Xi Jinping News: ट्रंप के बाद चीन पड़ा अब Apple के पीछे, आखिर क्या चाहता है 'ड्रैगन'?

Xi Jinping News - ट्रंप के बाद चीन पड़ा अब Apple के पीछे, आखिर क्या चाहता है 'ड्रैगन'?
| Updated on: 10-Jun-2025 05:28 PM IST

Xi Jinping News: भारत में आईफोन निर्माण को लेकर जारी अटकलों पर अब विराम लगता दिख रहा है। दुनिया की सबसे बड़ी इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग कंपनियों में शुमार फॉक्सकॉन ने भारत में iPhone प्रोडक्शन को बढ़ावा देने के लिए 1.5 बिलियन डॉलर का नया निवेश किया है। यह खुलासा हाल ही में एक एक्सचेंज फाइलिंग के ज़रिए हुआ है, जिससे यह साफ हो गया है कि भारत में आईफोन निर्माण बंद होने की अटकलें फिलहाल निराधार हैं।

ट्रंप की चेतावनी, फिर भी जारी भारत में निवेश

इस निवेश की अहमियत इसलिए और बढ़ जाती है क्योंकि हाल ही में अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कतर में दिए एक भाषण में खुलकर कहा कि वह नहीं चाहते कि अमेरिका में बिकने वाले iPhones का निर्माण भारत में हो। उन्होंने यहां तक कहा कि इस बारे में उन्होंने एप्पल के सीईओ टिम कुक से सीधी बात भी की है। ट्रंप का मानना है कि अमेरिकी बाज़ार के लिए प्रोडक्शन अमेरिका या उसके करीबी देशों में होना चाहिए, न कि भारत जैसे एशियाई देशों में।

लेकिन आंकड़े कुछ और कहानी कहते हैं—अमेरिका में बिकने वाला हर चौथा आईफोन भारत में बन रहा है, और ये संख्या लगातार बढ़ रही है। ट्रंप के रुख के बावजूद एप्पल और फॉक्सकॉन का भारत और दक्षिण एशिया में निवेश जारी है। फॉक्सकॉन द्वारा भारत में तैयार किया जा रहा नया उत्पादन केंद्र 30,000 कर्मचारियों की क्षमता वाला होगा—जो अपने आप में भारत के हालिया औद्योगिक इतिहास का सबसे बड़ा इलेक्ट्रॉनिक कारखाना बन सकता है। इसके अलावा टाटा इलेक्ट्रॉनिक्स भी भारत में iPhone असेंबली की अहम भूमिका निभा रही है।

भारत बना iPhone एक्सपोर्ट का बड़ा हब

इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, भारत में बने आईफोनों का एक्सपोर्ट पिछले कुछ वर्षों में रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच चुका है। वर्तमान में भारत में लगभग 22 बिलियन डॉलर के iPhones का उत्पादन हो रहा है, जिसमें से 17 बिलियन डॉलर मूल्य के फोन निर्यात किए जा रहे हैं। ये आंकड़े भारत को वैश्विक इलेक्ट्रॉनिक्स सप्लाई चेन में एक मजबूत खिलाड़ी के रूप में स्थापित कर रहे हैं। खास बात ये है कि आईफोन के ज़रिए भारत का इलेक्ट्रॉनिक्स एक्सपोर्ट 38 बिलियन डॉलर तक पहुंच गया है, जो कि फार्मास्युटिकल एक्सपोर्ट से भी ज्यादा है।

चीन की चिंता और रुकावटें

जहां भारत आईफोन उत्पादन में अपनी पैठ मजबूत कर रहा है, वहीं चीन की बेचैनी बढ़ती जा रही है। वर्षों से चीन एप्पल के लिए प्रमुख मैन्युफैक्चरिंग बेस रहा है, लेकिन अमेरिका-चीन के बीच चल रहे टैरिफ युद्ध के कारण एप्पल ने अपनी सप्लाई चेन को डाइवर्सिफाई करना शुरू कर दिया है। यही वजह है कि चीन ने भारत में एपल प्रोडक्शन को बाधित करने के लिए बीजिंग से इंजीनियरों के भारत आने पर रोक लगा दी है।

चीन को डर है कि अगर भारत में आईफोन निर्माण को और अधिक बढ़ावा मिला, तो उसके यहां स्थापित कई अन्य इलेक्ट्रॉनिक कंपोनेंट निर्माण इकाइयां भी भारत की ओर पलायन कर सकती हैं, जिससे उसकी आर्थिक और तकनीकी स्थिति पर असर पड़ सकता है।

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