Zoom News : Jun 26, 2022, 05:12 PM
दिल्ली में अरविंद केजरीवाल का जलवा कायम है। राजेंद्र नगर सीट पर उपचुनाव में आम आदमी पार्टी (आप) के उम्मीदवार दुर्गेश पाठक ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के राजेश भाटिया को 11500 वोटों से हरा दिया है। दिल्ली में उपचुनाव भले ही महज एक सीट पर हुआ है, लेकिन इस 'छोटे चुनाव' के कई बड़े सियासी मायने हैं। अरविंद केजरीवाल सरकार जहां इसे अपने कामकाज पर मुहर के रूप में पेश करेगी तो भाजपा और कांग्रेस को एक बार फिर आत्ममंथन में जुटना होगा।
एक दशक पहले अस्तित्व में आई पार्टी दिल्ली और पंजाब में सरकार बनाने के बाद देशव्यापी विस्तार प्लान पर काम कर रही है। फिलहाल उसका फोकस 'प्लान GH' (गुजरात-हिमाचल) पर है। राजेंद्र नगर सीट पर जीत के बाद पार्टी संयोजक अरविंद केजरीवाल दोनों राज्यों में होने जा रहे विधानसभा चुनाव पर पर ध्यान केंद्रित कर पाएंगे। वह इस बात को लेकर निश्चिंत हो सकते हैं कि राजधानी में फिलहाल भाजपा-कांग्रेस के पास उनकी काट नहीं है। इस जीत से केजरीवाल ने उन आलोचको को जवाब दे दिया है, जो उन पर दिल्ली से अधिक दूसरे राज्यों में पर ध्यान देने का आरोप लगा रहे हैं। 'दिल्ली मॉडल' को प्रचारित करने का मौकागुजरात हो या हिमाचल, 'आप' दिल्ली के अपने शासन मॉडल के आधार पर एक मौका मांग रही है। दिल्ली उपचुनाव में मिली जीत को पार्टी इस मॉडल पर एक बार फिर जनता के मुहर के रूप में प्रचारित करेगी। यदि यहां पार्टी को शिकस्त मिलती तो भाजपा को केजरीवाल के प्रचार अभियान को पंक्चर करने का हथियार मिल जाता।कई मुद्दों पर नाराजगी पर केजरीवाल पर भरोसा कायमराजेंद्र नगर उपचुनाव ने यह भी साफ कर दिया है कि फिलहाल अरविंद केजरीवाल पर लोगों का भरोसा कायम है। पानी और शराब जैसे कई मुद्दों पर भले ही जनता में नाराजगी हो, लेकिन केजरीवाल के वादों पर उन्हें विश्वास है। केजरीवाल ने राजेंद्र नगर में प्रचार के दौरान सरकार की कमियों को स्वीकार करते हुए जनता को भरोसा दिया था कि बचे हुए कामों को भी पूरा किया जाएगा। पानी की समस्या को उनकी सरकार दूर करेगी। राजेंद्र नगर के अधिकतर वोटर्स ने उनके वादे में विश्वास जाहिर किया।'कमल' के लिए और करो मेहनत का संदेशभाजपा को उपचुनाव में करीब 40 फीसदी वोट मिले हैं, लेकिन पार्टी जीत से काफी दूर रह गई। ऐसे में उसके लिए संदेश साफ है कि दिल्ली का दिल दोबारा जीतने के लिए और अधिक मेहनत करनी होगी। भाजपा नेता कहते रहे हैं कि केजरीवाल सरकार के खिलाफ जनता में नाराजगी है तो सवाल उठता है कि वह इस नाराजगी को भुनाने में क्यों कामयाब नहीं हो रहे हैं? पार्टी को दिल्ली में केजरीवाल के सामने एक मजबूत चेहरा पेश करना होगा।कांग्रेस की कट गई जड़राजेंद्र नगर उपचुनाव ने कांग्रेस पार्टी की चिंता को भी और अधिक बढ़ा दिया है। पार्टी की उम्मीदवार प्रेम लता के लिए वोटर्स ने कोई 'प्रेम' नहीं दिखाया। कांग्रेस को 3 फीसदी से भी कम यानी महज 2014 वोट मिले हैं। 'आप' की एंट्री से पहले लगातार 15 सालों तक दिल्ली में शासन करने वाली कांग्रेस पूरी तरह साफ हो चुकी है। राजनीतिक जानकारों का कहना है कि दिल्ली का अखाड़े में अब आप और भाजपा में ही मुकाबला है, कांग्रेस निकट भविष्य में चुनौती पेश करती नहीं दिख रही है।
