US-China Trade Deal: पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने एक बार फिर चीन पर सख्ती का संकेत देते हुए कहा है कि अमेरिका चीनी वस्तुओं पर 55 प्रतिशत टैरिफ लगाने की तैयारी कर रहा है। यह घोषणा उस समय आई है जब लंदन में दोनों देशों के प्रतिनिधियों के बीच एक अहम बातचीत के बाद एक अस्थायी व्यापार समझौते पर सहमति बनी है। ट्रम्प के मुताबिक, इस सौदे से अमेरिका को चीन से दुर्लभ खनिजों की सुरक्षित आपूर्ति सुनिश्चित होगी।
ट्रम्प ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्रुथ सोशल पर लिखा, "राष्ट्रपति XI और मैं चीन को अमेरिकी व्यापार के लिए खोलने के लिए मिलकर काम करेंगे। यह दोनों देशों के लिए एक बड़ी जीत होगी!!!" उन्होंने दोनों देशों के बीच संबंधों को "उत्कृष्ट" बताते हुए यह भी कहा कि अमेरिका चीनी छात्रों को अपने विश्वविद्यालयों में पढ़ने की अनुमति देगा, जो उनके मुताबिक “हमेशा अच्छा सौदा रहा है”।
हाल के हफ्तों में दोनों देशों के बीच व्यापारिक बातचीत रुकी हुई थी। रिपोर्ट्स के अनुसार, अमेरिका पहले चीनी वस्तुओं पर 145% तक टैरिफ वसूल रहा था, जिसे घटाकर 30% करने की दिशा में शुरुआती सहमति बनी थी। अब यह दर फिर से बढ़ाकर 55% करने की तैयारी है। वहीं, चीन ने भी अमेरिकी उत्पादों पर अपना टैरिफ 125% से घटाकर 10% कर दिया है।
इस समझौते का मुख्य आकर्षण चीन से अमेरिका को दुर्लभ खनिज (rare earth minerals) की आपूर्ति है। चीन इस क्षेत्र में वैश्विक लीडर है, जो दुनिया के 60% से अधिक रेअर अर्थ्स का उत्पादन करता है और 90% तक की प्रोसेसिंग भी वही करता है। अमेरिका की चिंता रही है कि तकनीकी और रक्षा उद्योगों के लिए जरूरी इन खनिजों की आपूर्ति में चीन की मोनोपॉली न बने। अब यह डील उस जोखिम को कम कर सकती है।
हालांकि, इस समझौते पर कुछ सवाल भी उठ रहे हैं। रिपोर्टों के मुताबिक, चीन के झिंजियांग क्षेत्र में जबरन श्रम के जरिए इन खनिजों का उत्पादन हो सकता है। वॉलमार्ट, एवन, नेस्कैफे और कोका-कोला जैसे बड़े ब्रांड इन आपूर्ति श्रृंखलाओं से जुड़े हो सकते हैं। रिपोर्ट में झिंजियांग की 77 कंपनियों पर उइगर और तुर्क जातीय समूहों से जबरन श्रम कराने का आरोप लगाया गया है, जिसे चीन खारिज करता रहा है।