बिहार विधानसभा चुनाव में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) की ऐतिहासिक विजय के बाद, नए मंत्रिमंडल के शपथ ग्रहण समारोह की तैयारियां अंतिम चरण में पहुँच चुकी हैं और गठबंधन के भीतर मंत्री पदों के बँटवारे को लेकर भी सहमति बन चुकी है, जिससे सरकार गठन की प्रक्रिया को गति मिल रही है। यह जीत NDA की एकजुटता और जनता के विश्वास का प्रतीक है,। और अब सभी की निगाहें नए मंत्रिमंडल के स्वरूप पर टिकी हैं।
सूत्रों के अनुसार, मंत्रिमंडल के गठन में भाजपा की अहम भूमिका होगी, जिसमें पार्टी को 15 से 16 मंत्री पद मिलने की संभावना है और वहीं, जनता दल यूनाइटेड (JDU) से मुख्यमंत्री के साथ 14 मंत्री शपथ ले सकते हैं, जो गठबंधन में JDU की महत्वपूर्ण स्थिति को दर्शाता है। इसके अतिरिक्त, लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के अध्यक्ष चिराग पासवान के खाते से तीन मंत्रियों को जगह मिलने की चर्चा है, जो गठबंधन में उनकी पार्टी के योगदान को मान्यता देगा। जीतन राम मांझी और उपेंद्र कुशवाहा की पार्टियों से भी एक-एक मंत्री को शामिल किए जाने की संभावना है, जिससे छोटे सहयोगी दलों को भी उचित प्रतिनिधित्व मिल सके। यह फॉर्मूला गठबंधन की व्यापकता और सभी घटकों को साथ लेकर चलने की रणनीति को दर्शाता है।
भाजपा की अंदरूनी तैयारियां
मंत्रिमंडल के गठन से पहले, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने अपनी अंदरूनी तैयारियां तेज कर दी हैं। पार्टी ने इस प्रक्रिया को सुचारू बनाने के लिए दिलीप जायसवाल। और सम्राट चौधरी जैसे वरिष्ठ नेताओं को महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां सौंपी हैं। इन दोनों नेताओं ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मुलाकात कर मंत्रिमंडल विस्तार और अन्य संबंधित मुद्दों पर विस्तृत बातचीत की है और यह कदम भाजपा की ओर से गठबंधन के भीतर समन्वय और प्रभावी शासन सुनिश्चित करने की प्रतिबद्धता को दर्शाता है। इन नेताओं की सक्रियता से यह स्पष्ट होता है कि भाजपा नई सरकार के गठन। में कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती और सभी पहलुओं पर गंभीरता से विचार कर रही है।
गठबंधन की एकजुटता का संदेश
NDA नेतृत्व यह सुनिश्चित करने का प्रयास कर रहा है कि मंत्रिमंडल में सभी सहयोगी दलों को उचित प्रतिनिधित्व मिले। इस पहल का मुख्य उद्देश्य सरकार गठन के साथ ही जनता के बीच गठबंधन की एकजुटता का स्पष्ट संदेश देना है। यह रणनीति न केवल वर्तमान सरकार को स्थिरता प्रदान करेगी, बल्कि भविष्य में भी गठबंधन के भीतर सौहार्द बनाए रखने में सहायक होगी और सूत्रों के मुताबिक, भविष्य में NDA में शामिल दलों को राज्यसभा में भी सीटें दी जा सकती हैं, जो गठबंधन के दीर्घकालिक संबंधों को मजबूत करने की दिशा में एक और कदम होगा। फिलहाल, भाजपा का पूरा ध्यान बिहार में नई सरकार के सुचारु गठन पर केंद्रित है।
शपथ ग्रहण समारोह की तैयारियां
शपथ ग्रहण समारोह की तारीख को लेकर अटकलें तेज हैं, लेकिन बताया जा रहा है कि यह कार्यक्रम 19 या 20 नवंबर को हो सकता है। इसे लेकर पटना प्रशासन ने तैयारियां शुरू कर दी हैं और रविवार को एक एडवाइजरी जारी करते हुए गांधी मैदान को 17 से 20 नवंबर तक आम लोगों के लिए बंद कर दिया गया है। इसी ऐतिहासिक मैदान में शपथ ग्रहण कार्यक्रम की भव्य तैयारी की जा रही है। मैदान के चारों तरफ पुलिस बल भी तैनात कर दिया गया है, और 17 नवंबर से तैयारियों को और तेज कर दिया जाएगा। यह सुरक्षा व्यवस्था और तैयारियों की गति इस बात का संकेत है कि शपथ ग्रहण समारोह जल्द ही होने वाला है।
बिहार चुनाव 2025: एक विस्तृत विश्लेषण
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में NDA ने कुल 202 सीटें जीतकर एक बड़ी जीत दर्ज की है, जिससे यह स्पष्ट हो गया है कि जनता ने गठबंधन पर अपना विश्वास जताया है और इस चुनाव में भाजपा सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है, जो राज्य की राजनीति में उसके बढ़ते प्रभाव को दर्शाता है। दूसरी ओर, महागठबंधन, जिसमें राजद, कांग्रेस और तीन वाम दल शामिल थे, 35 सीटों का आंकड़ा भी पार नहीं कर सका, जो उनके लिए एक करारी हार थी। प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी ने 28 सीटों पर चुनाव लड़ा, लेकिन एक भी सीट जीतने में असफल रही। वहीं, ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) को 5 सीटों पर जीत मिली, जो कुछ क्षेत्रों में उसकी उपस्थिति को मजबूत करती है। इन परिणामों ने बिहार की राजनीतिक तस्वीर को स्पष्ट कर। दिया है और NDA को सरकार बनाने का जनादेश दिया है।