देश: 'आपका सबक अपराधियों को खुला छोड़ने का था' शाह के 2002 वाले बयान पर ओवैसी का पलटवार

देश - 'आपका सबक अपराधियों को खुला छोड़ने का था' शाह के 2002 वाले बयान पर ओवैसी का पलटवार
| Updated on: 26-Nov-2022 04:17 PM IST
Controversial comment in Gujarat election rally: गुजरात में विधानसभा चुनाव को लेकर राजनीतिक पार्टियों में बयानबाजी अपने चरम पर है. यहां एक चुनावी रैली में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के 2002 दंगे पर किए गए एक कमेंट को लेकर ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहाद-उल मुस्लिमीन (AIMIM) के मुखिया असदुद्दीन ओवैसी ने निशाना साधा है. ओवैसी ने कहा कि अमित शाह का सबक वास्तव में अपराधियों को खुला छोड़ने के बारे में था.

गुजरात की सबसे बड़ी मुस्लिम आबादी वाले इलाके जुहापुरा में एक जनसभा को संबोधित करते हुए ओवैसी ने कहा, 'आज यहां के एमपी जनाब अमित शाह ने अपने भाषण में कहीं पर ये कह दिया कि 2002 में हमने जो सबक सिखाया था, उसकी वजह से गुरजात में अमन कायम हो गया.'

उन्होंने कहा, 'मैं इस इलाके के एमपी से कहना चाहूंगा, भारत के गृह मंत्री से कहना चाहूंगा कि आपने जो 2002 में सबक सिखाया वो सबक ये था कि बिलकिस बानो का रेप करने वालों को आप छोड़ेंगे. आपने जो सबक सिखाया कि बिलकिस की 3 साल की बेटी को उसकी मां के सामने कत्ल करने वालों को आप छोड़ेंगे. एहसान जाफरी का कत्ल किया जाएगा ये भी सबक आपने सिखाया. गुलबर्ग बेकरी का सबक आपने सिखाया.'

'कौन-कौन सा सबक हम आपका याद रखेंगे'

ओवैसी ने आगे कहा, 'कौन-कौन सा सबक हम आपका याद रखेंगे अमित शाह साहब? याद रखिए अमन उसी वक्त मजबूत होता है जब मजलूमों के साथ इंसाफ होता है. आपने कौन सा सबक सिखाया कि दिल्ली में दंगे हो गए, जुल्म किए गए.'

सभा को संबोधित करते हुए ओवैसी ने कहा, 'सत्ता कभी किसी एक व्यक्ति के पास नहीं होती. एक दिन सत्ता चली जाएगी. सत्ता के नशे में गृह मंत्री आज कह रहे हैं कि हमने सबक सिखाया. आपने क्या सबक सिखाया? आप पूरे देश में बदनाम हो गए. आपने क्या सबक सिखाया कि दिल्ली में साम्प्रदायिक दंगे हुए.'

'ऐसा सबक सिखाया कि 22 साल से शांति है'

दरअसल, अमित शाह ने गुरुवार को कहा था कि गुजरात में सांप्रदायिक दंगों के लिए जिम्मेदार लोगों को ऐसा सबक सिखाया गया कि राज्य में 22 साल से शांति है. शाह ने खेड़ा जिले के महुधा शहर में कहा, 'गुजरात में कांग्रेस के शासन के दौरान (1995 से पहले), बड़े पैमाने पर सांप्रदायिक दंगे हुए थे. कांग्रेस विभिन्न समुदायों और जातियों के लोगों को एक दूसरे के खिलाफ लड़ने के लिए उकसाती थी. ऐसे दंगों के माध्यम से, कांग्रेस ने अपने वोट बैंक को मजबूत किया और समाज के एक बड़े वर्ग के साथ अन्याय किया.'

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