US-China Tariff War: ट्रंप को क्यों लेना पड़ रहा है यू-टर्न, क्या चीन की चेतावनी से घबराया US?

US-China Tariff War - ट्रंप को क्यों लेना पड़ रहा है यू-टर्न, क्या चीन की चेतावनी से घबराया US?
| Updated on: 15-Apr-2025 09:28 AM IST

US-China Tariff War: अमेरिका और चीन के बीच छिड़ी टैरिफ वॉर की जंग अब केवल आयात-निर्यात तक सीमित नहीं रही, बल्कि ये दोनों महाशक्तियों के बीच रणनीतिक टकराव का नया चेहरा बन गई है। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा 20 प्रमुख इलेक्ट्रॉनिक्स सामग्री पर लगाए गए टैरिफ में छूट देना, जहां एक ओर यू-टर्न जैसा दिखता है, वहीं दूसरी ओर यह एक गहरी रणनीतिक मजबूरी का संकेत भी है। इस रिपोर्ट में हम समझने की कोशिश करेंगे कि टैरिफ में छूट असल में पीछे हटने का संकेत है या आने वाले बड़े मुकाबले की तैयारी।

रणनीति या दबाव?

शी जिनपिंग के वियतनाम दौरे में दिए गए बयानों ने ट्रंप प्रशासन पर मनोवैज्ञानिक दबाव डालने की कोशिश की। उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा कि संरक्षणवाद और दोहरे मापदंडों से कोई समाधान नहीं निकलेगा। चीन का यह संकेत अमेरिका के लिए चेतावनी थी कि टैरिफ वॉर का कोई विजेता नहीं होता – नुकसान दोनों ओर होगा।

हालांकि, ट्रंप ने जो छूट दी है, वह केवल एक सीमित श्रेणी तक सीमित है – कंप्यूटर, लैपटॉप, डिस्क ड्राइव, डेटा प्रोसेसिंग उपकरण, सेमीकंडक्टर, मेमोरी चिप और फ्लैट पैनल डिस्प्ले। ये वे उत्पाद हैं जिनके निर्माण के लिए अमेरिका चीन पर बुरी तरह निर्भर है। इसकी सबसे बड़ी वजह है रेयर अर्थ मिनरल्स का निर्यात चीन द्वारा रोकना, जो सेमीकंडक्टर उत्पादन की रीढ़ हैं।

अमेरिका की मजबूरी और चीन की बढ़त

अमेरिका में ऑटो और एयरोस्पेस जैसे बड़े उद्योग इन तकनीकी उत्पादों पर निर्भर हैं। निर्माण रुकने का अर्थ है अरबों डॉलर का आर्थिक नुकसान और बेरोजगारी में उछाल। ऐसे में टैरिफ में छूट देना ट्रंप के लिए राजनीतिक हार नहीं, बल्कि आर्थिक पतन से बचने की कोशिश है।

चीन के वाणिज्य मंत्रालय का ताजा बयान इसी दिशा में इशारा करता है – अमेरिका को अपने सारे टैरिफ रद्द करने चाहिए। साफ है कि बीजिंग अब आगे भी अमेरिका पर दबाव बढ़ाने के मूड में है।

पलटवार की तैयारी: पोल्ट्री प्रोडक्ट और पनामा

टैरिफ के मोर्चे पर अमेरिका की कमजोरी सामने आने के बाद चीन ने नया हमला पोल्ट्री प्रोडक्ट के जरिए किया है। अमेरिका से आयातित पोल्ट्री मांस में साल्मोनेला बैक्टीरिया पाए जाने की बात कहकर चीन ने न केवल अमेरिका की छवि पर वार किया है, बल्कि उन कंपनियों को आर्थिक झटका भी दिया है जो यह उत्पाद भेज रही थीं। इससे अमेरिका को न केवल व्यापार घाटा झेलना पड़ेगा, बल्कि वैश्विक स्तर पर बदनामी भी उठानी होगी।

वहीं दूसरी ओर, ट्रंप प्रशासन अब टैरिफ के बजाए भू-राजनीतिक मोर्चे पर चीन को घेरने की तैयारी में जुट गया है। इसका पहला उदाहरण है पनामा – जहां चीन का आर्थिक और कूटनीतिक प्रभाव लगातार बढ़ता जा रहा है। अमेरिका अब इस प्रभाव को खत्म करने के लिए वहां कदम बढ़ा चुका है।

समुद्री रास्तों की लड़ाई की आहट

बीजिंग को अंदेशा है कि यह टैरिफ वॉर अब समुद्री रणनीति की ओर मुड़ सकती है। दक्षिण चीन सागर और पनामा जैसे अहम समुद्री मार्गों पर अमेरिका-चीन टकराव की आशंका बढ़ रही है। चीन अपनी नौसेना और लॉजिस्टिक नेटवर्क को पहले से ज्यादा मजबूत करने में जुटा है। यह संकेत है कि टैरिफ वॉर की अगली कड़ी आर्थिक युद्ध से निकलकर सामरिक संघर्ष में तब्दील हो सकती है।

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