India-Canada Relations: उधर ईरान-इजराइल में जंग, इधर भारत ने खालिस्तानियों पर कसी नकेल

India-Canada Relations - उधर ईरान-इजराइल में जंग, इधर भारत ने खालिस्तानियों पर कसी नकेल
| Updated on: 14-Jun-2025 10:07 AM IST

India-Canada Relations: जहां एक ओर इजराइल और ईरान के बीच संघर्ष तेजी से बढ़ता जा रहा है, वहीं दूसरी ओर भारत और कनाडा के बीच लंबे समय से चले आ रहे तनावपूर्ण रिश्तों में नरमी के संकेत मिलने लगे हैं। दोनों देश अब खालिस्तानी गतिविधियों पर मिलकर कार्रवाई की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं। यह एक बड़ा कूटनीतिक बदलाव माना जा रहा है, खासकर उस पृष्ठभूमि में जब पिछले साल दोनों देशों के संबंध निचले स्तर पर पहुंच गए थे।

खालिस्तानी नेटवर्क के खिलाफ साझा मोर्चा

भारत और कनाडा अब एक ऐसा ढांचा तैयार कर रहे हैं, जिसमें दोनों देशों की जांच एजेंसियां और पुलिस एक-दूसरे के साथ इंटेलिजेंस साझा कर सकेंगी। इस सहयोग के तहत सीमा पार अपराध, आतंकवाद, कट्टरपंथ और संगठित अपराध जैसी समस्याओं पर संयुक्त कार्रवाई की जाएगी। यह साझेदारी खास तौर पर खालिस्तान समर्थक संगठनों और ट्रांसनेशनल गैंग्स पर शिकंजा कसने में अहम भूमिका निभा सकती है।

G7 सम्मेलन: रिश्तों को सुधारने का सुनहरा अवसर

ऐसा माना जा रहा है कि आगामी G7 समिट के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कनाडा के नए प्रधानमंत्री मार्क कार्नी की संभावित मुलाकात दोनों देशों के बीच नई शुरुआत का आधार बन सकती है। भारत के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने संकेत दिया है कि यह मीटिंग द्विपक्षीय और वैश्विक दोनों स्तर पर चर्चा का एक अहम मंच हो सकती है।

कनाडा की चिंता: जांच में पारदर्शिता की मांग

इस नए सहयोग में कनाडा खासतौर पर उन मामलों की जांच में दिलचस्पी दिखा रहा है, जिन्हें वह कथित एक्स्ट्रा-ज्यूडिशियल किलिंग्स मानता है। कनाडा का आरोप रहा है कि भारत सरकार ने विदेश में अपने विरोधियों को निशाना बनाया, जिसे भारत पहले ही सिरे से खारिज कर चुका है। भारत ने इन आरोपों को आधारहीन और राजनीति से प्रेरित करार दिया था।

अतीत की तनातनी: ट्रूडो के आरोप और भारत की प्रतिक्रिया

2023 में तत्कालीन कनाडाई प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने भारत पर वैंकूवर के पास एक गुरुद्वारे के बाहर खालिस्तानी नेता की हत्या करवाने का आरोप लगाया था। भारत ने इस पर तीखी प्रतिक्रिया दी और ट्रूडो के बयान को 'राजनीतिक नौटंकी' बताया। भारत का हमेशा से यह आरोप रहा है कि कनाडा में खालिस्तान समर्थकों को खुली छूट दी गई है, जो देश की एकता और अखंडता के लिए खतरा हैं।

भविष्य की राह: सहयोग या संदेह?

अब जब कनाडा को भी खालिस्तानी नेटवर्क की गंभीरता का एहसास हो रहा है, तब यह नया संवाद और सहयोग दोनों देशों के लिए जरूरी हो गया है। यदि यह समझौता सफल होता है तो यह सिर्फ खालिस्तानी गतिविधियों पर लगाम लगाने में ही नहीं, बल्कि भारत-कनाडा संबंधों को एक नई दिशा देने में भी मददगार साबित होगा।

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