नागरिकता संशोधन: नागरिकता संशोधन बिल पेश , वोटिंग करने पर पक्ष में 293, विपक्ष में 82 वोट पड़े

नागरिकता संशोधन - नागरिकता संशोधन बिल पेश , वोटिंग करने पर पक्ष में 293, विपक्ष में 82 वोट पड़े
| Updated on: 09-Dec-2019 02:42 PM IST
लोकसभा में नागरिकता संशोधन विधेयक पेश हो गया है।  विधेयक को पेश किए जाने के लिए विपक्ष की मांग पर मतदान करवाया गया और सदन ने 82 के मुकाबले 293 मतों से इस विधेयक को पेश करने की स्वीकृति दे दी। शिवसेना ने बिल को पेश करने के समर्थन में वोट किया है। अब सत्तापक्ष और विपक्ष बिल पर चर्चा करेंगे जिसके बाद इसपर वोटिंग कराई जाएगी। यदि विधेयक लोकसभा से पास हो जाता है तो इसे राज्यसभा में पेश किया जाएगा।

गृह मंत्री शाह ने कहा कि विधेयक कहीं भी देश के अल्पसंख्यकों के खिलाफ नहीं है और इसमें संविधान के किसी अनुच्छेद का उल्लंघन नहीं किया गया।

शाह ने सदन में यह भी कहा ‘अगर कांग्रेस पार्टी देश की आजादी के समय धर्म के आधार पर देश का विभाजन नहीं करती तो इस विधेयक की जरूरत नहीं पड़ती।’ शाह ने जब विधेयक पेश करने के लिए सदन की अनुमति मांगी तो कांग्रेस के अधीर रंजन चौधरी ने विधेयक पेश किए जाने का विरोध करते हुए कहा कि यह अल्पसंख्यकों को लक्ष्य कर लाया गया विधेयक है। इस पर गृह मंत्री ने कहा कि विधेयक देश के अल्पसंख्यकों के 0.001 प्रतिशत भी खिलाफ नहीं है।

उन्होंने चौधरी की टिप्पणियों पर कहा कि विधेयक के गुण-दोषों पर इसे पेश किए जाने से पहले चर्चा नहीं हो सकती। सदन की नियमावली के तहत किसी भी विधेयक का विरोध इस आधार पर हो सकता है कि क्या सदन के पास उस पर विचार करने की विधायी क्षमता है कि नहीं। शाह ने कहा कि विधेयक पर चर्चा के बाद मैं सदस्यों की हर चिंता का जवाब दूंगा। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला ने कहा कि सदस्यों को विधेयक पर चर्चा के दौरान उनकी विस्तार से बात रखने का मौका मिलेगा। अभी वह अपना विषय संक्षिप्त में रख दें।

विपक्ष के भारी विरोध के बीच नागरिकता संशोधन विधेयक लोकसभा में पेश

करीब एक घंटे तक इस बात पर तीखी नोकझोंक हुई कि इस बिल को सदन में पेश किया जा सकता है या नहीं। विधेयक पेश करने के बाद शाह ने कहा कि यह बिल संविधान के किसी भी अनुच्छेद को प्रभावित नहीं करता है। ऐसा नहीं है कि पहली बार सरकार नागरिकता के लिए कुछ कर रही है। कुछ सदस्यों को लगता है कि समानता का आधार इससे आहत होता है। इंदिरा गांधी ने बांग्लादेश से आए लोगों को नागिरकता देने का निर्णय किया। पाकिस्तान से आए लोगों को नागरिकता फिर क्यों नहीं दी गई। अनुच्छेद 14 की ही बात है तो केवल बांग्लादेश से आने वालों को क्यों नागरिकता दी गई। 

गृह मंत्री ने कहा, अफगानिस्तान, पाकिस्तान और बांग्लादेश में हिंदुओं, सिखों, बौद्धों, ईसाइयों, पारसियों और जैनों के साथ भेदभाव किया गया है। इसलिए यह विधेयक इन सताए हुए लोगों को नागरिकता देगा। साथ ही यह आरोप कि विधेयक मुस्लिमों के अधिकारों को छीन लेगा गलत है।

ओवैसी ने शाह के खिलाफ विवादास्पद बयान दिया

लोकसभा में एआईएमआईएम सांसद ने अकबरुद्दीन ओवैसी ने गृहमंत्री अमित शाह के खिलाफ विवादास्पद बयान दिया, जिसके बाद सदन में हंगामा मच गया। उन्होंने लोकसभा में कहा, मैं आपसे (स्पीकर) और गृह मंत्री से अपील करता हूं इस देश को बचा लीजिए। मुस्लिम इसी देश का हिस्सा हैं। उच्चतम न्यायालय के आदेश का उल्लंघन हो रहा है। 

गृहमंत्री नए हैं, नियमों की जानकारी नहीं- सौगत राय

नागरिकता संशोधन विधेयक पेश होने के बाद लोकसभा में टीएम सांसद सौगत राय ने कहा कि गृहमंत्री नए हैं, उन्हें शायद नियमों की जानकारी नहीं है। इसके बाद लोकसभा में हंगामा हो गया। टीएमसी सांसद सौगत राय ने लोकसभा में कहा कि आज संविधान संकट में है। इसके बाद भाजपा के सदस्यों ने उनके बयान का विरोध किया। 

अमित शाह और अधीर रंजन के बीच बहस

सियासी विवाद के बीच गृह मंत्री अमित शाह ने आज लोकसभा में नागरिक संशोधन बिल पेश कर दिया। उनके बिल पेश करते ही सदन में हंगामा मच गया। कांग्रेस सहित विपक्षी दलों ने इसका विरोध शुरू कर दिया। लोकसभा में कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि इस बिल के जरिए अल्पसंख्यकों को निशाना बनाया जा रहा है। इस पर अमित शाह ने जवाब दिया कि ये बिल देश के अल्पसंख्यकों के .001 फीसदी खिलाफ भी नहीं है।

लोकसभा में कांग्रेस के नेता प्रतिपक्ष अधीर रंजन चौधरी ने बिल के विरोध में कहा कि यह कुछ नहीं बल्कि हमारे देश के अल्पसंख्यक पर लक्षित कानून है। उन्होंने कहा कि अनुच्छेद 13, अनुच्छेद 14 को कमजोर किया जा रहा है।

इस पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि यह विधेयक अल्पसंख्यकों के खिलाफ नहीं है। हर सवाल का जवाब देने के लिए तैयार हैं। कांग्रेस के अधीर रंजन चौधरी से शाह ने कहा वॉकआउट मत कर जाना।

यह पार्टियां बिल के विरोध और पक्ष में हैं

जहां बिल के पक्ष में भाजपा, जनता दल यूनाइटेड, अकाली और लोक जनशक्ति पार्टी हैं। वहीं कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, वामपंथी दल और समाजवादी पार्टी इसका विरोध कर रही है।

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