायराना हरकत को लेकर एप्स पर प्रतिबंध लगाया है, ताकि बीजिंग को एक सख्त संदेश भेजा जा सके। 

लेकिन उच्चस्तरीय सूत्रों का कहना है कि सरकार ने यह कदम इसलिए उठाया ताकि चीनी कम्युनिस्ट पार्टी (सीसीपी) को एप्स के माध्यम से डाटा चुराकर उसे राजनीतिक और सैन्य उद्देश्यों के लिए प्रयोग करने से रोका जा सके। 

यह निर्णय चीन और उसकी संस्थाओं को भारत में नागरिक संरचना और एआई जैसी उभरती हुई तकनीक वाले सेक्टर में रोकने के लिए बनाई जा रही योजना का एक हिस्सा है। साथ ही सीसीपी की 'मिलिट्री-सिविलियन फ्यूजन' रणनीति को विफल करना भी इसके पीछे का एक कारण है। 

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'मिलिट्री-सिविलियन फ्यूजन' रणनीति के तहत सीसीपी टिकटॉक और यूसी ब्राउजर जैसे एप्स का इस्तेमाल करते हुए इसके डाटा का इस्तेमाल राजनीतिक और सैन्य उद्देश्यों के लिए कर सकती है। उदाहरण के लिए, रिपोर्टों में खुलासा हुआ है कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की हाल की रैली पंजीकरणों को टिकटॉक बॉट्स द्वारा हाईजैक कर लिया गया था, जो भारत के लिए खतरे की घंटी है।  


भले ही भारत ने लद्दाख में उत्पन्न हुए संकट के बाद चीनी एप्स पर प्रतिबंध लगाया है, लेकिन सुरक्षा एजेंसियों द्वारा लंबे समय से इन एप्स को लेकर सरकार को सतर्क किया जा रहा था। 


माओ के समय से 'मिलिट्री-सिविलियन फ्यूजन' को प्रोग्राम को चीन में छोटे और काफी बुनियादी स्तर पर चलाया जा रहा था। लेकिन वर्तमान समय में, राष्ट्रपति शी जिनपिंग के आदेश के बाद से इस प्रोग्राम को पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) के लिए नई पीढ़ी की उन्नत प्रौद्योगिकियों और चीन के राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंडा का निर्माण करने के लिए चलाया जा रहा है। 


इसके लिए नागरिक प्रौद्योगिकियों, शिक्षा, मनोरंजन और अनुसंधान को एक साथ लाने की परिकल्पना पर काम किया जा रहा है, ताकि चीन अपने मंसूबों में कामयाब हो सके। 

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