Afghanistan: 48 घंटे में दो महाशक्तियों के बीच फंसा अफगानिस्तान: अमेरिका ने वीजा रोके, चीन ने हमले की निंदा की

Afghanistan - 48 घंटे में दो महाशक्तियों के बीच फंसा अफगानिस्तान: अमेरिका ने वीजा रोके, चीन ने हमले की निंदा की
| Updated on: 29-Nov-2025 01:48 PM IST
पिछले 48 घंटों में अफगानिस्तान खुद को दो वैश्विक शक्तियों, अमेरिका और चीन, के बीच एक जटिल भू-राजनीतिक स्थिति में फंसा हुआ पा रहा है। इन दो दिनों में हुई अलग-अलग घटनाओं ने अफगानिस्तान को दोनों देशों के रडार पर ला दिया है, जिससे उसकी अंतरराष्ट्रीय स्थिति और भी नाजुक हो गई है। एक तरफ अमेरिका ने सार्वजनिक सुरक्षा का हवाला देते हुए अफगान पासपोर्ट धारकों के लिए वीजा जारी करना बंद कर दिया है, तो दूसरी तरफ चीन ने। ताजिकिस्तान में हुए एक ड्रोन हमले की कड़ी निंदा की है, जिसमें अफगान क्षेत्र से लॉन्च किए गए ड्रोन के कारण उसके तीन नागरिक मारे गए हैं।

अमेरिका का कड़ा रुख: व्हाइट हाउस के पास हमला और वीजा प्रतिबंध

अमेरिका में बुधवार को व्हाइट हाउस के पास एक गंभीर हमला हुआ, जिसने देश की सुरक्षा चिंताओं को बढ़ा दिया। इस हमले में दो नेशनल गार्ड को निशाना बनाया गया, जिसमें एक की दुखद मौत हो गई और दूसरा गंभीर रूप से घायल हो गया। जांच में सामने आया कि इस हमले का संदिग्ध रहमानउल्लाह लकनवाल नामक एक अफगान नागरिक था। इस घटना के तुरंत बाद, अमेरिकी विदेश विभाग ने सार्वजनिक सुरक्षा को प्राथमिकता देते हुए एक बड़ा कदम उठाया। उन्होंने घोषणा की कि अब वे अफगान पासपोर्ट धारकों को वीजा जारी नहीं करेंगे। यह निर्णय अमेरिकी आव्रजन अधिकारियों द्वारा सभी शरण (असाइलम) आवेदनों पर निर्णय लेने को अस्थायी रूप से रोकने की घोषणा के साथ आया, जो अफगानिस्तान से आने वाले व्यक्तियों के प्रति अमेरिका के रुख में एक महत्वपूर्ण बदलाव को दर्शाता है।

संदिग्ध का सीआईए कनेक्शन और अमेरिकी चिंताएं

रहमानउल्लाह लकनवाल के संदिग्ध पाए जाने के बाद, सीआईए ने पुष्टि की कि लकनवाल ने अमेरिका आने से पहले अफगानिस्तान में इस जासूसी एजेंसी के लिए काम किया था और यह भी सामने आया कि वह पश्चिमी ताकतों के 2021 में देश से बाहर निकलने के तुरंत बाद अमेरिका आ गया था। सीनेटर रुबियो ने इस स्थिति पर टिप्पणी करते हुए कहा कि अमेरिका के लिए अपने राष्ट्र और अपने लोगों की सुरक्षा से बढ़कर कोई प्राथमिकता नहीं है। लकनवाल का सीआईए से जुड़ाव और फिर अमेरिका में एक हमले में संदिग्ध के रूप में सामने आना, अमेरिकी सुरक्षा प्रतिष्ठान के। भीतर गंभीर सवाल खड़े करता है और अफगानिस्तान से आने वाले व्यक्तियों की जांच प्रक्रियाओं पर नए सिरे से ध्यान केंद्रित करता है। इस घटना ने अमेरिका की आंतरिक सुरक्षा और बाहरी खतरों के बीच के जटिल संबंधों को उजागर। किया है, जिससे अफगान नागरिकों के लिए यात्रा और आव्रजन नीतियों पर तत्काल और कठोर कार्रवाई हुई है।

