जयपुर: विक्रमसिंह शेखावत : राजस्थान एसीबी का हीरो, कैंसर से लड़ रहा जंग

जयपुर - विक्रमसिंह शेखावत : राजस्थान एसीबी का हीरो, कैंसर से लड़ रहा जंग
| Updated on: 14-Sep-2019 01:43 PM IST
बीते दस सालों में राजस्थान की एसीबी ने देशभर में नाम कमाया। भ्रष्टाचारी आईएएस, आईपीएस, खनन माफिया और न्यायाधीश तक को एसीबी ने नहीं बख्शा। बहुत सारे आपरेशन के चलते पूरे देश में भ्रष्टाचारियों के बीच आतंक का पर्याय बनी राजस्थान एसीबी की उस टीम का एक हीरो इन दिनों जिन्दगी और मौत की जंग लड़ रहा है। राजस्थान एसीबी की इस प्रतिष्ठा की जो इमारत खड़ी हुई उसकी नींव में सर्वाधिक महत्वपूर्ण योगदान देने वाले विक्रमसिंह शेखावत जयपुर के नारायणा मल्टी स्पेशियलिटी अस्पताल में वेंटिलेंटर पर हैं। दिनभर में उनसे मिलने पुलिस के दर्जनों अधिकारी आते हैं और उनके शीघ्र स्वस्थ होने की कामना करते हैं। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने भी विक्रमसिंह के भाई दीपेन्द्रसिंह शेखावत ने फोन पर बात की और सरकार की तरफ से हरसंभव प्रयास का आश्वासन दिलाया। 

कैंसर से जंग लड़ते एसीबी इंस्पेक्टर विक्रमसिंह का निधन 


विक्रम की मौजूदा टीम के साथी और एसीबी में कांस्टेबल लक्ष्मण शर्मा बीते सवा तीन माह से उनके साथ हैं। लक्ष्मण की तरह ही अपने सीनियर की सेवा कर हैं। भर्राए गले से लक्ष्मण कहते हैं विक्रम सर पांच प्रतिशत की संभावना पर भी शत प्रतिशत परिणाम लाने वाला काम करते थे। जिस आपरेशन में उन्हें लगता कि संभावना सिर्फ पांच प्रतिशत है तो भी वे पूरी मेहनत करते—करवाते और ​मामले को निर्णायक परिणाम हर बार मिलता। हमें पूरा भरोसा है कि विक्रम सर इस स्थिति से रिकवर करके वापस लौटेंगे। 
अस्पताल पहुंचे राजस्थान पुलिस के महानिदेशक भूपेन्द्रसिंह, एसीबी के महानिदेशक आलोक त्रिपाठी, पुलिस कमीश्नर आनंद श्रीवास्वत आदि आला अफसरों ने विक्रम के शीघ्र स्वास्थ्य लाभ की कामना की है और बताया कि ऐसे अफसरों की बदौलत ही हमारा सर गर्व से उंचा होता है। एसीबी के महानिरीक्षक दिनेश एम. एन और पुलिस महानिरीक्षक रूल्स वीके सिंह समेत अफसर नियमित स्थिति का जायजा लेने अस्पताल आते हैं और बताते हैं कि विक्रम का काम के प्रति समर्पण और कर्तव्य की प्रति निष्ठा उसे विशिष्ठ बनाती थी। वह हमेशा अपने हिस्से का शत प्रतिशत से अधिक देने का प्रयास करता और दूसरों को प्रेरित भी करता है। इसी के चलते वह सभी का प्रिय है। वे नकली घी मामले में सबूत जुटाने के लिए दिन के 10 से 18 घंटे तक मोबाइल फोन सर्विलांस पर रहते थे। मुम्बई टाटा अस्पताल में उपचार के बाद जब विक्रम घर लौटे तो एसीबी के महानिदेशक आलोक त्रिपाठी उनसे मिलने पहुंचे। इस पर विक्रमसिंह बोले सर बहुत काम पड़ा है, जल्दी ही ड्यूटी पर लौटूंगा। 
मुख्यमंत्री ने की बात
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने भी विक्रमसिंह के भाई दीपेन्द्रसिंह शेखावत ने फोन पर बात की और सरकार की तरफ से हरसंभव प्रयास का आश्वासन दिलाया। 

हमें गर्व है ऐसे लोगों पर : अजीतसिंह शेखावत
राजस्थान पुलिस के पूर्व महानिदेशक अजीतसिंह शेखावत जो आज कल भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड की विजिलेंस के मुखिया हैं। उन्होंने जयपुर आकर विक्रम से मुलाकात की और बताया कि ऐसे लोग हमें अपनी निष्ठा और समर्पण के चलते गर्व से भर देते हैं। शेखावत करीब पांच साल तक एसीबी के महानिदेशक रहे और उनकी सदारत में विक्रम ने अजमेर और कोटा पुलिस अधीक्षकों के खिलाफ भ्रष्टाचार के मामले, अजमेर के जिला जज के खिलाफ मामले, नकली घी प्रकरण, एनआरएचएम में हुए घोटाले समेत कई प्रकरणों के खुलासे और अपराधियों की धरपकड़ में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।अजीतसिंह के अनुसार बड़े मामलों में सफलता मिल पाना बहुत मुश्किल होता है। उसमें दबाव बहुत रहता है, लेकिन विक्रम जैसे अफसरों के हौसलों की बदौलत ही एसीबी यह कर पाई।

