दिल्ली: मह‍िला का अनोखा ऑपरेशन हुआ, 30 साल बाद महिला ने खोला मुंह, खून भरी नसों से भरा हुआ था चेहरा

दिल्ली - मह‍िला का अनोखा ऑपरेशन हुआ, 30 साल बाद महिला ने खोला मुंह, खून भरी नसों से भरा हुआ था चेहरा
| Updated on: 30-Mar-2021 02:59 PM IST
दिल्ली के पंजाब नेशनल बैंक में सीनियर मैनेजर के पद पर काम कर रही मह‍िला का अनोखा ऑपरेशन हुआ। उनका मुंह 30 साल से बंद था ज‍िसको एक गंभीर ऑपरेशन के माध्यम से खोला गया। डेढ़ महीने पहले 30 साल की महिला आस्था मोंगिया को सर गंगा राम अस्पताल के प्लास्टिक सर्जरी विभाग में लाया गया जहां ये इलाज हुआ। महिला जन्मजात विकार से पीड़ित थी। उसके जबड़े की हड्डी मुंह के दोनों तरफ से खोपड़ी की हड्डी से जुड़ गई थी। उसकी वजह से वह अपना मुंह नहीं खोल सकती थी। यहां तक क‍ि वह अपनी अंगुली से अपनी जीभ को छू तक नहीं सकती थी। वह तरल पदार्थ पर जिन्दा थी। 

मुंह न खुलने से, दांतों में इन्फेक्शन के कारण कुछ ही दांत रह गये थे। एक आंख से देख भी नहीं सकती थी। सबसे बड़ी दिक्कत यह थी कि उसका पूरा चेहरा ट्यूमर की खून भरी नसों से भरा हुआ था। इसकी वजह से कोई भी अस्पताल सर्जरी के लिए तैयार नहीं था। परिवार भारत, यूनाइटेड किंगडम और दुबई के बड़े अस्पतालों में हो आया था। सभी ने सर्जरी के लिए मना कर दिया। (फोटो: गेटी इमेज) 

डॉक्टर राजीव आहूजा, सीनियर प्लास्टिक सर्जन, डिपार्टमेंट ऑफ़ प्लास्टिक एंड कॉस्मेटिक सर्जरी, सर गंगा राम अस्पताल के अनुसार, “जब हमने मरीज़ को देखा तो परिवार को बताया कि सर्जरी बहुत ही रिस्की (जटिल) है और अत्यधिक रक्तस्राव से ऑपरेशन टेबल पर मौत भी हो सकती है। हमने प्लास्टिक सर्जरी, वैस्कुलर सर्जरी एवं रेडियोलॉजी विभाग की टीम बुलाई और बहुत विचार विमर्श करने के बाद इस जटिल सर्जरी को अंजाम देने का फैसला किया। इस जटिल सर्जरी के लिए टीम का नेतृत्व डॉक्टर राजीव आहूजा द्वारा किया गया था और इसमें डॉक्टर रमन शर्मा और डॉक्टर इतिश्री गुप्ता (प्लास्टिक सर्जरी), डॉक्टर अंबरीश सात्विक (वैस्कुलर एंड एंडोवस्कुलर सर्जरी) और डॉक्टर जयश्री सूद और डॉक्टर अमिताभ (एनेस्थि‍सिया टीम) का सहयोग रहा।

ऑपरेशन से 3 हफ्ते पहले मरीज़ के चेहरे पर एक खास इंजेक्शन (स्क्लेरोसैंट) लगाया गया, जिससे खून से भरी नसें थोड़ी बहुत सिकुड़ जाती हैं। 20 मार्च 2021 को मरीज़ को ऑपेरशन थिएटर ले जाया गया। सबसे पहले धीरे-धीरे ट्यूमर की नसों को बचाते हुए डॉक्टर मुंह के दाहिने हिस्से में पहुंचे जहां जबड़ा खोपड़ी से जुड़ गया था। फिर उसको काटकर अलग कर दिया गया। इसी तरह से बायें हिस्से में भी जुड़े हुए जबड़े को अलग किया। यहां जरा सी गलती से अगर ट्यूमर की नस कट जाती तो मरीज़ की ऑपरेशन थिएटर में ही मौत हो सकती थी। पूरी तरह से सफल ऑपरेशन में साढ़े तीन घंटे का समय लगा। 

ऑपरेशन टेबल पर मरीज़ का मुंह ढाई सेंटीमीटर खुल चुका था। 25 मार्च 2021 को आस्था की जब अस्पताल से छुट्टी की गयी तो उसका मुंह 3 सेंटीमीटर खुल चुका था। एक सामान्य व्यक्ति का मुंह 4 से 6 सेंटीमीटर खुलता है। डॉक्टर राजीव आहूजा ने बताया कि अभी मुंह की फिजियोथेरेपी एवं व्यायाम से उसका मुंह और ज्यादा खुलेगा।

हेमंत पुष्कर मोंगिया (मरीज के पिता) के अनुसार, “मेरी बेटी ने पिछले 30 वर्षों में बहुत कष्ट झेला है, उसका मुंह इतना भी नहीं खुलता था कि वह अपनी जीभ को हाथ से छू भी नहीं सकती। अब सफल सर्जरी के बाद वह न केवल अपना मुंह खोल सकती है, बल्कि अपनी जीभ को भी छू सकती है। वह अब सामान्य तरीके से बातचीत कर सकती है। 

30 साल बाद अपना मुंह खोलते हुए आस्था मोंगिया ने कहा, "इस दूसरे जन्म के लिए मैं भगवान और डॉक्टरों का धन्यवाद करती हूं।" 

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