विशेष: मिसाइल मैन के नाम से मशहूर वैज्ञानिक अब्दुल कलाम का 88 वां जन्मदिन आज
विशेष - मिसाइल मैन के नाम से मशहूर वैज्ञानिक अब्दुल कलाम का 88 वां जन्मदिन आज
अबुल पाकिर जैनुलअब्दीन अब्दुल कलाम अथवा ए॰ पी॰ जे॰ अब्दुल कलाम (A P J Abdul Kalam), (15 अक्टूबर 1931 – 27 जुलाई 2015) जिन्हें मिसाइल मैन और जनता के राष्ट्रपति के नाम से जाना जाता है, भारतीय गणतंत्र के ग्यारहवें निर्वाचित राष्ट्रपति थे। इन्होंने मुख्य रूप से एक वैज्ञानिक और विज्ञान के व्यवस्थापक के रूप में चार दशकों तक रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) और भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) संभाला व भारत के नागरिक अंतरिक्ष कार्यक्रम और सैन्य मिसाइल के विकास के प्रयासों में भी शामिल रहे।इन्होंने 1974 में भारत द्वारा पहले मूल परमाणु परीक्षण के बाद से दूसरी बार 1998 में भारत के पोखरान-द्वितीय परमाणु परीक्षण में एक निर्णायक, संगठनात्मक, तकनीकी और राजनैतिक भूमिका निभाई।[1972 में वे भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन से जुड़े। अब्दुल कलाम को परियोजना महानिदेशक के रूप में भारत का पहला स्वदेशी उपग्रह (एस.एल.वी. तृतीय) प्रक्षेपास्त्र बनाने का श्रेय हासिल हुआ। 1980 में इन्होंने रोहिणी उपग्रह को पृथ्वी की कक्षा के निकट स्थापित किया था। इस प्रकार भारत भी अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष क्लब का सदस्य बन गये।‘एक शाम डॉ. अब्दुल कलाम के नाम’ शीर्षक से आयोजित गंजिंग कार्निवाल में डॉ. कलाम के साथ खासा वक्त बिताने वाले उनके विशेष कार्याधिकारी सृजन पाल सिंह ने श्रद्घांजलि अर्पित करने के बाद कलाम से जुड़े जो अनुभव सुनाए, उसे सुन दर्शकों की आंखें नम हो गईं।कलाम से पहली मुलाकात से लेकर अंतिम समय तक की तमाम यादें उन्होंने साझा कीं। सृजन पाल सिंह ने बताया कि शिलॉन्ग में जब वह डॉ.कलाम के सूट में माइक लगा रहे थे तो उन्होंने पूछा ‘फनी गॉय हाउ आर यू’,जिस पर मैंने जवाब दिया ‘सर ऑल इज वेल’।फिर वह छात्रों की ओर मुड़े... और बोले ‘आज हम कुछ नया सीखेंगे’ और इतना कहते ही पीछे की ओर गिर पड़े। पूरे सभागार में सन्नाटा पसर गया।सृजन पाल सिंह ने बताया कि डॉ.कलाम हर किसी से पूछते थे कि जीवन में किस क्षेत्र में पहचान बनाने की ख्वाहिश रखते हैं, जिससे सफलता हासिल कर सकें।10 जुलाई को डॉ.कलाम अपने घर के बगीचे में घूम रहे थे तो मैंने भी डॉ. कलाम से यह सवाल पूछ लिया। उन्होंने जवाब दिया कि ‘मैं चाहता हूं कि दुनिया मुझे शिक्षक के रूप में जाने’ फिर बोले कि मेरे हिसाब से दुनिया को अलविदा कहने के सबसे अच्छा तरीका यह होगा कि ‘व्यक्ति सीधा खड़ा हो,जूते पहना हो और अपनी पसंद का कार्य कर रहा हो’। यह सुनाते ही सृजन पाल की आंखें नम हो गईं।सृजन पाल सिंह ने बताया कि डॉ.कलाम हमेशा देश के विकास, गांवों में शिक्षा का प्रसार, चिकित्सा व्यवस्था में सुधार जैसे मामलों पर गहनता से बातें करते थे। बताया कि वह जब किसी से मिलते थे तो उसे सलाह देते कि वह हर दिन अपनी मां के चेहरे पर एक मुस्कान जरूर दें।