Rajasthan Election: क्या बदल जाएगा 30 साल का रिवाज, क्यों जारी नहीं रख सकी BJP सिलसिला?

Rajasthan Election - क्या बदल जाएगा 30 साल का रिवाज, क्यों जारी नहीं रख सकी BJP सिलसिला?
| Updated on: 01-Dec-2023 04:30 PM IST
Rajasthan Election: राजस्थान की सत्ता की तस्वीर तीन दिसंबर को मतगणना के बाद साफ हो गई है, लेकिन इस बार कांग्रेस और बीजेपी के बीच कांटे का मुकाबला है. राजस्थान विधानसभा चुनाव को लेकर गुरुवार को आए अलग-अलग एजेंसियों के एग्जिट पोल में दावे भी बिल्कुल जुदा हैं. किसी एग्जिट पोल में बीजेपी को बढ़त तो कुछ सर्वे के मुताबिक कांग्रेस के हाथों में सत्ता बनी रहने की संभावना रही है. एक्सिस माय इंडिया और टुडेज चाणाक्य के आंकड़ों को देखें तो कांग्रेस तीस साल के बाद रिवाज बदलने में कामयाब रही जबकि बीजेपी हर पांच साल पर होने वाले सत्ता परिवर्तन सिससिले को बरकरार रखने में सफल नहीं दिख रही.

राजस्थान की कुल 200 विधानसभा सीटों में से 199 सीटों पर मतदान हुआ, जिस लिहाज से बहुमत के लिए 100 सीटों की जरूरत है. एग्जिट पोल के मुताबिक कांग्रेस की वापसी और बीजेपी बहुमत से दूर नजर आ रही है. बीजेपी को 80 से 100 सीटें जबकि कांग्रेस के खाते में 86 से 106 सीटें मिल सकती है. टुडेज चाणाक्य के अनुसार कांग्रेस को 102 और बीजेपी को 89 सीटें मिलने की उम्मीद है. दोनों ही दलों को 12 सीट प्लस-माइनेस के अनुमान है.

एग्जिट पोल के आंकड़े सच हुए तो कांग्रेस राजस्थान में फिर से सरकार बना सकती है. राजस्थान के राजनीतिक इतिहास में यह 30 साल के बाद होगा, जब किसी सत्ताधारी पार्टी की सरकार रिपीट होगी. 1993 से बाद से लेकर 2018 तक छह चुनाव हुए हैं, जिनमें तीन बार बीजेपी तो तीन बार कांग्रेस सरकार बनाने में कामयाब रही. इस तरह तीन दशक से हर 5 साल के बाद सत्ता परिवर्तन का रिवाज चला आ रहा, लेकिन एग्जिट पोल के मुताबिक इस बार सीएम गहलोत यह परंपररा को बदलते हुए नजर आ रहे हैं.

हर चुनाव में बदलती है सरकार

  • 1993 : बीजेपी ने 95 सीटें जीतकर सत्ता में वापसी करने में कामयाब रही तो कांग्रेस को 76 सीटें मिलीं थी.
  • 1998 : कांग्रेस ने 153 सीट और बीजेपी ने 33 सीटें जीती थी. इस तरह कांग्रेस प्रचंड बहुमत के साथ सत्ता में वापसी किया था.
  • 2003 : बीजेपी ने 120 सीटें तो कांग्रेस को 56 सीटें जीती थी. इस तरह कांग्रेस को मात देकर बीजेपी ने सत्ता अपने नाम कर लिया.
  • 2008 : कांग्रेस ने 96 सीटें जीते तो बीजेपी 78 सीटें मिलीं थी. कांग्रेस ने सत्ता में वापसी, लेकिन अन्य साथ मिलकर सरकार बनाई.
  • 2013 : बीजेपी ने 163 सीटें जीती तो कांग्रेस को 21 सीटें मिलीं. बीजेपी ने पांच साल बाद दोबारा से सत्ता पर काबिज हुई.
  • 2018: कांग्रेस ने 100 सीटें जीती तो बीजेपी को 73 सीटें मिली थी. इस तरह एक बार फिर कांग्रेस की सत्ता में वापसी हुई.
2023 में क्या बदल रहा रिवाज

राजस्थान विधानसभा चुनाव में इस बार कांग्रेस और बीजेपी के बीच कांटे की टक्कर है, लेकिन सत्ता परिवर्तन का रिवाज बदलता हुआ नजर आ रहा है. एक्सिस माय इंडिया और टुडेज चाणाक्य दोनों के एग्जिट पोल के मुताबिक राजस्थान में कांग्रेस को बढ़त मिलती दिख रही है. बीजेपी की तमाम कोशिशें चुनाव में फेल हो गई है. राजस्थान के चुनावी नतीजे में भी ऐसे होता है तो फिर 30 साल के बाद रिवाज बदलेगा. 2018 के चुनाव की तुलना में 2023 के चुनाव में वोटिंग लगभग बराबर है.