मिहीर जैन को लाने में उल्लेखनीय भूमिका
आपको 2008 में जयपुर में हुआ मिहीर जैन अपहरण काण्ड याद होगा। उस मामले के खुलासे में विक्रमसिंह की भूमिका प्रभावी रही थी। मिहीर के पिता नियमित अस्पताल आते हैं और परिजनों के साथ खड़े रहते हैं। विक्रमसिंह के पत्रकार मित्र श्रवणसिंह राठौड़ बताते हैं कि विक्रम के ठीक होने के लिए सैकड़ों लोग दुआएं कर रहे हैं और हरसंभव प्रयास जारी है। वह अपने काम, अपने चरित्र और अपने समर्पण की वजह से हम सभी लोगों के लिए आदर्श हैं और उनके लिए हम सभी प्रार्थना कर रहे हैं। न्यूज 18 राजस्थान के वरिष्ठ पत्रकार श्रीपाल शक्तावत बताते हैं कि राजस्थान में भ्रष्टाचार के खिलाफ प्रत्येक बड़ी मुहिम में अगुवा रहे एक पुलिस इंसपेक्टर और कैंसर की यह लड़ाई हम सबके लिए पीड़ादायक हैं। विक्रमसिंह बीते दस सालों से एंटी करपश्न ब्यूरो में चुपचाप काम करते हुये कई घोटालों को खोलने, कई नामी गिरामी और बड़ी पहुंच वाले आईएएस,आईपीएस, जज जैसे ओहदेदार घूसखोरों को जेल भिजवाने में सूत्रधार बने। यही नहीं एसीबी में आए प्रत्येक महानिदेशक, अतिरिक्त महानिदेशक, महानिरीक्षक समेत अपने सभी साथियों के बीच अपने काम और निष्ठा की बदौलत पसंद रहे विक्रम सिंह 6 जून की रात अचेत हुये थे और पता चला कि वजह है -कैंसर। डॉक्टर अब असहाय हैं और हम सभी किसी करिश्मे की उम्मीद में करबद्ध खड़े हैं। शायद आप सबकी दुआयें इस जांबाज को इस जंग में विजयी बना दे। इनके साथ कभी सीकर में कॉलेज के साथी रहे दैनिक भास्कर के वरिष्ठ पत्रकार आनन्द चौधरी बताते हैं कि विक्रम हमेशा ही सौम्य मुस्कुराहट के साथ मिलते हैं और चेतना से भर देते हैं। उन्हें इस हालत में देखना पीड़ादायक है। हिन्दुस्तान टाइम्स जयपुर के जयकिशन बताते हैं कि एक बार मिलने के बाद विक्रम भूलते नहीं थे। वे हमेशा युवाओं को ईमानदारी और निष्ठा से काम करने की प्रेरणा देते। पत्रकार के जीवन में बहुत पुलिसवाले आते हैं, लेकिन विक्रमसिंह जैसे बहुत कम। वह हमेशा मार्गदर्शन करते हैं और बहुत ही प्रेरक व्यक्तित्व के धनी हैं। 

शहीद पिता का नाम आगे बढ़ाया
सीकर जिले के लक्ष्मणगढ़ तहसील की छोटी खुड़ी के मूल निवासी विक्रमसिंह के पिता शिवपालसिंह शेखावत ने पुलिस में ही उप निरीक्षक के तौर पर काम करते हुए 1999 में शहादत पाई थी। वे झुंझुनूं जिले में बगड़ थाना प्रभारी के तौर पर कार्यरत थे 11 नवम्बर 1999 को दो माली परिवारों के बीच आपसी झगड़े में एक परिवार के दो लोगों की मौत हो गई थी। थाना प्रभारी शिवपाल सिंह व थाना जाप्ता के साथ मुल्जीमानों की गिरफ्दारी के लिए मुख्य अभियुक्त बदरूराम माली के घर बणियां की ढाणी तन बगड़ पहुंचे और दो मुल्जिमों को गिरफ्तार कर पुलिस जिप्सी को रवाना किया। उन्होंने शेष मुल्जिमानों के बारे में जानना चाहा तो वहां मौजूद 8-10 आदमियों व औरतों ने उन पर हमला कर दिया। शिवपाल सिंह ने बहादुरी से उनका मुकाबला किया, लेकिन वे मौके पर ही शहीद हो गए। विक्रम ने अपने पिता की शहादत के बाद परिवार को संभाला और पुलिस में उप निरीक्षक के तौर पर पदस्थापित होने के बाद ईमानदारी और कर्तव्यनिष्ठा को ही सदा प्राथमिकता से निभाते रहे हैं। 
Disclaimer

अपनी वेबसाइट पर हम डाटा संग्रह टूल्स, जैसे की कुकीज के माध्यम से आपकी जानकारी एकत्र करते हैं ताकि आपको बेहतर अनुभव प्रदान कर सकें, वेबसाइट के ट्रैफिक का विश्लेषण कर सकें, कॉन्टेंट व्यक्तिगत तरीके से पेश कर सकें और हमारे पार्टनर्स, जैसे की Google, और सोशल मीडिया साइट्स, जैसे की Facebook, के साथ लक्षित विज्ञापन पेश करने के लिए उपयोग कर सकें। साथ ही, अगर आप साइन-अप करते हैं, तो हम आपका ईमेल पता, फोन नंबर और अन्य विवरण पूरी तरह सुरक्षित तरीके से स्टोर करते हैं। आप कुकीज नीति पृष्ठ से अपनी कुकीज हटा सकते है और रजिस्टर्ड यूजर अपने प्रोफाइल पेज से अपना व्यक्तिगत डाटा हटा या एक्सपोर्ट कर सकते हैं। हमारी Cookies Policy, Privacy Policy और Terms & Conditions के बारे में पढ़ें और अपनी सहमति देने के लिए Agree पर क्लिक करें।