एक दशक पहले अस्तित्व में आई पार्टी दिल्ली और पंजाब में सरकार बनाने के बाद देशव्यापी विस्तार प्लान पर काम कर रही है। फिलहाल उसका फोकस 'प्लान GH' (गुजरात-हिमाचल) पर है। राजेंद्र नगर सीट पर जीत के बाद पार्टी संयोजक अरविंद केजरीवाल दोनों राज्यों में होने जा रहे विधानसभा चुनाव पर पर ध्यान केंद्रित कर पाएंगे। वह इस बात को लेकर निश्चिंत हो सकते हैं कि राजधानी में फिलहाल भाजपा-कांग्रेस के पास उनकी काट नहीं है। इस जीत से केजरीवाल ने उन आलोचको को जवाब दे दिया है, जो उन पर दिल्ली से अधिक दूसरे राज्यों में पर ध्यान देने का आरोप लगा रहे हैं। 'दिल्ली मॉडल' को प्रचारित करने का मौकागुजरात हो या हिमाचल, 'आप' दिल्ली के अपने शासन मॉडल के आधार पर एक मौका मांग रही है। दिल्ली उपचुनाव में मिली जीत को पार्टी इस मॉडल पर एक बार फिर जनता के मुहर के रूप में प्रचारित करेगी। यदि यहां पार्टी को शिकस्त मिलती तो भाजपा को केजरीवाल के प्रचार अभियान को पंक्चर करने का हथियार मिल जाता।कई मुद्दों पर नाराजगी पर केजरीवाल पर भरोसा कायमराजेंद्र नगर उपचुनाव ने यह भी साफ कर दिया है कि फिलहाल अरविंद केजरीवाल पर लोगों का भरोसा कायम है। पानी और शराब जैसे कई मुद्दों पर भले ही जनता में नाराजगी हो, लेकिन केजरीवाल के वादों पर उन्हें विश्वास है। केजरीवाल ने राजेंद्र नगर में प्रचार के दौरान सरकार की कमियों को स्वीकार करते हुए जनता को भरोसा दिया था कि बचे हुए कामों को भी पूरा किया जाएगा। पानी की समस्या को उनकी सरकार दूर करेगी। राजेंद्र नगर के अधिकतर वोटर्स ने उनके वादे में विश्वास जाहिर किया।'कमल' के लिए और करो मेहनत का संदेशभाजपा को उपचुनाव में करीब 40 फीसदी वोट मिले हैं, लेकिन पार्टी जीत से काफी दूर रह गई। ऐसे में उसके लिए संदेश साफ है कि दिल्ली का दिल दोबारा जीतने के लिए और अधिक मेहनत करनी होगी। भाजपा नेता कहते रहे हैं कि केजरीवाल सरकार के खिलाफ जनता में नाराजगी है तो सवाल उठता है कि वह इस नाराजगी को भुनाने में क्यों कामयाब नहीं हो रहे हैं? पार्टी को दिल्ली में केजरीवाल के सामने एक मजबूत चेहरा पेश करना होगा।कांग्रेस की कट गई जड़राजेंद्र नगर उपचुनाव ने कांग्रेस पार्टी की चिंता को भी और अधिक बढ़ा दिया है। पार्टी की उम्मीदवार प्रेम लता के लिए वोटर्स ने कोई 'प्रेम' नहीं दिखाया। कांग्रेस को 3 फीसदी से भी कम यानी महज 2014 वोट मिले हैं। 'आप' की एंट्री से पहले लगातार 15 सालों तक दिल्ली में शासन करने वाली कांग्रेस पूरी तरह साफ हो चुकी है। राजनीतिक जानकारों का कहना है कि दिल्ली का अखाड़े में अब आप और भाजपा में ही मुकाबला है, कांग्रेस निकट भविष्य में चुनौती पेश करती नहीं दिख रही है।