India Export Martx: अमेरिका को पछाड़ अब वियतनाम और बेल्जियम क्यों लुटा रहे भारत पर 'प्यार'

India Export Martx - अमेरिका को पछाड़ अब वियतनाम और बेल्जियम क्यों लुटा रहे भारत पर 'प्यार'
| Updated on: 02-Nov-2025 01:56 PM IST
एक समय था जब भारतीय निर्यातकों के माथे पर चिंता की लकीरें खिंच गई थीं। यह वह दौर था जब अमेरिका ने भारत से आने। वाले सामान पर टैरिफ यानी आयात शुल्क बढ़ा दिया था। अमेरिका हमेशा से भारत का सबसे बड़ा खरीदार रहा है, खासकर टेक्सटाइल (कपड़ा), जेम्स-ज्वेलरी (हीरा-जवाहरात) और समुद्री उत्पादों (सी-फूड) के मामले में और इस कदम से आशंका जताई जा रही थी कि इन महत्वपूर्ण सेक्टरों की कमर टूट सकती है और लाखों लोगों का रोजगार प्रभावित हो सकता है। यह स्थिति भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए एक बड़ी चुनौती थी, क्योंकि अमेरिका पर हमारी निर्यात निर्भरता काफी अधिक थी।

बाजार विविधीकरण की नई रणनीति

लेकिन, कहते हैं न कि जब एक रास्ता बंद होता है, तो कई नए रास्ते खुल जाते हैं। भारत के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ है। वाणिज्य मंत्रालय के जो ताजा आंकड़े सामने आए हैं, वे बेहद सुकून देने वाले हैं। इन आंकड़ों से स्पष्ट होता है कि भारतीय कारोबारियों ने अमेरिकी बाजार पर अपनी अत्यधिक निर्भरता को सफलतापूर्वक कम करते हुए दुनिया के नए बाजारों में अपनी पैठ बना ली है और अमेरिका ने भले ही टैरिफ की दीवार खड़ी की हो, लेकिन दुनिया के कई देशों ने भारतीय उत्पादों के लिए अपनी बाहें खोल दी हैं, जिससे भारत के निर्यात को एक नई दिशा और गति मिली है। यह रणनीति न केवल तात्कालिक चुनौतियों का सामना करने में सहायक सिद्ध हुई है,। बल्कि भविष्य के लिए भी भारतीय निर्यात को अधिक लचीला और मजबूत बना रही है।

अमेरिका की ‘ना’ के बाद, दुनिया ने कहा ‘हां’

आंकड़े बताते हैं कि भारत ने अपने सामान को बेचने के लिए सिर्फ अमेरिका पर निर्भर रहने की पुरानी रणनीति को सफलतापूर्वक बदल दिया है और इसका सीधा परिणाम यह हुआ है कि संयुक्त अरब अमीरात (यूएई), वियतनाम, बेल्जियम और सऊदी अरब जैसे देशों से भारतीय माल की मांग में जबरदस्त इजाफा हुआ है। वाणिज्य मंत्रालय के जनवरी से सितंबर 2025 तक के आंकड़ों के मुताबिक, एशिया, यूरोप और पश्चिम एशिया। (मिडिल ईस्ट) में भारतीय उत्पादों की बढ़ती मांग ने हमारे निर्यात को एक नई ताकत दी है। यह बदलाव भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए एक बहुत अच्छा संकेत है। यह दिखाता है कि अब हमारा निर्यात किसी एक देश के राजनीतिक या आर्थिक उतार-चढ़ाव का बंधक नहीं है। अलग-अलग देशों में अपना सामान बेचकर, भारत ने अपने व्यापारिक जोखिम को काफी कम। कर लिया है और वैश्विक व्यापार में अपनी स्थिति को और मजबूत किया है।

समुद्री उत्पादों में वियतनाम और बेल्जियम का उदय

सबसे शानदार प्रदर्शन समुद्री उत्पादों (मरीन प्रोडक्ट्स) के क्षेत्र में देखने को मिला है। इस साल जनवरी से सितंबर के बीच, भारत के समुद्री उत्पादों के निर्यात में पिछले साल की इसी अवधि की तुलना में 15 और 6 फीसदी की दमदार बढ़ोतरी दर्ज की गई है। कुल मिलाकर, हमने दुनिया को 4. 83 अरब डॉलर के समुद्री उत्पाद बेचे हैं। यह वृद्धि दर वैश्विक व्यापार में मंदी के बावजूद भारतीय समुद्री उत्पाद उद्योग की मजबूती को दर्शाती है। इस उछाल की सबसे बड़ी वजह अमेरिका के बजाय दूसरे देशों में भारतीय सी-फूड की बढ़ती मांग है और यह सच है कि अमेरिका आज भी हमारा सबसे बड़ा बाजार है, जहां हमने 1. 44 अरब डॉलर का निर्यात किया और लेकिन असली कहानी तो नए बाजारों में लिखी जा रही है, जो भारतीय निर्यातकों के लिए नए अवसर खोल रहे हैं।

