बांग्लादेश में 13वें संसदीय चुनाव का बिगुल बज चुका है, जिसकी घोषणा मुख्य चुनाव आयुक्त एएमएम नासिर उद्दीन ने गुरुवार शाम को की। यह महत्वपूर्ण चुनाव 12 फरवरी 2026 को निर्धारित किया गया है, जो देश के राजनीतिक भविष्य को आकार देगा और इसी दिन जुलाई चार्टर को लागू करने के लिए एक जनमत संग्रह भी आयोजित किया जाएगा, जिससे यह दिन बांग्लादेश के लिए दोहरी लोकतांत्रिक प्रक्रिया का गवाह बनेगा।
मतदान का समय और जनमत संग्रह
12 फरवरी 2026 को सुबह 7:30 बजे से शाम 4:30 बजे तक मतदान होगा। इस बार मतदान का समय एक घंटे बढ़ाया गया है, जो एक उल्लेखनीय बदलाव है। यह विस्तार विशेष रूप से इसलिए किया गया है क्योंकि उसी दिन संसदीय चुनाव के साथ-साथ जुलाई चार्टर पर जनमत संग्रह भी हो रहा है। मतदाताओं को दोनों प्रक्रियाओं में भाग लेने के लिए पर्याप्त समय मिल सके, यह सुनिश्चित करने के लिए यह कदम उठाया गया है। जनमत संग्रह का मतपत्र गुलाबी रंग का होगा, जबकि संसदीय चुनाव का मतपत्र सफेद रंग का होगा, जिससे मतदाताओं को दोनों प्रक्रियाओं के बीच स्पष्ट अंतर करने में मदद मिलेगी।
अवामी लीग का चुनाव से बाहर होना
इस चुनाव की सबसे बड़ी और महत्वपूर्ण खबर यह है कि पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना की पार्टी, अवामी लीग, इसमें शामिल नहीं हो पाएगी। पार्टी पर पहले ही प्रतिबंध लगाया जा चुका है, जिसके कारण उसे चुनावी दौड़ से बाहर कर दिया गया है। यह घटनाक्रम बांग्लादेश की राजनीतिक परिदृश्य में एक बड़ा बदलाव लाता है, क्योंकि अवामी लीग देश की प्रमुख राजनीतिक शक्तियों में से एक रही है और इस प्रतिबंध के बाद, जानकारों का मानना है कि मुख्य मुकाबला बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (BNP), जमात-ए-इस्लामी और नवगठित नेशनल सिटिजन पार्टी (NCP) के बीच होगा, जिससे चुनाव में नई राजनीतिक गतिशीलता देखने को मिलेगी।
जुलाई चार्टर और संवैधानिक सुधार
जुलाई चार्टर एक महत्वपूर्ण संवैधानिक सुधार से जुड़ा दस्तावेज है। इसका मुख्य उद्देश्य देश की राजनीति और शासन-व्यवस्था में व्यापक बदलाव लाना है। 12 फरवरी को होने वाला जनमत संग्रह इसी जुलाई चार्टर को लागू करने के लिए जनता की राय जानने का एक लोकतांत्रिक तरीका है और यह चार्टर बांग्लादेश के भविष्य के शासन मॉडल और राजनीतिक संरचना को परिभाषित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। जनमत संग्रह के माध्यम से, नागरिक सीधे तौर पर इन प्रस्तावित सुधारों पर अपनी सहमति या असहमति व्यक्त कर सकेंगे।
चुनाव का विस्तृत कार्यक्रम
चुनाव आयोग ने 13वें संसदीय चुनाव और जनमत संग्रह के लिए एक विस्तृत कार्यक्रम जारी किया है। इसके तहत, उम्मीदवार 29 दिसंबर तक अपने नामांकन पत्र दाखिल कर सकेंगे। इसके बाद, 30 दिसंबर से 4 जनवरी तक नामांकन पत्रों की जांच की जाएगी, जिसमें यह सुनिश्चित किया जाएगा कि सभी उम्मीदवार निर्धारित मानदंडों को पूरा करते हैं और 4 जनवरी तक नामांकन पत्रों का चयन किया जाएगा, जिसके बाद अयोग्य उम्मीदवारों को बाहर कर दिया जाएगा। अपील निपटारे का कार्यक्रम 18 जनवरी तक प्रस्तावित है, जिससे उम्मीदवारों। को किसी भी आपत्ति या त्रुटि को दूर करने का अवसर मिलेगा। उम्मीदवारी वापस लेने की अंतिम तिथि 20 जनवरी है, और। 21 जनवरी को चुनाव आयोग उम्मीदवारों को चुनाव चिन्ह आवंटित करेगा। अंततः, 12 फरवरी को मतदान प्रस्तावित है।
मतदाताओं की संख्या और व्यवस्था
चुनाव आयोग के आंकड़ों के अनुसार, इस बार कुल 12. 8 करोड़ मतदाता सरकार चुनने के लिए अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे। इनमें 6 और 48 करोड़ पुरुष मतदाता और 6. 28 करोड़ महिला मतदाता शामिल हैं, जो बांग्लादेश की लोकतांत्रिक प्रक्रिया में एक बड़ी भागीदारी को दर्शाते हैं। इसके अतिरिक्त, लगभग 30 हजार अनिवासी बांग्लादेशी (NRB) मतदाता भी इस चुनाव में वोट डाल सकेंगे, जिससे विदेशों में रहने वाले नागरिकों की भागीदारी सुनिश्चित होगी और चुनाव आचार संहिता को प्रभावी ढंग से बनाए रखने के लिए, प्रत्येक जिले में दो उपायुक्तों (कलेक्टरों) की तैनाती की जाएगी, जो निष्पक्ष और शांतिपूर्ण चुनाव सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।
राजनीतिक परिदृश्य और मुख्य दावेदार
कुल 56 पार्टियां इस चुनाव में शामिल होने के लिए तैयार हैं, जो बांग्लादेश के बहुदलीय लोकतांत्रिक ढांचे को दर्शाता है। जैसा कि पहले उल्लेख किया गया है, अवामी लीग के चुनाव से बाहर होने के बाद, मुख्य मुकाबला BNP, जमात-ए-इस्लामी और नवगठित NCP के बीच होने की उम्मीद है। ये पार्टियां विभिन्न राजनीतिक विचारधाराओं और एजेंडों का प्रतिनिधित्व करती हैं, और उनके बीच की प्रतिस्पर्धा चुनाव को और भी दिलचस्प बना देगी। प्रत्येक पार्टी मतदाताओं को आकर्षित करने और अपनी नीतियों को बढ़ावा देने के लिए सक्रिय रूप से प्रचार करेगी।
शेख हसीना का इस्तीफा और अंतरिम सरकार
यह चुनाव ऐसे समय में हो रहा है जब बांग्लादेश हाल ही में बड़े राजनीतिक उथल-पुथल से गुजरा है और हिंसक विरोध प्रदर्शनों के बाद, शेख हसीना को 5 अगस्त 2024 को प्रधानमंत्री पद छोड़ना पड़ा था। उनके इस्तीफे के बाद, मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व में एक अंतरिम सरकार। का गठन किया गया, जिसने देश में स्थिरता लाने का प्रयास किया। वर्तमान में, शेख हसीना भारत में हैं। यह पृष्ठभूमि आगामी चुनावों को और भी महत्वपूर्ण बनाती है, क्योंकि यह बांग्लादेश के लिए एक नए राजनीतिक युग की शुरुआत का प्रतीक हो सकता है, जिसमें जनता अपने नए नेतृत्व का चुनाव करेगी।