दुनिया: वर्ल्ड बैंक ने बढ़ाई पाकिस्तान की टेंशन, कहा- भारत के साथ जल विवाद में कुछ नहीं कर सकते

दुनिया - वर्ल्ड बैंक ने बढ़ाई पाकिस्तान की टेंशन, कहा- भारत के साथ जल विवाद में कुछ नहीं कर सकते
| Updated on: 09-Aug-2020 07:03 AM IST
इस्लामाबाद। विश्व बैंक (World Bank) ने पाकिस्तान (Pakistan) को बड़ा झटका देते हुए भारत (India) के साथ सालों से चल रहे उसके जल विवाद में मध्यस्थता करने से इनकार कर दिया है। वर्ल्ड बैंक ने पाकिस्तान को दो टूक लहजे में कहा है कि दोनों देशों को किसी तटस्थ विशेषज्ञ या न्यायालय मध्यस्थता की नियुक्ति पर विचार करना चाहिए। इस विवाद में हम कुछ नहीं कर सकते हैं। इस्लामाबाद में अपना पांच साल का कार्यकाल पूरा करने पर विश्व बैंक के पाकिस्तान मामलों के पूर्व निदेशक पेटचमुथु इलंगोवन ने कहा कि इस विवाद को हल करने के लिए भारत और पाकिस्तान दोनों को साथ मिलकर काम करने की जरुरत है। बता दें कि पाकिस्तान ने विश्व बैंक से भारत के दो जल विद्युत परियोजनाओं को लेकर कोर्ट ऑफ आर्बिट्रेशन (COA) की नियुक्ति के लिए अनुरोध किया था।

पाकिस्तान को भारत के 330 मेगावॉट के किशनगंगा पनबिजली परियोजना और 850 मेगावॉट के रातले जलविद्युत परियोजना पर आपत्ति है। जबकि भारत का कहना है कि हम विश्व बैंक के नियमों के अनुसार जम्मू-कश्मीर के विकास के लिए इन परियोजनाओं को संचालित कर रहे हैं। 1947 में आजादी मिलने के बाद से ही दोनों देशों में पानी को लेकर विवाद शुरू हो गया। दरअसल, सिंधु जल प्रणाली जिसमें सिंधु, झेलम, चिनाब,रावी, ब्यास और सतलज नदियां शामिल हैं ये भारत और पाकिस्तान दोनों देशों में बहती हैं। पाकिस्तान का आरोप है कि भारत इन नदियों पर बांध बनाकर पानी का दोहन करता है और उसके इलाके में पानी कम आने के कारण सूखे के हालात रहते हैं।

सिंधु जल समझौता

पानी को लेकर दोनों देशों के बीच विवाद जब ज्यादा बढ़ गया तब 1949 में अमेरिकी विशेषज्ञ और टेनसी वैली अथॉरिटी के पूर्व प्रमुख डेविड लिलियंथल ने इसे तकनीकी रूप से हल करने का सुझाव दिया। उनके राय देने दे बाद इस विवाद को हल करने के लिए सितंबर 1951 में विश्व बैंक के तत्कालीन अध्यक्ष यूजीन रॉबर्ट ब्लेक ने मध्यस्थता करने की बात स्वीकार कर ली। जिसके बाद 19 सितंबर, 1960 को भारत और पाकिस्तान के बीच सिंधु जल समझौता हुआ

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