वैक्सीनेशन: 18+ उम्र वालों के टीकाकरण पर जीडीपी के 0.36% के बराबर खर्च होंगे: इंडिया रेटिंग्स

वैक्सीनेशन - 18+ उम्र वालों के टीकाकरण पर जीडीपी के 0.36% के बराबर खर्च होंगे: इंडिया रेटिंग्स
| Updated on: 23-Apr-2021 09:42 AM IST
नई दिल्ली: कोरोना महामारी की दूसरी लहर विकराल रूप धारण करती जा रही है ऐसे में अब हर कोई वैक्सीन की ओर नजरें टिकाए बैठा है. एक रिपोर्ट में दावा किया गया है कि अगर देश के 18 साल से ऊपर के सभी व्यस्क लोगों को टीका लगवाया जाता है तो इसकी लागत भारत की कुल जीडीपी की 1 फीसदी से भी कम होगी.

भारत सरकार ने पिछले दिनों अपनी नीति में बदलाव करते हुए 1 मई से 18 साल से ऊपर के सभी नागरिकों को कोरोना टीका लगाए जाने की मंजूरी दे दी. इसका मतलब यह हुआ कि देश की कुल 133 करोड़ से ज्यादा आबादी में से 84.2 करोड़ से ज्यादा लोगों को टीका लगाया जाएगा. 

इंडिया रेटिंग्स एंड रिसर्च (इंड-रा) की रिपोर्ट से पता चलता है कि इसके लिए 671.93 अरब रुपये का खर्च आ सकता है, जिसमें से केंद्र सरकार का खर्च 208.70 अरब रुपये और राज्य सरकारों पर 463.23 अरब रुपये का खर्च होगा. 

रिपोर्ट में दावा किया गया कि यह अनुमान बुधवार को घोषित वैक्सीन मूल्य फॉर्मूले पर आधारित है.

केंद्र सरकार ने अपने आदेश में कहा था कि इस योजना के तहत कोरोना वैक्सीन के मूल्य निर्धारण, खरीद, पात्रता और प्रशासन को लचीला बनाया जाएगा. जबकि टीकाकरण अभियान पहले की तरह जारी रहेगा और हेल्थकेयर वर्कर्स, फ्रंटलाइन वर्कर्स और 45 साल से अधिक उम्र के लोगों को प्राथमिकता दी जाएगी तथा मुफ्त में टीका लगेगा. केंद्र सरकार की ओर से राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को वैक्सीन निर्माताओं से सीधे अतिरिक्त कोरोना वैक्सीन खरीद की अनुमति दी गई है और भारतीय वैक्सीन निर्माता अभी अपने उत्पादन का 50% भारत सरकार को सप्लाई कर रहे हैं जबकि 50% राज्य सरकारों और खुले बाजार के लिए खोल दिया गया है.

इंडिया रेटिंग्स ने कहा कि 671.93 अरब रुपये की लागत देश की सालाना जीडीपी का महज 0.36 प्रतिशत है और यह एक बड़ी राशि नहीं है. अगर केंद्र और संबंधित राज्य सरकारों के बीच लागत का बोझ अलग कर दिया जाए तो केंद्र के बजट पर राजकोषीय प्रभाव जीडीपी का 0.12 प्रतिशत और राज्य के बजट पर 0.264 प्रतिशत ही होगा.

इंडिया रेटिंग्स ने कहा कि रेटिंग की कोविड-19 महामारी की दूसरी लहर की भयावहता की वजह से अर्थव्यवस्था पर पड़ने वाले असर की तुलना में यह बेहद छोटी राशि है.

रिपोर्ट के अनुसार, इस मामले में सबसे ज्यादा असर बिहार की सकल राज्य घरेलू उत्पाद (GSDP) पर पड़ेगा जो महज 0.60 प्रतिशत ही होगा. इसके अलावा उत्तर प्रदेश (0.47 प्रतिशत), झारखंड (0.37 प्रतिशत), मणिपुर (0.36 प्रतिशत), असम (0.35 फीसदी), मध्य प्रदेश (0.30 फीसदी) और ओडिशा (0.30 फीसदी) पर असर पड़ेगा.

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