PM Modi Kuwait Tour: कौन हैं अब्दुल्ला बैरन और अब्दुल लतीफ, जिन्होंने रामायण व महाभारत का अरबी में किया अनुवाद

PM Modi Kuwait Tour - कौन हैं अब्दुल्ला बैरन और अब्दुल लतीफ, जिन्होंने रामायण व महाभारत का अरबी में किया अनुवाद
| Updated on: 21-Dec-2024 07:00 PM IST
PM Modi Kuwait Tour: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हालिया कुवैत यात्रा ने भारत और कुवैत के बीच संबंधों को नई दिशा और गहराई दी है। यह यात्रा न केवल कूटनीतिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण थी, बल्कि सांस्कृतिक आदान-प्रदान के लिहाज से भी ऐतिहासिक साबित हुई।

अब्दुल्ला अल बैरन और अब्दुल लतीफ अलनसेफ से ऐतिहासिक मुलाकात

प्रधानमंत्री मोदी ने अपनी इस यात्रा के दौरान कुवैत के प्रसिद्ध विद्वान अब्दुल्ला अल बैरन और प्रकाशक अब्दुल लतीफ अलनसेफ से विशेष मुलाकात की। ये दोनों शख्सियतें भारतीय महाकाव्यों रामायण और महाभारत के अरबी भाषा में अनुवाद और प्रकाशन के लिए प्रसिद्ध हैं। अब्दुल्ला बैरन ने इन महाकाव्यों का अनुवाद कर साहित्य जगत में नया कीर्तिमान स्थापित किया है, वहीं अब्दुल लतीफ ने इसे अरबी भाषी पाठकों तक पहुंचाने का कार्य किया।

इस मुलाकात के दौरान इन विद्वानों ने प्रधानमंत्री मोदी को अरबी भाषा में अनुवादित रामायण और महाभारत की प्रतियां भेंट कीं। इस अवसर पर प्रधानमंत्री ने कहा कि इन महाकाव्यों का अनुवाद भारत और कुवैत के बीच सांस्कृतिक संबंधों को नई मजबूती देगा।

अनुवाद: एक गहन अध्ययन का परिणाम

अब्दुल्ला बैरन का योगदान केवल एक अनुवाद तक सीमित नहीं है। उन्होंने भारतीय दर्शन, परंपराओं, और इतिहास का गहराई से अध्ययन किया, ताकि इन महाकाव्यों की आत्मा को अरबी पाठकों तक पहुंचाया जा सके। उनके अनुवाद कार्य में दो साल लगे, और इसका प्रभाव कुवैत ही नहीं, बल्कि पूरे अरब जगत में महसूस किया जा रहा है।

भारत-कुवैत संबंधों का सांस्कृतिक विस्तार

प्रधानमंत्री मोदी ने अपनी मासिक रेडियो वार्ता मन की बात में भी इन दोनों विद्वानों का जिक्र किया था। उन्होंने इस प्रयास को भारत और कुवैत के बीच सांस्कृतिक आदान-प्रदान की दिशा में मील का पत्थर बताया। यह पहल भारतीय संस्कृति और सभ्यता को वैश्विक मंच पर पहुंचाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

अब्दुल्ला बैरन और अब्दुल लतीफ: अनूठे योगदानकर्ता

  • अब्दुल्ला अल बैरन: एक प्रतिष्ठित साहित्यकार और अनुवादक, जिन्होंने अब तक 30 से अधिक अंतरराष्ट्रीय महाकाव्यों का अनुवाद किया है। उनकी मेहनत और समर्पण ने भारतीय महाकाव्यों को अरब समाज में लोकप्रिय बनाने का मार्ग प्रशस्त किया।
  • अब्दुल लतीफ अलनसेफ: कुवैत के जाने-माने प्रकाशक, जिन्होंने इन महाकाव्यों के प्रकाशन के जरिए अरब जगत में भारतीय साहित्य को नई पहचान दिलाई।

मंगल सेन हांडा से विशेष भेंट

प्रधानमंत्री मोदी ने अपनी यात्रा के दौरान भारतीय विदेश सेवा के पूर्व अधिकारी मंगल सेन हांडा से भी मुलाकात की। 101 वर्षीय हांडा, जो 40 वर्ष पहले सेवा निवृत्त हुए थे, कुवैत समेत कई देशों में भारत का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं। उनकी प्रधानमंत्री से यह मुलाकात भावुक और प्रेरणादायक रही।

भारत और कुवैत के संबंधों की नई ऊंचाई

प्रधानमंत्री मोदी की 43 वर्षों में पहली कुवैत यात्रा ने दोनों देशों के बीच कूटनीतिक, सांस्कृतिक और सामाजिक संबंधों को सुदृढ़ किया है। अब्दुल्ला बैरन और अब्दुल लतीफ के योगदान ने इस यात्रा को और अधिक खास बना दिया। यह पहल भारतीय साहित्य और दर्शन को विश्व मंच पर प्रतिष्ठित करने की दिशा में एक बड़ी उपलब्धि है।

इस यात्रा ने यह स्पष्ट कर दिया कि साहित्य और संस्कृति के माध्यम से भी वैश्विक संबंधों को सशक्त किया जा सकता है।

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