कोरोना वायरस / पूरा वैक्सीनेशन करा चुके लोगों से भी फैल सकता है कोविड-19 का डेल्टा वैरिएंट: सीडीसी

Zoom News : Jul 31, 2021, 10:54 AM
न्यूयॉर्क: कोरोना वायरस (Coronavirus) का डेल्टा वेरिएंट कोविड-19 (COVID 19) के सभी वेरिएंट्स की तुलना में सबसे ज्यादा गंभीर संक्रमण पैदा कर सकता है. अमेरिकी हेल्थ एजेंसी के वैज्ञानिकों का कहना है सबसे खतरनाक ये है कि डेल्टा वेरिएंट चेचक की तरह आसानी से फैल सकता है.

वैक्सीनेशन के बाद भी संक्रमण का खतरा

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, अमेरिका के सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (CDC) के एक डॉक्यूमेंट में अनपब्लिश्ड आंकड़ों के आधार पर दिखाया गया है कि वैक्सीन की सभी खुराकें ले चुके लोग भी बिना वैक्सीनेशन वाले लोगों जितना ही डेल्टा वेरिएंट को फैला सकते हैं. 

बता दें कि सबसे पहले भारत में डेल्टा वेरिएंट (Delta Variant) की पहचान की गई थी.

रिपोर्ट में गंभीर लक्षणों की ओर इशारा 

सबसे पहले ‘द वॉशिंगटन पोस्ट’ ने इस डॉक्यूमेंट के आधार पर रिपोर्ट प्रकाशित की. सीडीसी की निदेशक डॉ. रोशेल पी वालेंस्की ने मंगलवार को माना कि टीका ले चुके लोगों की नाक और गले में वायरस की मौजूदगी उसी तरह रहती है जैसे कि टीका नहीं लेने वालों में. 

सीडीसी के इस इंटरनल डॉक्यूमेंट में वायरस के डेल्टा वेरिएंट के कुछ और गंभीर लक्षणों की ओर इशारा किया गया है.

चेचक की तरह ही संक्रामक डेल्टा वेरिएंट

इसके अनुसार, डेल्टा वेरिएंट, ऐसे वायरस की तुलना में अधिक फैलता है, जो मर्स, सार्स, इबोला, सामान्य सर्दी, मौसमी फ्लू और चेचक का कारण बनते हैं. यह चेचक की तरह ही संक्रामक है. इस डॉक्यूमेंट की एक कॉपी ‘न्यूयॉर्क टाइम्स’ ने भी हासिल की है.

डॉक्यूमेंट के मुताबिक बी.1.617.2 यानी डेल्टा वेरिएंट गंभीर संक्रमण पैदा कर सकता है. ‘न्यूयॉर्क टाइम्स’ ने एक अधिकारी का हवाला देते हुए कहा कि डॉक्यूमेंट के निष्कर्ष ने डेल्टा वेरिएंट को लेकर सीडीसी के वैज्ञानिकों की चिंताएं बढ़ा दी हैं. 

अधिकारी ने कहा, ‘सीडीसी डेल्टा वेरिएंट को लेकर आंकड़ों से बहुत चिंतित है. यह स्वरूप गंभीर खतरे का कारण बन सकता है, जिसके लिए अभी कदम उठाने की जरूरत है.’

अमेरिका में 16.2 करोड़ लोगों का वैक्सीनेशन

सीडीसी के 24 जुलाई तक इकट्ठा किए गए आंकड़ों के अनुसार, अमेरिका में 16.2 करोड़ लोगों का वैक्सीनेशन हो चुका है और हर सप्ताह लक्षण वाले करीब 35,000 मामले आ रहे हैं. लेकिन एजेंसी मामूली या बिना लक्षण वाले मामलों की निगरानी नहीं करती है, इसलिए वास्तविक मामले और ज्यादा हो सकते हैं.

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