Quad Summit: अमेरिका ने दिया क्वॉड की बढ़ती ताकत को लेकर बड़ा बयान, सुनते ही चकरा जाएगा चीन

Quad Summit - अमेरिका ने दिया क्वॉड की बढ़ती ताकत को लेकर बड़ा बयान, सुनते ही चकरा जाएगा चीन
| Updated on: 19-Sep-2024 10:41 AM IST
Quad Summit: अमेरिका ने क्वाड (चतुष्पक्षीय सुरक्षा संवाद) शिखर सम्मेलन शुरू होने से पहले ही इस संगठन की बढ़ती ताकत पर जोर देते हुए बड़ा बयान दिया है। यह बयान निश्चित रूप से चीन के लिए चिंता का विषय होगा, क्योंकि क्वाड का गठन हिंद-प्रशांत क्षेत्र और दक्षिण चीन सागर में चीन की बढ़ती दादागिरी को रोकने के उद्देश्य से किया गया है।

भारत की अहम भूमिका

क्वाड देशों में भारत की भूमिका को अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, और जापान के साथ मिलकर, भारत को चीन के खिलाफ एक प्रमुख शक्ति के रूप में देखा जा रहा है। यह संगठन न केवल क्षेत्रीय सुरक्षा को सुनिश्चित करता है, बल्कि आर्थिक और रणनीतिक सहयोग को भी बढ़ावा देता है। अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद के रणनीतिक संचार निदेशक जॉन किर्बी ने इस बात पर जोर दिया कि यह शिखर सम्मेलन यह दिखाएगा कि क्वाड अब पहले से कहीं अधिक एकजुट और प्रासंगिक हो गया है।

व्हाइट हाउस का बयान

जॉन किर्बी ने वाशिंगटन में संवाददाता सम्मेलन में कहा, "हमारा मानना ​​है कि इस शिखर सम्मेलन में आप यह देखेंगे कि क्वाड पहले से कहीं अधिक रणनीतिक रूप से एकजुट और अधिक प्रासंगिक हुआ है।" उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति जो बाइडेन शनिवार को डेलावेयर के विलमिंगटन में क्वाड के अन्य तीन सदस्य देशों के नेताओं के साथ वार्ता करेंगे।

शिखर सम्मेलन की तैयारी

किर्बी ने बताया कि यह पहली बार होगा जब अमेरिका का राष्ट्रपति अपने गृहनगर में क्वाड शिखर सम्मेलन की मेजबानी करेगा। बाइडेन, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, जापान के प्रधानमंत्री फूमियो किशिदा, और ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री एंथनी अल्बानीस से अलग-अलग मुलाकात करेंगे। इसके बाद एक पूर्ण अधिवेशन में इन नेताओं के बीच चर्चा होगी।

अमेरिका की रणनीति

बाइडेन प्रशासन ने पिछले तीन वर्षों में हिंद-प्रशांत क्षेत्र में सहयोगियों को मजबूत करने के लिए निवेश करने को प्राथमिकता दी है। अमेरिका का यह कदम न केवल चीन के प्रभाव को सीमित करने के लिए है, बल्कि यह क्षेत्र में लोकतांत्रिक मूल्यों को बढ़ावा देने का भी प्रयास है।

निष्कर्ष

क्वाड शिखर सम्मेलन का आयोजन एक महत्वपूर्ण कदम है जो न केवल क्षेत्रीय सुरक्षा को मजबूत करेगा, बल्कि अमेरिका और उसके सहयोगियों के बीच रणनीतिक साझेदारी को भी मजबूत करेगा। चीन के लिए यह संकेत है कि अमेरिका और उसके सहयोगी देश एकजुट हैं और किसी भी प्रकार की दादागिरी को रोकने के लिए तैयार हैं। इस सम्मेलन से वैश्विक स्तर पर सुरक्षा, स्थिरता और सहयोग को बढ़ावा मिलेगा।

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