नए बाजारों में अभूतपूर्व वृद्धि

वियतनाम को होने वाले हमारे निर्यात में 100. 4 फीसदी की वृद्धि हुई है, यानी लगभग दोगुना। यह वियतनाम में भारतीय समुद्री उत्पादों की बढ़ती लोकप्रियता और स्वीकार्यता का प्रमाण है। इसी तरह, यूरोपीय देश बेल्जियम ने भारत से 73 और 0 फीसदी और थाईलैंड ने 54. 4 फीसदी ज्यादा समुद्री उत्पाद खरीदे हैं। यह दिखाता है कि भारत के झींगे, मछली और अन्य समुद्री उत्पाद अब एशिया और यूरोप के डाइनिंग टेबल पर अपनी खास जगह बना रहे हैं। इन देशों में भारतीय सी-फूड की बढ़ती मांग न केवल निर्यातकों के लिए लाभदायक है, बल्कि यह भारत की गुणवत्ता और प्रतिस्पर्धी कीमतों को भी दर्शाती है। इतना ही नहीं, चीन में भी हमारा निर्यात 9. 8 फीसदी, मलेशिया में 64. 2 फीसदी और जापान में 10. 9 फीसदी बढ़ा है, जो एशियाई बाजारों में हमारी मजबूत उपस्थिति को और पुख्ता करता है।

भारतीय ‘कपड़े’ का जलवा, पेरू से पोलैंड तक मांग

अब बात करते हैं टेक्सटाइल यानी कपड़ा उद्योग की, जो करोड़ों लोगों को रोजगार देता है और भारतीय अर्थव्यवस्था का एक महत्वपूर्ण स्तंभ है और अमेरिकी टैरिफ का असर इस सेक्टर पर भी पड़ने की आशंका थी, जिससे लाखों लोगों की आजीविका प्रभावित हो सकती थी। लेकिन यहां भी भारतीय निर्यातकों ने नए रास्ते तलाश लिए हैं और चुनौतियों को अवसरों में बदल दिया है। जनवरी से सितंबर 2025 के दौरान, भारत के कपड़ा निर्यात में 1. 23 फीसदी की मामूली लेकिन बेहद महत्वपूर्ण वृद्धि हुई है। यह आंकड़ा 28. 05 अरब डॉलर तक पहुंच गया। वैश्विक मंदी और कड़ी प्रतिस्पर्धा के बीच यह मामूली बढ़त भी एक बड़ी। जीत है, जो भारतीय कपड़ा उद्योग की लचीलापन और अनुकूलन क्षमता को दर्शाती है।

वैश्विक स्तर पर भारतीय टेक्सटाइल की स्वीकार्यता

इस वृद्धि का श्रेय भी नए और उभरते बाजारों को जाता है। आपको जानकर खुशी होगी कि भारतीय कपड़े अब पेरू और नाइजीरिया जैसे देशों के बाजारों में भी अपनी जगह बना रहे हैं, जो पहले हमारे पारंपरिक बाजार नहीं थे। संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) भारतीय कपड़ों के लिए एक बड़े क्षेत्रीय केंद्र (रीजनल हब) के तौर पर उभरा है। यूएई को हमारा निर्यात 8. 6 फीसदी बढ़कर 136. 5 मिलियन डॉलर हो गया है। इसका मतलब है कि यूएई के रास्ते हमारा माल पूरे पश्चिम एशिया और अफ्रीका तक पहुंच रहा है, जिससे भारतीय कपड़ों की पहुंच और भी व्यापक हो रही है। यूरोप, उत्तरी अफ्रीका और मध्य पूर्व में भी भारतीय कपड़ों की मांग लगातार बढ़ रही है। नीदरलैंड में 11 और 8 फीसदी, पोलैंड में 24. 1 फीसदी, स्पेन में 9. 1 फीसदी और मिस्र में 24. 5 फीसदी की वृद्धि यह साबित करती है कि भारतीय टेक्सटाइल का जलवा दुनिया भर में कायम है और यह वैश्विक फैशन और परिधान उद्योग में अपनी पहचान बना रहा है। यह भारतीय निर्यातकों के लिए एक सकारात्मक संकेत है कि वे अपनी बाजार रणनीति में विविधता लाकर वैश्विक चुनौतियों का सामना कर सकते हैं।

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