Indian Economy: ये 18 राज्य देंगे देश की इकोनॉमी को रफ्तार, कितनी बढ़ेगी उनकी आय

Indian Economy - ये 18 राज्य देंगे देश की इकोनॉमी को रफ्तार, कितनी बढ़ेगी उनकी आय
| Updated on: 04-Jul-2024 07:00 AM IST
Indian Economy: किसी भी देश की इकोनॉमी को रफ्तार देने के उस देश के राज्यों का भी काफी अहम योगदान होता है. अगर राज्यों की इकोनॉमी और आय अच्छी होगी को देश की इकोनॉमी की रफ्तार और जीडीपी भी अपने नाम बढ़ जाएगी. इस बार क्रिसिल की रिपोर्ट जो आया है, वो देश की इकोनॉमी के लिए काफी गुड न्यूज कही जा सकती है. क्रिसिल ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि मौजूदा वित्त वर्ष में देश के 18 राज्यों की कमाई में अच्छी तेजी देखने को मिल सकती है. खास बात तो ये है कि इन 18 राज्यों में देश की जीडीपी में 90 फीसदी से ज्यादा की हिस्सेदारी है. आइए आपको भी बताते हैं कि आखिर क्रिसिल ने अपनी रिपोर्ट में क्या कहा है?

जीडीपी में 90 फीसदी योगदान

साख निर्धारित करने वाली एजेंसी क्रिसिल रेटिंग्स ने एक रिपोर्ट में कहा कि देश के टॉप 18 राज्यों का रेवेन्यू चालू वित्त वर्ष 2024-25 में 8 से 10 फीसदी बढ़कर 38 लाख करोड़ रुपए होने का अनुमान है. इन 18 राज्यों का भारत के सकल राज्य घरेलू उत्पाद में 90 फीसदी योगदान है. बीते वित्त वर्ष 2023-24 में इन राज्यों के राजस्व में सात प्रतिशत की वृद्धि हुई थी. रिपोर्ट के अनुसार, यह वृद्धि मुख्य रूप से मजबूत जीएसटी संग्रह और केंद्र से वित्त के हस्तांतरण के कारण होगी, जो कुल राज्य राजस्व का करीब 50 प्रतिशत है. इसमें कहा गया कि शराब की बिक्री से प्राप्त रेवेन्यू स्थिर रहने की संभावना है, लेकिन पेट्रोलियम उत्पादों पर लगाए गए बिक्री कर तथा 15वें वित्त आयोग द्वारा अनुशंसित अनुदानों का संग्रह मामूली रहेगा. राज्यों के कुल राजस्व में शराब की बिक्री से हासिल राजस्व का योगदान 10 प्रतिशत है.

क्रिसिल के डायरेक्टर ने क्या कहा?

क्रिसिल रेटिंग्स के सीनियर डायरेक्टर अनुज सेठी ने कहा कि रेवेन्यू ग्रोथ को सबसे अधिक प्रोत्साहन समग्र राज्य जीएसटी कलेक्शन और बेहतर कर अनुपालन तथा अर्थव्यवस्था को अधिक संगठित रूप देने से मिलेगा. केन्द्रीय करों में राज्यों की हिस्सेदारी चालू वित्त वर्ष में 12 से 13 प्रतिशत बढ़ने की उम्मीद है. वहीं केंद्र से अनुदान चार से पांच प्रतिशत बढ़ेगा, जो बजट व्यय के अनुरूप है. क्रिसिल रेटिंग्स के अनुसार, गणना में चालू वित्त वर्ष में 6.8 प्रतिशत की वास्तविक जीडीपी वृद्धि का अनुमान लगाया गया है. राजस्व में सतत वृद्धि सुनिश्चित करने के लिए राज्यों को अपने राजस्व का विस्तार करने और संग्रह दक्षता में सुधार करने पर ध्यान केंद्रित करना होगा.

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