US-China Tariff War: आखिर राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप कब रुकेंगे! चीन पर लगा दिया 145% का टैरिफ

US-China Tariff War - आखिर राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप कब रुकेंगे! चीन पर लगा दिया 145% का टैरिफ
| Updated on: 11-Apr-2025 08:45 AM IST

US-China Tariff War: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप एक बार फिर अपने टैरिफ (शुल्क) नीति के चलते वैश्विक सुर्खियों में हैं। उनके इस कड़े आर्थिक कदम ने पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था को झकझोर कर रख दिया है। सप्ताह भर के भीतर वैश्विक शेयर बाजारों और व्यापारिक संतुलन में जबरदस्त गिरावट देखी गई, जिससे वैश्विक मंदी की आहट गूंजने लगी है। इसी backdrop में ट्रंप ने 50 देशों के साथ बातचीत का हवाला देते हुए 90 दिनों तक टैरिफ स्थगित करने की घोषणा की है, जिसकी समयसीमा 9 जुलाई 2025 तय की गई है। लेकिन इस फैसले से उन्होंने जानबूझकर चीन को बाहर रखा है।

चीन पर कड़ा वार: 145 फीसदी टैरिफ

ट्रंप प्रशासन ने शुरुआत में चीन पर 34 प्रतिशत का टैरिफ लगाया, जो समय के साथ बढ़ता हुआ 104 प्रतिशत तक पहुंच गया। अब, जब अधिकांश देशों के साथ अमेरिका ने टैरिफ पर अस्थायी विराम लगाया है, चीन पर 145 फीसदी टैरिफ लगाने का निर्णय लिया गया है। इसका मकसद साफ है — ट्रंप चीन की आर्थिक रीढ़ को कमजोर करने के एजेंडे पर पूरी ताकत से काम कर रहे हैं।

गौरतलब है कि अमेरिका ने पहले ही चीन पर 20 प्रतिशत का टैरिफ लागू किया था, जिसे अब 125 प्रतिशत की जवाबी दर के साथ जोड़कर कुल 145 प्रतिशत कर दिया गया है। इस निर्णय से स्पष्ट संकेत मिलता है कि अमेरिका और चीन के बीच आर्थिक संबंध अब ट्रेड वॉर के चरम पर पहुंच गए हैं।

अमेरिकी बाजारों में हलचल

टैरिफ नीति के असर से अमेरिकी वित्तीय बाजार भी अछूते नहीं रहे। बीते गुरुवार, वॉल स्ट्रीट के सभी प्रमुख सूचकांकों में भारी गिरावट दर्ज की गई।

  • S&P 500 में 3.45% की गिरावट आई और यह 5,267.11 पर बंद हुआ।

  • NASDAQ Composite 4.31% गिरकर 16,387.31 पर पहुंचा।

  • वहीं, Dow Jones में भी 2.54% की गिरावट देखी गई, और यह 39,578.94 पर बंद हुआ।

इस गिरावट का मुख्य कारण अमेरिकी टैरिफ नीतियों को लेकर बाजार में व्याप्त अनिश्चितता और चीन के साथ व्यापारिक तनाव है।

चीनी कंपनियों पर सीधा असर

चीन, जो दुनिया के सबसे बड़े आयातकों में से एक है, अमेरिका के साथ लगभग 17% व्यापार करता है। अब जब अमेरिका में चीनी उत्पादों पर टैक्स भारी हो चुका है, तो उन प्रोडक्ट्स की लागत बढ़ जाएगी। इसका असर इनकी मांग पर पड़ेगा और चीनी कंपनियों के लिए अमेरिकी बाजार में प्रतिस्पर्धा करना बेहद मुश्किल हो जाएगा। इससे चीन के निर्यात पर सीधा प्रभाव पड़ेगा और संभावित रूप से उसकी आंतरिक अर्थव्यवस्था में भी अस्थिरता आएगी।

आगे की राह: टकराव या संवाद?

अब बड़ा सवाल ये है कि क्या चीन इस कदम के जवाब में अपने टैरिफ को और बढ़ाएगा? या फिर हालात को समझते हुए दोनों देशों के बीच किसी समाधान की बातचीत की शुरुआत होगी? ट्रंप की नीतियां चाहे जितनी विवादास्पद रही हों, लेकिन एक बात साफ है — उन्होंने वैश्विक व्यापार समीकरण को फिर से सोचने पर मजबूर कर दिया है।

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