Special Intensive Revision: उत्तर प्रदेश में मतदाता सूची से 2.89 करोड़ नाम कटे, SIR का काम पूरा
Special Intensive Revision - उत्तर प्रदेश में मतदाता सूची से 2.89 करोड़ नाम कटे, SIR का काम पूरा
उत्तर प्रदेश में मतदाता सूची के विशेष सारांश पुनरीक्षण (SIR) का महत्वपूर्ण कार्य अब संपन्न हो चुका है। इस प्रक्रिया का उद्देश्य मतदाता सूची को अधिक सटीक और अद्यतन बनाना था, ताकि। यह सुनिश्चित किया जा सके कि केवल पात्र नागरिकों के नाम ही इसमें शामिल हों। इस व्यापक अभ्यास के परिणामस्वरूप, राज्य भर में बड़ी संख्या में मतदाताओं के नाम सूची से हटा दिए गए हैं, जो चुनावी प्रक्रिया की शुचिता के लिए एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, उत्तर प्रदेश में कुल 2 और 89 करोड़ मतदाताओं को 'अनकलेक्टेबल कैटेगरी' में रखा गया है, जिसका सीधा अर्थ है कि इन मतदाताओं के नाम अब वोटर लिस्ट से हटा दिए गए हैं। यह आंकड़ा प्रदेश के कुल 15 करोड़ 44 लाख मतदाताओं का लगभग 18. 7 प्रतिशत है, जो एक महत्वपूर्ण बदलाव को दर्शाता है और इस बड़े पैमाने पर नाम हटाने की प्रक्रिया से मतदाता सूची में पारदर्शिता और विश्वसनीयता बढ़ने की उम्मीद है।
नाम कटने के प्रमुख कारण
जिन 2. 89 करोड़ मतदाताओं के नाम सूची से हटाए गए हैं, उनके पीछे कई प्रमुख कारण हैं। इनमें सबसे बड़ी संख्या उन मतदाताओं की है जो स्थायी रूप से स्थानांतरित हो चुके हैं। ऐसे 1 और 25 करोड़ मतदाताओं ने स्वयं बीएलओ (बूथ लेवल ऑफिसर) को अपनी शिफ्टिंग की जानकारी दी थी। इसके अतिरिक्त, 45. 95 लाख मतदाताओं की मृत्यु हो चुकी थी, जिनके नाम भी सूची से हटा दिए गए हैं। 23. 59 लाख मतदाता ऐसे थे जिनके नाम डुप्लीकेट पाए गए, यानी उनके नाम एक से अधिक बार दर्ज थे।फॉर्म जमा न करने वाले और लापता मतदाता
एसआईआर प्रक्रिया के दौरान, 9. 57 लाख मतदाताओं ने अपने फॉर्म जमा नहीं किए, जिसके कारण उनके नाम भी सूची से हटा दिए गए। इसके अलावा, लगभग 84 लाख मतदाता ऐसे भी पाए गए जो 'लापता' श्रेणी में थे, यानी उनका कोई पता नहीं चल पाया। इन सभी कारणों के संयोजन से ही 2. 89 करोड़ नामों को सूची से हटाने का निर्णय लिया गया है, जो। एक स्वच्छ और त्रुटिरहित मतदाता सूची बनाने की दिशा में एक बड़ा प्रयास है।लखनऊ में मतदाताओं की संख्या में कमी
प्रदेश की राजधानी लखनऊ में भी मतदाता सूची में एक बड़ा बदलाव देखने को मिला है। एसआईआर प्रक्रिया के बाद लखनऊ में करीब 12 लाख मतदाताओं के नाम कम हो गए हैं। पहले लखनऊ में लगभग 40 लाख मतदाता थे, जिनमें से लगभग 70 फीसदी यानी 28 लाख मतदाताओं ने एसआईआर फॉर्म भरे थे। इस प्रक्रिया में लखनऊ में 5. 36 लाख डुप्लीकेट वोटर्स भी पाए गए, जिनके नाम हटा दिए गए हैं और यह दर्शाता है कि राजधानी में भी मतदाता सूची को शुद्ध करने का काम प्रभावी ढंग से किया गया है।विधानसभा सीटों का प्रदर्शन
लखनऊ की 9 विधानसभा सीटों में एसआईआर फॉर्म भरने के प्रतिशत के आंकड़े भी सामने आए हैं। मलिहाबाद और मोहनलालगंज विधानसभा सीटों पर सबसे अधिक 83-83 फीसदी फॉर्म भरे गए, जो इन क्षेत्रों में मतदाताओं की सक्रिय भागीदारी को दर्शाता है। बक्शी का तालाब सीट पर 78 फीसदी, लखनऊ पश्चिम में 70 फीसदी, सरोजनीनगर में 69 फीसदी, लखनऊ मध्य में 65। फीसदी, लखनऊ पूर्वी में 63 फीसदी, लखनऊ उत्तरी में 62 फीसदी और लखनऊ कैंट में 61 फीसदी एसआईआर फॉर्म भरे गए। ये आंकड़े विभिन्न विधानसभा क्षेत्रों में प्रक्रिया की सफलता के स्तर को दर्शाते हैं।आगे की प्रक्रिया और अंतिम मतदाता सूची
एसआईआर की प्रक्रिया पूरी होने के बाद, अब अगला महत्वपूर्ण चरण ड्राफ्ट मतदाता सूची का प्रकाशन है, जो 31 दिसंबर को जारी की जाएगी। इस ड्राफ्ट सूची पर 31 दिसंबर 2025 से 30 जनवरी 2026 तक दावे और आपत्तियां दाखिल की जा सकेंगी। यह अवधि नागरिकों को अपनी जानकारी की पुष्टि करने या किसी भी त्रुटि को ठीक करने का अवसर प्रदान करेगी। इन सभी दावों और आपत्तियों के निपटारे के बाद, अंतिम मतदाता सूची 28 फरवरी 2026 को प्रकाशित की जाएगी। यह पूरी प्रक्रिया यह सुनिश्चित करने के लिए डिज़ाइन की गई है कि। भारत के लोकतांत्रिक ढांचे की नींव, यानी मतदाता सूची, यथासंभव सटीक और अद्यतन हो।