चीन की प्रतिक्रिया: ताजिकिस्तान में ड्रोन हमला और नागरिकों को चेतावनी

ठीक उसी समय जब अमेरिका अफगानिस्तान से संबंधित सुरक्षा चिंताओं से जूझ। रहा था, ताजिकिस्तान और अफगानिस्तान की सीमा पर भी तनाव बढ़ गया। अफगान धरती से ताजिकिस्तान के दक्षिणी खतलोन प्रांत में एक। ड्रोन हमला हुआ, जिसने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चिंताएं बढ़ा दीं। इस हमले में शाहीन एसएम गोल्ड माइन कंपनी में काम करने वाले तीन चीनी मजदूरों की मौत हो गई और ताजिकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने इस घटना की पुष्टि की, जिससे चीन की ओर से कड़ी प्रतिक्रिया आई। ताजिकिस्तान में चीनी दूतावास ने इस हमले की कड़ी निंदा की और इसे एक गंभीर आपराधिक कृत्य बताया। दूतावास ने मृतकों के परिवारों के प्रति गहरी संवेदना व्यक्त की और ताजिक अधिकारियों से इस मामले में गहन जांच करने का आग्रह किया।

चीनी नागरिकों के लिए सुरक्षा चेतावनी

इस हमले के बाद, चीनी दूतावास ने ताजिकिस्तान में रहने वाले अपने नागरिकों को विशेष रूप से सतर्क रहने की चेतावनी जारी की। उन्हें क्षेत्रीय सुरक्षा स्थिति पर बारीकी से नजर रखने और ताजिकिस्तान-अफगानिस्तान सीमा के पास यात्रा या काम करने से बचने की सलाह दी गई। दूतावास ने उन चीनी नागरिकों से भी आग्रह किया जो वर्तमान में इस क्षेत्र में मौजूद हैं, वे जल्द से जल्द वहां से निकल जाएं। यह चेतावनी चीन की अपने नागरिकों की सुरक्षा के प्रति गंभीर चिंता को दर्शाती है और यह भी संकेत देती है कि चीन इस घटना को कितनी गंभीरता से ले रहा है। अफगान क्षेत्र से हुए इस हमले ने चीन के लिए भी अफगानिस्तान की स्थिरता और सीमा सुरक्षा को लेकर नए सवाल खड़े कर दिए हैं, खासकर उन क्षेत्रों में जहां चीनी निवेश और नागरिक मौजूद हैं।

अफगानिस्तान पर बढ़ता दबाव

इन दो अलग-अलग लेकिन लगभग एक साथ हुई घटनाओं ने अफगानिस्तान को एक अभूतपूर्व दबाव में ला दिया है। एक तरफ अमेरिका ने अपनी सुरक्षा चिंताओं के कारण अफगान नागरिकों पर यात्रा प्रतिबंध लगाए हैं, तो। दूसरी तरफ चीन ने अपने नागरिकों पर हुए हमले के लिए अफगान क्षेत्र को जिम्मेदार ठहराया है। यह स्थिति अफगानिस्तान के लिए एक बड़ी कूटनीतिक चुनौती पेश करती है, क्योंकि उसे दोनों महाशक्तियों की चिंताओं को दूर करना होगा। इन घटनाओं ने अफगानिस्तान की अंतरराष्ट्रीय छवि को और धूमिल किया है और उसे वैश्विक मंच पर एक बार फिर से जांच के दायरे में ला खड़ा किया है। अफगानिस्तान को अब इन गंभीर आरोपों और सुरक्षा चिंताओं का समाधान ढूंढना होगा ताकि वह इन दो शक्तिशाली देशों के साथ अपने संबंधों को स्थिर कर सके और अपने नागरिकों के भविष्य को सुरक्षित कर सके।

भविष्य की चुनौतियां और कूटनीतिक रास्ते

अफगानिस्तान के लिए यह एक नाजुक मोड़ है और उसे न केवल अपनी आंतरिक सुरक्षा को मजबूत करना होगा, बल्कि यह भी सुनिश्चित करना होगा कि उसकी धरती का उपयोग किसी भी देश के खिलाफ आतंकवादी गतिविधियों के लिए न हो। अमेरिका और चीन दोनों की प्रतिक्रियाएं यह स्पष्ट करती हैं कि वे अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा और अपने नागरिकों की सुरक्षा के प्रति कोई समझौता नहीं करेंगे। अफगानिस्तान को अब इन चुनौतियों का सामना करने के लिए एक स्पष्ट और प्रभावी कूटनीतिक रणनीति अपनानी होगी। उसे अंतरराष्ट्रीय समुदाय के साथ मिलकर काम करना होगा ताकि वह अपनी सीमाओं की सुरक्षा सुनिश्चित कर सके और वैश्विक शांति व स्थिरता में अपनी भूमिका निभा सके। इन घटनाओं ने अफगानिस्तान के लिए एक कठिन रास्ता तैयार किया है, जहां उसे अपनी विश्वसनीयता और सुरक्षा प्रतिबद्धताओं को फिर से स्थापित करना होगा।

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