India-US Tariff War: अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत पर 25 फीसदी टैरिफ लगाने की घोषणा की है, जिसके बाद भारत में सियासी घमासान मच गया है। विपक्ष ने इस मुद्दे पर सरकार को घेरना शुरू कर दिया है और जवाबदेही की मांग की जा रही है। केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने गुरुवार को इस मामले पर अपनी बात रखी, लेकिन उससे पहले यह समझना जरूरी है कि भारत इस टैरिफ का जवाब कैसे देगा और क्या कोई जवाबी कार्रवाई होगी?
भारत ने स्पष्ट किया है कि वह ऐसा कोई कदम नहीं उठाएगा, जिससे दोनों देशों के संबंधों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़े। सरकार इस मुद्दे का हल कूटनीतिक बातचीत के जरिए निकालने को प्राथमिकता दे रही है। केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने कहा, "देशहित हमारी सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है। अमेरिका द्वारा लगाए गए टैरिफ के प्रभावों का गहन आकलन किया जा रहा है। मोदी सरकार किसानों, उद्यमियों, श्रमिकों, निर्यातकों, एमएसएमई और सभी हितधारकों के हितों को सर्वोपरि मानती है।"
पीयूष गोयल ने बताया कि भारत और अमेरिका के बीच दिल्ली और वाशिंगटन में चार दौर की बैठकें हो चुकी हैं। मार्च 2025 में दोनों देशों ने एक पारस्परिक लाभकारी व्यापार समझौते के लिए बातचीत शुरू की थी, जिसका लक्ष्य अक्टूबर-नवंबर 2025 तक समझौते के पहले चरण को अंतिम रूप देना था। गोयल ने कहा कि सरकार हालिया घटनाक्रम के प्रभावों का आकलन कर रही है और सभी जरूरी कदम उठाए जाएंगे।
केंद्रीय मंत्री ने बताया कि वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय सभी हितधारकों के साथ निरंतर बातचीत कर रहा है। उन्होंने कहा, "हम देश के हितों को सुरक्षित करने और आगे बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध हैं। भारत ने पिछले कुछ वर्षों में अपनी अर्थव्यवस्था को मजबूत किया है और आज हम फ्रेजाइल फाइव से निकलकर दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था बन गए हैं।"
गोयल ने पिछले 11 वर्षों में भारतीय निर्यात में हुई वृद्धि का जिक्र किया। उन्होंने बताया कि भारत ने यूएई, ब्रिटेन, आस्ट्रेलिया और यूरोपीय मुक्त व्यापार संघ (एफटा) के साथ लाभकारी व्यापार समझौते किए हैं। सरकार अन्य देशों के साथ भी ऐसे समझौतों के लिए प्रतिबद्ध है। गोयल ने विश्वास जताया कि भारत 'विकसित भारत-2047' के लक्ष्य की ओर तेजी से बढ़ रहा है।
दूसरी ओर, कांग्रेस ने सरकार पर इस मुद्दे को संसद में ठोस रूप से न उठाने का आरोप लगाया। कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने दावा किया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और ट्रंप की मित्रता का भरोसा पूरी तरह खोखला साबित हुआ है। रमेश ने कहा, "वाणिज्य मंत्री ने संसद में ट्रंप के टैरिफ और अमेरिका के साथ व्यापार समझौते की विफलता पर कोई स्पष्ट बयान नहीं दिया। अमेरिका द्वारा 25% टैरिफ और रूस व ईरान के साथ व्यापार पर अतिरिक्त जुर्माने जैसे मुद्दों पर कोई चर्चा नहीं हुई। देश की चिंताओं का समाधान नहीं किया गया।"
भारत सरकार का रुख स्पष्ट है कि वह तनाव बढ़ाने के बजाय बातचीत और सहयोग के रास्ते पर चलना चाहती है। हालांकि, विपक्ष के बढ़ते दबाव और सियासी बयानबाजी के बीच सरकार को यह सुनिश्चित करना होगा कि देश के आर्थिक हितों की रक्षा हो और वैश्विक मंच पर भारत की स्थिति मजबूत बनी रहे।