Bangladesh Politics: यूनुस सरकार के ‘जुलाई चार्टर’ पर भड़की खालिदा जिया की बीएनपी, लगाया ‘विश्वासघात’ का आरोप

Bangladesh Politics - यूनुस सरकार के ‘जुलाई चार्टर’ पर भड़की खालिदा जिया की बीएनपी, लगाया ‘विश्वासघात’ का आरोप
| Updated on: 29-Oct-2025 09:20 PM IST
बांग्लादेश में नोबेल विजेता मुहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार के एक अहम फैसले ने देश की राजनीति में नया भूचाल ला दिया है और सरकार की ‘जुलाई चार्टर’ को लागू करने की योजना पर प्रमुख विपक्षी दल बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। बीएनपी, जिसका नेतृत्व पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया करती हैं, ने इस कदम को ‘विश्वासघात’ और ‘खुला धोखा’ करार दिया है, जिससे देश में राजनीतिक अस्थिरता की आशंका बढ़ गई है। **चार्टर पर क्यों मचा है बवाल? विवाद का केंद्र ‘जुलाई चार्टर’ है, जिसे पिछले साल जुलाई-अगस्त में हुए व्यापक छात्र विरोध प्रदर्शनों की आकांक्षाओं को संस्थागत रूप देने के लिए तैयार किया गया था। इन प्रदर्शनों ने तत्कालीन प्रधानमंत्री शेख हसीना की अवामी लीग सरकार को सत्ता से बेदखल कर दिया था, जिसके बाद मुहम्मद यूनुस की अंतरिम सरकार का गठन हुआ। यह चार्टर राजनीति, अर्थव्यवस्था, न्यायपालिका और शिक्षा जैसे 80 से अधिक क्षेत्रों में व्यापक। सुधारों का प्रस्ताव करता है, जिसका उद्देश्य देश को लोकतांत्रिक पटरी पर वापस लाना है।

बीएनपी का 'विश्वासघात' का आरोप

बीएनपी महासचिव मिर्जा फखरुल इस्लाम आलमगीर ने अंतरिम सरकार के इस फैसले पर गहरा आश्चर्य व्यक्त किया है। उन्होंने बुधवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि यह न केवल हमारी पार्टी के साथ, बल्कि पूरे राष्ट्र के साथ विश्वासघात है। आलमगीर का आरोप है कि राष्ट्रीय सहमति आयोग द्वारा जारी अंतिम रिपोर्ट में बीएनपी के असहमति नोट, विशेष रूप से चुनाव सुधारों में पारदर्शिता और विपक्ष की भूमिका पर जोर देने वाले बिंदुओं को पूरी तरह से गायब कर दिया गया है। पार्टी का कहना है कि ये असहमतियां चार्टर की आत्मा का। हिस्सा थीं और इन्हें नजरअंदाज करना लोकतंत्र की हत्या के समान है।

अंतरिम सरकार की प्रतिक्रिया और आयोग का रुख

यूनुस सरकार ने अभी तक बीएनपी के इन गंभीर आरोपों पर कोई सीधी प्रतिक्रिया नहीं दी है। हालांकि, राष्ट्रीय सहमति आयोग के एक सदस्य ने नाम न छापने की शर्त पर कहा कि चार्टर के मसौदे पर सभी पक्षों की असहमतियां ‘बहुमत की सहमति’ में विलय हो गई थीं। आयोग ने जनमत संग्रह के जरिए चार्टर को लागू करने की सिफारिश की है, जिसे बीएनपी ‘एकतरफा थोपना’ बता रही है और यह स्थिति अंतरिम सरकार के लिए एक नई चुनौती पेश कर रही है, जिसे सभी पक्षों को साथ लेकर चलना है।

खालिदा जिया और बीएनपी की चेतावनी

पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया के नेतृत्व वाली बीएनपी ने स्पष्ट चेतावनी दी है कि यदि पार्टी के विचारों को तुरंत बहाल नहीं किया गया और उनकी असहमति को स्वीकार नहीं किया गया, तो राष्ट्रीय एकता की नींव कमजोर हो जाएगी। महासचिव आलमगीर ने कहा कि जुलाई के शहीदों की कुर्बानी को कमजोर करने का यह प्रयास अस्वीकार्य है और उन्होंने संकेत दिया कि यदि सुधार नहीं किए गए, तो बीएनपी सड़कों पर उतरने को मजबूर होगी, जिससे देश में एक और राजनीतिक संकट पैदा हो सकता है।

बांग्लादेश की अस्थिर राजनीति पर प्रभाव

राजनीतिक पर्यवेक्षक इस विवाद को ‘संक्रमणकालीन लोकतंत्र की परीक्षा’ के रूप में देख रहे हैं। उनका मानना है कि इस नाजुक मोड़ पर सभी पक्षों की भागीदारी और सहमति बेहद जरूरी है। अवामी लीग के अवशेषों के साथ-साथ बीएनपी का बढ़ता विरोध अंतरिम सरकार को कमजोर कर सकता है, खासकर ऐसे समय में जब बांग्लादेश पहले से ही गंभीर आर्थिक संकट और बाढ़ जैसी प्राकृतिक आपदाओं से जूझ रहा है। यह विवाद देश की राजनीतिक स्थिरता के लिए एक बड़ी चुनौती है और यूनुस सरकार को इसे सावधानी से संभालने की आवश्यकता होगी।

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