US-Australia Agreement: अमेरिका-ऑस्ट्रेलिया रेयर अर्थ मिनरल्स समझौता: चीन के लिए बड़ा झटका, जानें क्यों?

US-Australia Agreement - अमेरिका-ऑस्ट्रेलिया रेयर अर्थ मिनरल्स समझौता: चीन के लिए बड़ा झटका, जानें क्यों?
| Updated on: 21-Oct-2025 09:45 PM IST
अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया के बीच रेयर अर्थ मिनरल्स को लेकर एक बड़ा रणनीतिक समझौता हुआ है, जिसे चीन के लिए एक महत्वपूर्ण झटका माना जा रहा है। इस डील के बाद अमेरिका की पहुंच ऑस्ट्रेलिया के विशाल दुर्लभ खनिज संसाधनों तक अधिक आसानी से हो जाएगी। ये खनिज 21वीं सदी की अर्थव्यवस्था की रीढ़ हैं, जो मोबाइल फोन से। लेकर इलेक्ट्रिक वाहनों और रक्षा प्रणालियों तक हर आधुनिक तकनीक के लिए अनिवार्य हैं।

रेयर अर्थ मिनरल्स का महत्व

रेयर अर्थ मिनरल्स 17 रासायनिक तत्वों का एक समूह हैं, जिनमें नियोडाइमियम, सीरियम जैसे महत्वपूर्ण धातु शामिल हैं। ये तत्व कम मात्रा में पाए जाते हैं, लेकिन इनका उपयोग लैपटॉप, टीवी स्क्रीन, जेट इंजन, रडार सिस्टम और गाइडेड मिसाइलों जैसी हाई-टेक इंडस्ट्री में बहुत जरूरी है। इन खनिजों के बिना आधुनिक उपकरण और रक्षा प्रौद्योगिकी की कल्पना भी मुश्किल है।

चीन का वैश्विक वर्चस्व

वर्तमान में, दुनिया में लगभग 70 से 80 प्रतिशत रेयर अर्थ मिनरल्स के खनन और रिफाइनिंग पर चीन का नियंत्रण है। चीन के पास इन खनिजों का विशाल भंडार है और वह उनकी प्रोसेसिंग व एक्सपोर्टिंग में अग्रणी है। इस प्रभुत्व ने चीन को एक शक्तिशाली आर्थिक हथियार दिया है, जिससे। वह अपनी सप्लाई रोककर या नियंत्रित कर वैश्विक दबाव बना सकता है।

अमेरिका-ऑस्ट्रेलिया साझेदारी क्यों अहम?

यह समझौता चीन पर रेयर अर्थ मिनरल्स की निर्भरता को कम करने और वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला को सुरक्षित बनाने के लिए किया गया है और ऑस्ट्रेलिया के पास दुनिया के लगभग 10 प्रतिशत दुर्लभ खनिजों के भंडार हैं, जबकि अमेरिका के पास उन्नत तकनीकी संसाधन हैं। इस साझेदारी से एक वैकल्पिक और विश्वसनीय वैश्विक स्रोत तैयार होगा, जो रक्षा और हाई-टेक क्षेत्रों को स्थिर समर्थन देगा और

चीन के लिए झटका

यह डील चीन के लिए कई मायनों में झटका है। पहला, चीन का अरबों डॉलर का रेयर अर्थ एक्सपोर्ट राजस्व प्रभावित हो सकता है। दूसरा, अब तक चीन इन खनिजों के माध्यम से जो "सप्लाई कंट्रोल पॉलिसी" अपनाता था, वह कमजोर पड़ेगी। अमेरिका अब अपने रक्षा और इलेक्ट्रॉनिक उद्योगों के लिए चीन पर कम निर्भर रहेगा, जो उसकी "टेक्नोलॉजिकल सेफ्टी" के लिए एक बड़ा कदम है। यह डील केवल आर्थिक नहीं, बल्कि एक महत्वपूर्ण रणनीतिक बदलाव है। ऑस्ट्रेलिया भी वैश्विक रेयर अर्थ निर्यातक के रूप में अपनी स्थिति मजबूत करेगा। चीन ने इसे "संसाधनों का राजनीतिकरण" बताया है, लेकिन विशेषज्ञ इसे। उसके बाजार प्रभुत्व के खतरे के रूप में देख रहे हैं।

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