इसीलिए तमाम एग्जिट पोल कांग्रेस और बीजेपी के बीच कांटे की टक्कर का अनुमान बता रहे हैं. एग्जिट पोल के आंकड़ों के गहन विश्लेषण से पता चलता है कि लगभग 55 से 60 सीटें ऐसी हैं, त्रिकोणीय मुकाबला है. यहां पर अन्य, जिनमें बीजेपी और कांग्रेस दोनों के बागी शामिल हैं, खेल बिगाड़ सकते हैं. पिछले चुनाव में देखा गया है कि कांग्रेस के जितने भी बागी लड़े थे, वो सभी चुनाव जीतने में सफल रहे थे जबकि बीजेपी के बागी खुद भी हारे थे और उनके चलते बीजेपी उम्मीदवार को भी हार का मूंह देखना पड़ा था. ऐसे ही ट्रेंड अगर 2023 चुनाव में भी दिखा तो कांग्रेस अपने दम पर बहुमत का आंकड़ा जुटा लेगी.

बीजेपी क्यों सिलसिला नहीं रख सकी?

राजस्थान में पांच साल में होने वाले सत्ता परिवर्तन के सिलसिले को बीजेपी बरकरार नहीं रख पाती है तो उसके लिए बड़ा झटका होगा. बीजेपी ने इस बार किसी को भी मुख्यमंत्री पद का चेहरा घोषित नहीं किया था जबकि कांग्रेस गहलोत के हाथों में चुनावी कमान सौंप रखी थी. गहलोत यह बात बार-बार कह रहे थे कि हम खुद सभी 200 सीटों पर चुनाव लड़ रहे हैं. वहीं, बीजेपी को सीएम फेस पर सस्पेंस रखना. इसके अलावा यह भी था कि पार्टी ने वसुंधरा राजे को आखिरी टाइम में ही एक्टिव कर पाई, जिसका फायदा उठाने में कांग्रेस सफल रही.

बीजेपी अपने नेताओं की आपसी गुटबाजी का भी शिकार रही. पांच साल तक आपसी खींचतान में ही बीजेपी नेता जूझते रहे और सीएम गहलोत व कांग्रेस सरकार के खिलाफ सियासी माहौल नहीं बना सके. यही वजह थी कि इस बार के चुनाव में कहीं भी गहलोत को लेकर नाराजगी नहीं दिखी और न ही पिछले चुनाव की तरह विरोधी नारे सुनाई पड़े, जैसे पिछले चुनाव में ‘मोदी से बैर नहीं वसुंधरा राजे की खैर नहीं’ के नारे काफी जोर-शोर से उठाए गए थे.

वहीं, गहलोत सरकार और कांग्रेस ने लोकलुभाने वादों का ऐलान करके सियासी फिजा को अपनी तरफ मोड़ने की हरसंभव कोशिश की है. हेल्थ से जुड़ी ‘मुख्यमंत्री चिरंजीवी स्वास्थ्य बीमा योजना’ की रकम को 25 लाख से बढ़ाकर 50 लाख किया. महिलाओं को हर साल 10 हजार रुपये किया और गैस सिलंडर के 400 रुपये में देने की गारंटी दे रखी थी, जिससे महिला मतदाताओं का झुकाव कांग्रेस की तरफ रहा. इसके अलावा कांग्रेस ने जिस तरह से अपनी सोशल इंजीनियरिंग बनाई थी, उसकी काट बीजेपी नहीं तलाश सकी. कांग्रेस नेता मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास ने कहा कि बीजेपी, किसान, युवा रोजगार किसी की बात नहीं करती है जबकि हमने डायरेक्ट जनता को फायदा पहुंचाया है. हमें भरोसा है कि इस बार राजस्थान का रिवाज बदलने जा रहा है.

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