COVID-19 Update: WHO की चीफ साइंटिस्ट ने कहा, 2022 से पहले कोरोना से नहीं मिलेगी मुक्ति

COVID-19 Update - WHO की चीफ साइंटिस्ट ने कहा, 2022 से पहले कोरोना से नहीं मिलेगी मुक्ति
| Updated on: 16-Sep-2020 03:57 PM IST
Delhi: कोरोना वायरस की एक प्रभावशाली वैक्सीन (Corona virus vaccine) का पूरी दुनिया को बेसब्री से इंतजार है। इसी बीच WHO (विश्व स्वास्थ्य संगठन) की चीफ साइंटिस्ट सौम्या स्वामीनाथन के एक बयान से लोगों की उम्मीदों को बड़ा झटका लगा है। उन्होंने मंगलवार को एक बयान में कहा कि सामान्य जीवन में लौटने के लिए 2022 से पहले पर्याप्त मात्रा में वैक्सीन (Covid-19 vaccine) का मिल पाना मुश्किल है।

स्वामीनाथन ने कहा, 'WHO की कोवैक्स पहल के तहत आय के अलग-अलग स्तर वाले देशों में न्याय संगत रूप से वैक्सीन पहुंचाने का काम किया जाएगा। इसके लिए अगले साल के मध्य तक करोड़ों डोज (Corona vaccine dose) तैयार करने होंगे। इसका मतलब हुआ है कि इससे जुड़े सभी 170 देशों या अर्थव्यवस्थाओं को कुछ ना कुछ जरूर मिलेगा।'

हालांकि जब तक वैक्सीन का प्रोडक्शन नहीं बढ़ जाता है, तब तक मास्क पहनने और सोशल डिस्टेंसिंग की जरूरत को बदलने के लिए बहुत कम संख्या में ही डोज उपबल्ध होंगे। 2021 के अंत तक वैक्सीन के दो अरब डोज हासिल करने का लक्ष्य रखा जाएगा।

उन्होंने कहा कि लोगों को ऐसा लग रहा है कि अगले साल जनवरी में पूरी दुनिया को वैक्सीन मिल जाएगी और वे फिर से एक सामान्य जिंदगी में लौट जाएंगे। वास्तव में ऐसा नहीं होता है। 2021 के मध्य में हम वैक्सीन रोलआउट का सही मूल्यांकन कर पाएंगे, क्योंकि 2021 की शुरुआत में तो आप इन वैक्सीन के नतीजों को देखना शुरू करेंगे।

हालांकि, इस मामले में चीन बड़ी आक्रमकता के साथ आगे बढ़ रहा है। 'चाइनीज सेंटर फॉर डिसीज एंड प्रीवेंशन' के वू गिजेन ने मंगलवार को कहा, 'नंवबर-दिसंबर तक चीन को स्थानीय रूप से वैक्सीन डेवलप करने का एक्सेस मिल जाएगा।' उधर, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भी चार हफ्तों के अंदर वैक्सीन देने का दावा किया है। राजनीति के दबाव में दवा कंपनियां भी इमरजेंसी में वैक्सीन इस्तेमाल करने का लाइसेंस जारी कर सकती हैं।

स्वामीनाथन ने कहा, 'सभी ट्रायल जो चल रहे हैं, उनमें ज्यादा नहीं तो कम से कम 12 महीने का वक्त तो लगेगा। ये वो समय होगा जब आप देखेंगे कि पहले कुछ सप्ताह में वैक्सीन के कोई साइडइफेक्ट तो नहीं हैं।' चूंकि ये एक महामारी है, इसलिए कई रेगुलेटर इमरजेंसी यूज की लिस्ट बनाना चाहेंगे। लेकिन इसके लिए भी मानदंड तय किए जाने जरूरी हैं।

उन्होंने कहा कि हम सिर्फ वैक्सीन के प्रभाव को देखना चाहते हैं, जबकि मुझे लगता है कि लोगों के लिए सुरक्षा ज्यादा महत्वपूर्ण है। उन्होंने बताया कि अमेरिका का FDA (फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन) बहुत जल्दी वैक्सीन के इमरजेंसी यूज की गाइडलाइन जारी करेगा।

चीन जुलाई से ही अपने पदाधिकारियों पर 'इमरजेंसी यूज ऑथोराइजेशन' के अंतर्गत तीन वैक्सीन इस्तेमाल कर रहा है। जबकि एक वैक्सीन जून से ही सैनिकों पर इस्तेमाल की जा रही है। देश की एक फार्मास्यूटिकल कंपनी के सीनियर अधिकारी ने बताया कि देश में अब तक लाखों लोगों को वैक्सीनेट किया जा चुका है।

स्वामीनाथन से जब चीन और अमेरिकी की स्थिति को लेकर सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि नेशनल रेगुलेटर्स को अपने सीमाओं में ऐसा करने का अधिकार है। हालांकि उन्होंने ये भी कहा कि रेगुलेटर्स को डेटा के लिए कंपनियों को डेडलाइन देनी चाहिए। यदि ट्रायल के आखिरी चरण में जरूरी शर्तों को पूरा नहीं किया गया है तो इमरजेंसी लाइसेंस रद्द किया जा सकता है।

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