India-China Relation: चीन का ये ख्वाब ख्वाब ही रहेगा, ऐसे जमीन पर नहीं उतरने देगा भारत

India-China Relation - चीन का ये ख्वाब ख्वाब ही रहेगा, ऐसे जमीन पर नहीं उतरने देगा भारत
| Updated on: 12-Jun-2025 01:55 PM IST

India-China Relation: भारत का पड़ोसी देश चीन लंबे समय से अपनी विस्तारवादी नीति के तहत एशिया में दबदबा बढ़ाने की कोशिश करता रहा है। उसकी महत्वाकांक्षाओं में मध्य एशिया का महत्वपूर्ण देश मंगोलिया भी शामिल है। भले ही वह खुले तौर पर इस पर दावा न करे, लेकिन बीजिंग की रणनीति और कार्रवाइयों से यह साफ जाहिर होता है कि मंगोलिया उसके निशाने पर है। चीन मंगोलिया को अपने पाले में खींचने के लिए आर्थिक और कूटनीतिक हथकंडे अपनाता रहा है — और भारत इसे बखूबी समझता है।

भारत की रणनीतिक सक्रियता

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत ने मंगोलिया के साथ अपने रिश्तों को एक नई ऊंचाई दी है। इसी कड़ी में भारत 14 जून से 28 जून तक मंगोलिया में संयुक्त सैन्य अभ्यास करने जा रहा है, जिसमें भारतीय सेना पहले ही पहुंच चुकी है। यह अभ्यास न केवल रक्षा सहयोग को मजबूती देगा, बल्कि चीन को एक स्पष्ट संदेश भी देगा कि भारत मंगोलिया जैसे अहम भौगोलिक राष्ट्र को यूं ही नहीं छोड़ने वाला।

चीन का मंगोलिया पर शिकंजा कसने का सपना

चीन की विस्तारवादी मंशा को उसकी मीडिया भी कई बार स्वीकार कर चुकी है। चाइना न्यूज सर्विस में छपे एक लेख "चीन अगले 50 साल में 6 युद्ध लड़ेगा" में मंगोलिया को एक लक्षित क्षेत्र बताया गया था। इसमें दावा किया गया कि 2045 से 2050 के बीच बीजिंग मंगोलिया पर सैन्य आक्रमण कर उसे अपने अधीन करेगा।

मंगोलिया को चीन का "आउटर मंगोलिया" बताने की मानसिकता, 2016 में दलाई लामा के मंगोलिया दौरे के बाद चीन की बौखलाहट, और उसके बाद बॉर्डर सील करना — यह सब चीन की साम्राज्यवादी सोच को उजागर करता है।

चीन पर निर्भरता और भारत का विकल्प बनना

मंगोलिया की अर्थव्यवस्था काफी हद तक चीन पर निर्भर रही है। उसका सबसे बड़ा आयात स्रोत चीन है। जब बीजिंग ने 4.2 बिलियन डॉलर के लोन पर बातचीत स्थगित की, तो मंगोलिया की आर्थिक मुश्किलें और बढ़ गईं। चीन की इसी दबाव नीति को संतुलित करने के लिए मंगोलिया ने भारत के साथ रणनीतिक रिश्ते गहराए हैं।

भारत-मंगोलिया संबंधों की नींव

2015 में प्रधानमंत्री मोदी मंगोलिया का दौरा करने वाले पहले भारतीय प्रधानमंत्री बने। उन्होंने मंगोलिया को 1 बिलियन डॉलर का लोन देने की घोषणा की। मोदी मंगोलियाई संसद को रविवार के दिन संबोधित करने वाले पहले विदेशी नेता भी बने — यह संबंधों में गर्मजोशी का प्रतीक था।

2019 में भारत और मंगोलिया ने आपदा प्रबंधन और नागरिक उद्देश्यों से संबंधित समझौतों पर हस्ताक्षर किए। इसके अलावा भारत रक्षा सहयोग को भी प्राथमिकता दे रहा है।

रक्षा अभ्यास और बौद्ध संबंध

भारत और मंगोलिया के बीच ‘नोमैडिक एलीफेंट’ और ‘खान क्वेस्ट’ जैसे संयुक्त सैन्य अभ्यास होते हैं। मंगोलियाई सैन्य अधिकारी भारत में प्रशिक्षण लेते हैं। इससे दोनों देशों की सेनाओं के बीच तालमेल मजबूत होता है।

इतिहास भी भारत और मंगोलिया के रिश्तों को आधार देता है। कुशोक बकुला, जो 1990 से 2000 तक मंगोलिया में भारत के राजदूत थे, ने वहां बौद्ध धर्म को पुनर्जीवित करने में अहम भूमिका निभाई। उनका इतना सम्मान था कि लोग वीजा के लिए नहीं, उनके आशीर्वाद के लिए भारतीय दूतावास की कतार में खड़े होते थे।

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