Russia-Ukraine War: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की पहल के बावजूद रूस और यूक्रेन के बीच पिछले साढ़े तीन साल से चल रहा युद्ध थमने का नाम नहीं ले रहा। अलास्का में ट्रंप और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की ऐतिहासिक मुलाकात भी इस जंग को खत्म करने में कोई ठोस समाधान नहीं दे सकी। इस बीच, यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की के संभावित भारत दौरे की खबरों ने एक नई उम्मीद जगाई है। साथ ही, रूसी राष्ट्रपति पुतिन के भी इस साल भारत दौरे की चर्चा है। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या भारत इस युद्ध को खत्म करने की दिशा में कोई निर्णायक भूमिका निभा सकता है?
यूक्रेन के राजदूत ओलेक्सांद्र पोलिशचुक ने हाल ही में बताया कि राष्ट्रपति जेलेंस्की जल्द ही भारत का दौरा कर सकते हैं। हालांकि, दौरे की तारीख अभी तय नहीं हुई है, लेकिन भारत और यूक्रेन इस दिशा में बातचीत कर रहे हैं। पिछले साल अगस्त में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यूक्रेन का दौरा किया था और जेलेंस्की को भारत आने का न्योता दिया था। अब दोनों देश इस दौरे को अमल में लाने के लिए तारीख तय करने में जुटे हैं। यह दौरा न केवल भारत-यूक्रेन संबंधों को मजबूत करेगा, बल्कि शांति वार्ता की दिशा में भी महत्वपूर्ण हो सकता है।
दूसरी ओर, रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन भी इस साल के अंत में भारत का दौरा करने वाले हैं। भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल ने मॉस्को यात्रा के दौरान इसकी पुष्टि की थी। भारत और रूस के बीच लंबे समय से मजबूत और मैत्रीपूर्ण संबंध रहे हैं। वहीं, यूक्रेन के साथ भी भारत के रिश्ते सौहार्दपूर्ण हैं। ऐसे में, जेलेंस्की और पुतिन के भारत दौरे एक अनूठा अवसर प्रदान कर सकते हैं, जहां भारत मध्यस्थ की भूमिका निभाकर शांति की दिशा में ठोस कदम उठा सकता है।
भारत ने हमेशा से ही रूस-यूक्रेन युद्ध में शांति की वकालत की है। प्रधानमंत्री मोदी ने कई मौकों पर दोनों देशों के नेताओं से बातचीत कर शांतिपूर्ण समाधान की आवश्यकता पर जोर दिया है। यूक्रेन के राजदूत ने कहा, "भारत और यूक्रेन के बीच भविष्य की रणनीतिक साझेदारी को लेकर जो घोषणा हुई है, उसमें अपार संभावनाएं हैं। राष्ट्रपति जेलेंस्की का भारत दौरा हमारे द्विपक्षीय संबंधों के लिए एक बड़ी उपलब्धि होगी।" उन्होंने यह भी बताया कि दोनों देश मिलकर दौरे की तारीख तय करने में जुटे हैं।
भारत का दोनों देशों—रूस और यूक्रेन—के साथ संतुलित और विश्वासपूर्ण संबंध इस स्थिति में उसकी ताकत है। भारत ने न केवल रूस के साथ अपनी पुरानी दोस्ती को बनाए रखा है, बल्कि यूक्रेन के साथ भी मानवीय सहायता और कूटनीतिक संवाद को बढ़ावा दिया है। यह संतुलन भारत को एक तटस्थ मध्यस्थ के रूप में विश्वसनीय बनाता है। इसके अलावा, भारत की वैश्विक मंचों पर बढ़ती भूमिका और 'वसुधैव कुटुंबकम' की नीति इसे शांति स्थापना के लिए एक आदर्श मंच प्रदान करती है।
हालांकि, रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध को खत्म करना आसान नहीं है। दोनों पक्षों के बीच गहरे मतभेद और जटिल भू-राजनीतिक परिस्थितियां शांति वार्ता को मुश्किल बनाती हैं। फिर भी, भारत की तटस्थता और दोनों पक्षों के साथ उसका विश्वास इस दिशा में एक सकारात्मक पहल को संभव बना सकता है। यदि जेलेंस्की और पुतिन के भारत दौरे के दौरान कोई साझा मंच तैयार होता है, तो यह न केवल भारत की कूटनीतिक जीत होगी, बल्कि वैश्विक शांति के लिए भी एक मील का पत्थर साबित हो सकता है।